भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस साल पूरे देश में 9 अगस्त दिन शनिवार को धूमधाम से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है.
रक्षाबंधन के दिन जहां बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई की आरती उतारते हुए जीवन में सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन को भेंट देते हैं और आजीवन बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की प्यार, विश्वास और सुरक्षा को दर्शाता है. क्या आप जानते हैं राखी बांधने की परंपरा कैसे शुरू हुई? रक्षाबंधन का मां लक्ष्मी, यमुनाजी, द्रौपदी से लेकर रानी कर्णावती तक से संबंध है. आइए जानते हैं कैसे?
कैसे शुरू हुई राखी बांधने की परंपरा
1. पौराणिक कथा में है राखी बांधने का वर्णन्न
राखी बांधने की परंपरा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. पौराणिक कथा के मुताबिक विष्णु भगवान ने जब वामन अवतार के रूप में राज बलि से तीन पग में उनका सारा समराज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा था, तब राजा बलि ने विष्णु जी को भी अपने साथ पाताल लोक चलने का आग्रह किया था.
राजा बलि के आग्रह को भगवान विष्णु मना नहीं कर सके और पताल लोक चले गए. भगवान विष्णु जब काफी दिनों तक अपने धाम नहीं लौटे तो माता लक्ष्मी को चिंता सताने लगी. देवऋषि नारद मुनि ने तब मां लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी. अपने पति को वापस लाने के लिए मां लक्ष्मी गरीब स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंच गईं और उन्हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी. इसके बदले उन्होंने भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी और माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा.
2. इंद्राणी ने देवताओं को बांधा था रक्षासूत्र
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक देवताओं और दानवों के बीच हुए महायुद्ध में जब देवता हार गए तो वे व्यथित होकर देवराज इंद्र के पास गए. देवताओं के भय को देखते हुए भगवान इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी देवताओं की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दिया. इससे देवताओं में साहस और आत्मविश्वास का संचार हुआ, जिससे वे दानवों पर विजय प्राप्त कर सके. इस तरह से रक्षा के प्रतीक के रूप में राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई.
3. यमुनाजी ने यमराज की कलाई पर बांधी थी राखी
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक यमराज ने बहुत समय से अपनी बहन यमुनाजी से मुलाकात नहीं की थी. यमुनाजी ने जब यमराज को राखी बांधी तो यमराज ने खुश होकर उन्हें अमरता का वरदान दिया और वचन दिया कि जो भाई-बहन इस दिन राखी का त्योहार मनाएंगे, उनकी रक्षा हमेशा होती रहेगी.
4. राखी का द्रौपदी और भगवान श्रीकृष्ण से संबंध
महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार सुदर्शन चक्र से शिशुपाल के वध के दौरान भगवान कृष्ण की उंगली चोटिल हो गई थी. द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की उंगली से खून बहते देख अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया. इसके बदले में श्रीकृष्ण ने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया. यह बलिदान श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन किया गया था, जो बाद में रक्षाबंधन का दिन बन गया.
5. भगवान कृष्ण ने रक्षाबंधन मनाने का युधिष्ठिर को दिया सुझाव
महाभारत की एक अन्य कथा के अनुसार युधिष्ठिर ने अपनी और अपनी सेना की सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण से सलाह मांगी. भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को रक्षाबंधन मनाने का सुझाव दिया, जिसमें राखी के धागे में छिपी दिव्य शक्ति पर जोर दिया गया था, जो किसी भी बाधा को पार कर सकती है.
6. मुगल सम्राट हुमायूं को भेजी थी राखी
इतिहास में भी रक्षाबंधन का जिक्र मिलता है.एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना मेवाड़ की रानी कर्णावती से जुड़ी है, जिन्होंने बहादुर शाह से सुरक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी. हुमायूं ने भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान करते हुए रानी कर्णावती और उनके राज्य की रक्षा की थी.
7. राजपूत परंपरा
राजपूत परंपराओं में महिलाएं युद्ध में जाने से पहले अपने योद्धा भाइयों के माथे पर तिलक लगाती थीं और रेशमी धागा बांधती थीं. यह विश्वास करते हुए कि यह पवित्र धागा भाई को विजय दिलाते हुए और सुरक्षित वापसी लाएगा।
8. सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को भेजी थी राखी
राजा पोरस और सिकंदर महान की कथा हमें बताती है कि कैसे सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को राखी भेजकर उसे अपना भाई बनाया और उनके बीच युद्ध को रोका . रक्षाबंधन का त्योहार शांति और सुरक्षा के सार्वभौमिक संदेश का प्रमाण है.