Nagpur: 71 लाख शिवलिंग के निर्माण का लक्ष्य, रोजाना 2.3 लाख शिवलिंग का निर्माण

सावन के महीने में नागपुर में 71 लाख शिवलिंग बनाने का काम चल रहा है. रोजाना 2.3 लाख शिवलिंग बनाए जा रहे हैं. शिवलिंग बनाने का काम सुबह 9 बजे से शुरू होता है और शाम 6 बजे तक होता है.

Nagpur
gnttv.com
  • नागपुर,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

सावन का महीना चल रहा है. ये महीना भगवान भोलेनाथ को काफी प्रिय है. इस महीने में भोलेनाथ भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. भक्त भी अलग-अलग तरीके से भगवान की पूजा करते हैं. ऐसे ही नागपुर में अनोखी तैयारी है. 71 लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण शुरू किया गया है.

सावन महीने में नागपुर में रोजाना 2,30,000 पार्थिव शिवलिंग बनाए जा रहे है. एक महीने में 71 लाख पार्थिव शिवलिंग के निर्माण किया जाएगा. नागपुर के शिव मंदिर में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक इस पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया जा रहा है. पार्थिव शिवलिंग के निर्माण के लिए गंगा नदी की बिंध्याचल कि मिट्टी मंगवाई गई है. रोजाना 230000 पार्थिव शिवलिंग के निर्माण पुजारी के महामृत्युंजय जप के दौरान बनाया जा रहा है. संपूर्ण काल अवधि में वातावरण को धार्मिक स्वरूप देने के लिए आयोजन स्थल पर एक करोड़ का महामृत्युंजय का उच्चारण ब्राह्मणों द्वारा किया जा रहा है. स्वर्णमास महोत्सव के आयोजन के तहत दूरदराज से लोग यहां पर पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए पहुंच रहे हैं.

रोजाना 2.3 लाख शिवलिंग का विसर्जन-
रोजाना 2,30,000 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके प्रतिदिन उसकी आरती की जा रही है, उसके बाद उसे विसर्जित कर दिया जा रहा है. इस तरह एक माह में 71 लाख पार्थिव शिवलिंग बनाने का संकल्प लिया गया है. देश की सुरक्षा, देश की आर्थिक विकास, देश में सामाजिक सद्भावना के लिए यह आयोजन किया गया है. पार्थिव शिवलिंग निर्माण के अनूठे संकल्प का आयोजन आज से लेकर 24 अगस्त तक किया जाएगा.

शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व-
कार्यक्रम के संयोजक नागपुर के पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी ने बताया कि मनकापुर के शिव मंदिर में इसका आयोजन किया गया है. शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व बताया गया है. कोई 501, तो कोई 1101 अपने समय और सुविधा के अनुसार इसका निर्माण कर रहे हैं. अलग-अलग आकृति में यह पार्थिव शिवलिंग बनाई जा रही है. इसकी पूजा अर्चना की जा रही है. नागपुर के तमाम धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक तथा कीड़ा क्षेत्र में कार्यरत अनेक संस्थानों ने मिलकर इसका आयोजन किया.

(योगेश वसंत पांडे की रिपोर्ट)

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