सावन के पवित्र महीने में शुरू हुई कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश प्रशासन ने विशेष सख़्ती बरतनी शुरू कर दी है. खास तौर पर मुज़फ्फरनगर जिले में कांवड़ मार्ग पर स्थित ढाबों और भोजनालयों की सघन जांच शुरू कर दी गई है. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की टीमों ने सभी ढाबों पर अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड स्टिकर्स चिपकाने का अभियान शुरू किया है.
दुकानों पर QR कोड का स्टिकर-
FSDA की टीमें दुकानों पर क्यूआर कोड वाला स्टिकर लगाने का अभियान चलाया है. ये स्टिकर्स फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप से लिंक होते हैं. इनको स्कैन कर उपभोक्ता उस ढाबे का रजिस्ट्रेशन नंबर, मालिक का नाम, पता और मेन्यू की जानकारी हासिल कर सकते हैं. बस राज्य और जिले का नाम दर्ज करना होता है.
हमारी टीम ने जब मुज़फ्फरनगर-हरिद्वार हाईवे पर स्थित 'प्रधानमंत्री चायवाला' ढाबे का दौरा किया, तो वहां फूड सेफ्टी स्टिकर स्पष्ट रूप से चस्पा मिला.
नॉनवेज ढाबे रहेंगे बंद-
हाइजीन सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रशासन ने यह भी आदेश जारी किया है कि यात्रा के दौरान कांवड़ मार्ग पर सभी नॉन-वेज ढाबे बंद रखे जाएं. यह व्यवस्था हर साल की तरह इस बार भी लागू की गई है. 'ज़फ़र बिरयानी ढाबा' जैसे प्रतिष्ठानों के मालिकों ने पुष्टि की है कि उन्हें इस संबंध में प्रशासन की ओर से निर्देश मिल चुके हैं और वे पूरा सहयोग दे रहे हैं.
इस बार ढाबों में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. कई ढाबों ने अपने साइन बोर्ड और नाम को अब पहले से ज्यादा स्पष्टता के साथ प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है. यह बदलाव प्रशासन की सख्ती के साथ-साथ स्थानीय हिंदू संगठनों के दबाव का भी परिणाम माना जा रहा है.
स्वामी यशवीर ने सिस्टम पर उठाए सवाल-
हालांकि हर कोई इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है. कांवड़ मार्ग पर स्वैच्छिक चेकिंग अभियान चला रहे स्वामी यशवीर ने QR स्कैनर सिस्टम की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह स्कैनर सिर्फ दुकान के मालिक का नाम दिखाता है. यह नहीं बताता कि खाना कौन बना रहा है और किन परिस्थितियों में. कोई भी हिंदू नाम लेकर जनता को गुमराह कर सकता है.
स्वामी यशवीर ने मांग की कि रसोई में काम करने वाले कर्मचारियों के नाम और स्वच्छता मानकों की जानकारी भी सार्वजनिक रूप से बोर्ड पर लगाई जाए और स्वास्थ्य विभाग को जमीन पर जांच के लिए अधिक अधिकार दिए जाएं.
(अनमोल नाथ बाली की रिपोर्ट)
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