क्या आपने कभी सुना है कि एक मंदिर में भगवान का चेहरा दिन में तीन बार बदलता है? जी हां, कानपुर के पनकी हनुमान मंदिर में ऐसा ही चमत्कार होता है! पंचमुखी हनुमान मंदिर के नाम से मशहूर यह प्राचीन मंदिर न सिर्फ भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता है, बल्कि अपने 400 साल पुराने इतिहास और रहस्यमयी कथाओं से हर किसी को हैरान करता है. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना कानपुर शहर के बनने से पहले हुई थी! बजरंग बली की चांदी से अलंकृत 8 फीट ऊंची मूर्ति और नीम करोली बाबा का आशीर्वाद इस मंदिर को और भी खास बनाता है.
पनकी हनुमान मंदिर
कानपुर से 13 किमी दूर, पनकी रेलवे स्टेशन के पास बसा यह मंदिर श्री श्री 1008 महंत पुरुषोत्तम दासजी महाराज ने लगभग 400 साल पहले स्थापित किया था. किंवदंती है कि महंतजी चित्रकूट से लौट रहे थे, जब उन्हें एक चट्टान पर बजरंग बली की आकृति दिखाई दी. इस दैवीय संकेत को समझकर उन्होंने उसी स्थान पर मंदिर बनाने का फैसला किया. यह चट्टान आज भी मंदिर का केंद्र है, और भक्त इसे चमत्कारी मानते हैं. माना जाता है कि यह मंदिर कानपुर शहर के अस्तित्व में आने से पहले का है, जो इसे ऐतिहासिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बनाता है.
चेहरा बदलने का रहस्य
पनकी हनुमान मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है हनुमान जी की मूर्ति, जो दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती है. सूर्योदय के साथ हनुमान जी का चेहरा बाल हनुमान जैसा मासूम और चमकदार दिखता है. दोपहर में वे ब्रह्मचारी रूप में युवा और ऊर्जावान नजर आते हैं. जब संध्या होती है, तो चेहरा महापुरुष के समान प्रतीत होता है.
यह चमत्कार भक्तों के लिए किसी जादू से कम नहीं. देश-विदेश से लोग इस अनोखे दर्शन के लिए आते हैं. भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना यहां कभी खाली नहीं जाती.
नीम करोली बाबा का आशीर्वाद
1964 में इस मंदिर का पुनरुद्धार हुआ, जब नीम करोली बाबा ने इसे और भव्य बनाया. उद्घाटन के दौरान एक बड़ा भंडारा हुआ, जिसमें बाबा की लीलाओं ने सबको हैरान कर दिया. आयोजकों ने सीमित भोजन तैयार किया था, लेकिन चमत्कार ऐसा हुआ कि लाखों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, और फिर भी भोजन बचा रहा! कहा जाता है कि तेल की जगह घी में खाना बना, और भंडारा तीन दिन तक चला. नीम करोली बाबा की कृपा से यह मंदिर आज भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है.
एक बार नहीं, कई चमत्कार
पनकी हनुमान मंदिर का इतिहास सिर्फ चट्टान की कहानी तक सीमित नहीं. 1964 के उद्घाटन के दौरान नीम करोली बाबा ने एक और चमत्कार दिखाया. बाबा इलाहाबाद में थे, लेकिन भक्तों ने दावा किया कि वे पनकी में भंडारे में मौजूद थे! जब भक्त प्रसाद लेकर इलाहाबाद पहुंचे, तो बाबा ने मुस्कुराते हुए चुप्पी साध ली. यह घटना बाबा की सर्वव्यापकता का सबूत मानी जाती है.
कुछ लोग मंदिर को 1000 साल पुराना भी मानते हैं, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई. फिर भी, मंदिर की प्राचीनता और चमत्कार इसे उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक बनाते हैं.
मंदिर में हनुमान जी की 8 फीट ऊंची सिंदूरी मूर्ति है, जो पंचमुखी रूप में विराजमान है. हर मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं. इस दिन सुबह 4 बजे से दर्शन शुरू होते हैं.