पंढरपुर से लंदन तक निकली भगवान विठोबा की दिंडी, 22 देशों से होकर पहुंचेगी लंदन, जहां बनेगा भव्य मंदिर

इस पहल को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख आयोजक अनिल खेडेकर ने बताया कि लंदन व यूरोप के मराठी समुदाय की वर्षों पुरानी आकांक्षा अब साकार होने जा रही है. उन्होंने कहा कि हर साल आळंदी से पंढरपुर तक वारी करते हुए उन्हें ये विचार आया, जिसे अब हजारों मराठी भक्तों का समर्थन मिल रहा है.

विठोबा पादुकाएं यात्रा
gnttv.com
  • पंढरपुर ,
  • 15 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

पंढरपुर से लंदन तक भगवान विठोबा की आस्था अब सात समंदर पार पहुंच रही है. सोमवार को पंढरपुर में विठोबा के दर्शन के साथ दुनिया की सबसे लंबी दिंडी की शुरुआत हुई. 18,000 किलोमीटर, 22 देश और 70 दिन की ये यात्रा लंदन में जाकर खत्म होगी, जहां भगवान विठोबा का एक भव्य मंदिर बनने जा रहा है.

वारकरी संप्रदाय के आराध्य भगवान श्री विठोबा की पादुकाएं लेकर एक ऐतिहासिक दिंडी 14 अप्रैल को पंढरपुर से लंदन के लिए रवाना हुई. यह दुनिया की सबसे लंबी दिंडी मानी जा रही है, जो करीब 18,000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 70 दिनों में 22 देशों से होकर गुजरेगी.

मंदिर में दर्शन से हुई शुरुआत 
इस अनोखी यात्रा की शुरुआत पंढरपुर के विठोबा मंदिर में दर्शन के बाद हुई, जहां मंदिर समिति के सह-अध्यक्ष गहिनीनाथ महाराज औसेकर और कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके की उपस्थिति में विधिवत रूप से पादुकाएं सौंपी गईं.

इस महायात्रा का उद्देश्य लंदन में भगवान विठोबा का एक भव्य मंदिर बनाना है, जो कि यूरोप में पहला ऐसा मंदिर होगा. मंदिर की प्रतिमा पंढरपुर की तर्ज पर वालुकाश्म (रेतीला पत्थर) से बनाई जाएगी, और इसके लिए अयोध्या के रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों से संपर्क किया गया है.

हजारों मराठी भक्तों का समर्थन मिल रहा 
इस पहल को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख आयोजक अनिल खेडेकर ने बताया कि लंदन व यूरोप के मराठी समुदाय की वर्षों पुरानी आकांक्षा अब साकार होने जा रही है. उन्होंने कहा कि हर साल आळंदी से पंढरपुर तक वारी करते हुए उन्हें ये विचार आया, जिसे अब हजारों मराठी भक्तों का समर्थन मिल रहा है.

यह यात्रा सोमवार को पंढरपुर से शुरू होकर बारामती, पुणे, आळंदी, देहू और नागपुर होते हुए वाराणसी, नेपाल, चीन, और फिर एशिया और यूरोप के कई देशों से गुजरते हुए 21 जून को लंदन पहुंचेगी. इस दौरान पादुकाओं का स्वागत यूरोप के मराठी मंडलों द्वारा किया जाएगा. इसके बाद आषाढ़ी एकादशी यानी 6 जुलाई को लंदन में पारंपरिक वारकरी शैली में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा.

(नितिन हरिभाऊ शिंदे की रिपोर्ट)
 

 

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