देवी कवच का उपदेश ब्रह्मा जी ने श्री मार्कंडेय ऋषि को दिया था. यह कवच व्यक्ति को हर प्रकार की बाधाओं से जैसे अकाल मृत्यु, तंत्र-मंत्र, मुकदमेबाजी और शत्रुओं से बचाता है. देवी कवच का नियमित पाठ करने से मनचाही वस्तुओं की प्राप्ति भी संभव है. शैलेंद्र पांडेय ने कहा कि देवी कवच के पाठ से व्यक्ति हर प्रकार से सुरक्षित हो जाता है. नवरात्रि के पावन दिनों में देवी कवच का महत्व और बढ़ जाता है.
देवी कवच का पाठ करने का तरीका
1. देवी कवच का पाठ सुबह या मध्य रात्रि में करना चाहिए.
2. देवी पाठ के दौरान देवी के सामने घी का दीपक जलाना और जल का पात्र रखना आवश्यक है.
3. देवी पाठ के बाद जल को शरीर पर छिड़कने और पौधों में डालने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
4. नवरात्रि में भोज पत्र पर देवी कवच लिखकर धारण करना भी शुभ माना गया.
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप सौम्य और शांतिपूर्ण है. उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक और दोपहर 11:49 बजे से 12:37 बजे तक है. भक्तों को मां को जल, धूप, दीप, सफेद कमल और नारियल से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित करने की सलाह दी गई.
मां ब्रह्मचारिणी ध्यान, संयम और आत्मबल का प्रतीक हैं. उनकी पूजा से सकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है. पूजा के समय ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करें. पूजा का समापन आरती से करें. संध्याकाल में आरती करें. सफेद फूलों और वस्त्रों से पूजा करने से तपस्या, ज्ञान और वैराग्य की शक्ति प्राप्त होती है. चंद्रमा की स्थिति को सुधारने के लिए माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की सलाह दी गई है. यदि आप पर व्रत रखते हैं, तो शाम में आरती के बाद फलाहार करें. दिन के समय फल और जल ग्रहण कर सकते हैं.