Sankashti Ganesh Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी क्या है, जानिए नौकरी, मकान और शादी के लिए कैसे करें भगवान गणपति को प्रसन्न

Krishnapingala Sankashti Ganesh Chaturthi: हिंदू पंचांग के साथ साथ ज्योतिष में चतुर्थी तिथि यानी चौथ को रिक्ता यानी कि खाली तिथि मानते हैं. लेकिन इसी तिथि पर भगवान गणपति के व्रत को करके न केवल सभी सुख पाए जा सकते हैं, बल्कि संतान प्राप्ति भी की जा सकती है. सकष्टी चतुर्थी का व्रत करके साधक गणपति के वरदान और चंद्र पूजन से अपनी हर कामना की पूर्ति कर सकता है.

17 जून को है संकष्टी चतुर्थी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST
  • हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने 2 चतुर्थी आती है
  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है
  • कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है

माता पार्वती के पुत्र गणपति को पूरी सृष्टि में प्रथम पूजनीय का दर्जा हासिल है. किसी भी शुभ काम से पहले पहले गणेश जी की ही आराधना की जाती है. गणेश जी संकटमोचन, विघ्नहर्ता है. कहते है कोई भी परेशानी, तकलीफ, संकट में इनकी आराधना करने से परेशानियों का अंत हो जाता है. गणेश जी का व्रत बहुत फलदायी होता है, ये हर पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है.

  • हिन्दू पंचाग के अनुसार हर महीने में 2 चतुर्थी आती है
  • विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी
  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है
  • कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है  
  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत भारत में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश 
  • पश्चिमी भारत और दक्षिणी भारत में मनाया जाता है 
  • संकष्टी चतुर्थी को संकट चौथ, संकटहरा चतुर्थी और 
  • गणेश संकष्टी चौथ भी कहते है 

संकष्टी चतुर्थी व्रत का मुहूर्त- 
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट हरने वाली. इस व्रत को करने से जिंदगी में किसी भी तरह की परेशानी हो वो दूर होती है और जीवन में सुख शांति आती है. इस व्रत को कोई भी गणेश जी का विश्वासी रख सकता है. शास्त्रीय मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले को अच्छी बुद्धि, जीवन में सुख सुविधा मिलती है. एक साल में हर महीने की दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 13 संकष्टी चतुर्थी के व्रत किए जाते हैं. 

  • 17 जून को रखा जाएगा व्रत
  • सुबह 6.10 बजे चतुर्थी तिथि आरंभ होगी
  • 18 जून को दोपहर 2.59 बजे तिथि समाप्त होगी
  • 17 जून को चंद्र दर्शन के बाद व्रत संपन्न होगा

व्रत पर सर्वार्थ सिद्ध योग-
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी व्रत कहते हैं. इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा.

  • 17 जून को सुबह 9.56 बजे से लगेगा सर्वार्थ सिद्धि योग 
  • 18 जून को सुबह 05.03 बजे तक रहेगा योग
  • सर्वार्थ सिद्धि योग की पूजा सारे काम सफल कराती है
  • यह योग सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 10 बजकर 03 मिनट पर होगा. इस दिन चंद्रोदय के लिए देर तक प्रतीक्षा करनी होगी. चंद्रमा के निकलने पर उसकी पूजा करें और एक पात्र में जल, गाय का दूध, अक्षत और फूल लेकर अर्घ्य दें. उसके बाद व्रत का पारण करें.

संकष्टी चतुर्थी व्रत का फल-
गणेश जी को मनाना बहुत आसान होता है, वे बहुत सीधे और जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवन है. गणेश जी बुद्धि के भी देवता है, उनके पास अत्याधिक ज्ञान है. इसीलिए पढाई करने वाले बच्चे अगर गणेश जी की आराधना करते हैं तो गणपति उनको बुद्धि का वरदान देते हैं. आपको गणेश व्रत की पूजा का शास्त्रीय विधान बताएं, उससे पहले आपको इस व्रत के फल के बारे में बताते हैं...

  • घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है
  • सारे संकटों का नाश हो जाता है
  • इस व्रत से आर्थिक लाभ मिलता है
  • इस व्रत से सारे मनोरथ पूरे होते हैं
  • इस व्रत को करने से संतान की भी प्राप्ति होती है

सकष्टी व्रत का पूजा विधान-
हर साल कुल 24 चतुर्थी की तिथि आती है. विनायक चतुर्थी के व्रत में चंद्र दर्शन से दोष लगता है, जबकि संकष्टी चतुर्थी पर भगवान चंद्र देव का पूजन होता है. तो चलिए अब ये भी जान लीजिए कि 17 जून को इस तिथि पर आपको भगवान गणपति के वरदान के लिए इस व्रत में पूजा उपासना कैसे करनी है...

  • सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लें
  • इस दिन पूरा दिन का उपवास रखा जाता है
  • शाम की पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते है 
  • स्नान के बाद गणेश जी की पूजा आराधना करें 
  • गणेश जी के मन्त्र का उच्चारण करें 
  • पूरा दिन बिना पानी व खाने के उपवास रखा जाता है
  • शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है
  • शाम की पूजा के लिए गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनायें 
  • गणेश जी के बगल दुर्गा जी की भी फोटो रखें
  • इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है 
  • धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल से पूजन करें
  • प्रसाद में केला, नारियल रखें 
  • साथ ही गणेश जी के प्रिय मोदक बनाकर रखें 
  • इस दिन गुड़ और तिल के मोदक बनाये जाते है 
  • गणेश जी कथा सुने, फिर आरती करके, प्राथना करें 
  • इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करें 
  • चंद्रमा को जल अर्पण करें, फूल, चन्दन चढ़ाएं. 
  • चन्द्रमा की दिशा में चावल चढ़ाएं.
  • पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद सबको वितरित किया जाता है.
  • गरीबों को दान भी किया जाता है 

ज्योतषी और शास्त्रीय मान्यता ये ही है कि अगर बादल के चलते चंद्रमा नहीं दिखाई देता है तो पंचाग के हिसाब से चंद्रोदय के समय में पूजा कर लें. कहते हैं कि इस दिन भगवान श्री गणेश को 21 गाठों वाला दुर्वा घास अर्पित करें. ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान, बुद्धि और ऐश्वर्य का आगमन होता है. 

संकष्टी चतुर्थी की कथा- 
संकष्टी चतुर्थी की अनेकों कथाएँ पुराणों में कही गई हैं. लेकिन हम आपको वो कता बता रहे हैं जो सबसे ज्यादा महत्ता रखती है. संकष्टी की कथा कहती है कि एक बार मां पार्वती और भगवान शंकर चौसर खेल रहे थे. हार जीत के निर्णय के लिए माता ने एक मिट्टी के बालक के पुतले को जीवित कर दिया और उसे निर्णय का काम सौंपा. कई बार के खेल में हर बार माता जीतती रहीं. लेकिन एक बार बालक के मुख से भूल वश विजेता के रूप में भगवान शिव का नाम निकल गया. तो माता ने बालक को अपाहिज होने का श्राप दे दिया. क्रोध शांत होने पर बालक ने श्राप का प्रायश्चित पूछा तो मां ने कहा गणेश के संकष्टी व्रत करने से मेरा श्राप खत्म हो जागा. बालक ने कुछ कन्याओं को ये व्रत करते देखा तो उसका विधान पूछा. व्रत के कुछ समय बाद ही गणपति बालक से प्रसन्न हुए और दर्शन देकर उसके पैर को ठीक कर दिया. बालक ये बात बताने कैलाश पहुंचा, लेकिन माता पार्वती कुछ रुष्ट होकर भगवान शिव से दूर कैलाश छोड़ चुकी थीं. भगवान शंकर ने श्राप मुक्ति की कथा पूछी तो बालक के पूरी कथा सुनाई. तब भगवान शिव ने भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया. व्रत करते ही मां स्वत: ही कैलाश वापस आ गई. 
इस तरह ये कथा ये बताती है कि गणेश व्रत किस तरह हमारी मनोकामना पूरी होती है और सारे संकट दूर होते है. मान्यता है कि जो भी साधक संकष्टी का व्रत करता है भगवान गणपति उसे 5 महा वरदान देते हैं. 

मनचाहे विवाह के लिए क्या उपाय करें -
अगर आपको चाहिए मनचाहा हमसफर और चाहते हैं एक समृद्ध परिवार में रिश्ता  तो इन आसान उपायों से आपकी मनोकामना पूरी होगी.

  • भगवान गणेश का सिन्दूर से श्रृंगार करें 
  • उन्हें पीले वस्त्र , पीले फूल , तथा मोदक अर्पित करें 
  • "ॐ विघ्नहर्त्रे नमः" का 108 बार जाप करें  
  • इसके बाद उस पीले वस्त्र को सहेज कर अपने पास रख लें

संतान प्राप्ति के लिए क्या उपाय करें-
गणपति से मिलने वाला दूसरा महावरदान संतान प्राप्ति का है. संतान की चाहत रखने वाली दंपत्ति करें बाप्पा को इन आसान उपायों से प्रसन्न. 

  • भगवान गणेश को फलों की माला अर्पित करें 
  • इसके बाद "संतान गणपति स्तोत्र" का पाठ करें
  • या "ॐ उमापुत्राय नमः" का 108 बार जाप करें
  • अर्पित किये हुये फलों की माला के फल बच्चों में बाँट दें 
  • ये प्रयोग गणेश महोत्सव में लगातार तीन दिन करें 

मकान बनाने के लिए क्या उपाय करें-
हर किसी का सपना होता है कि खुद का एक आशियाना हो बाप्पा को खुश करके आपकी ये मनोकामना भी जल्द ही पूरी होगी. इसके लिए आपको क्या करना है. 

  • भगवान गणेश को लाल फूलों की माला अर्पित करें 
  • इसके बाद लाल फल, लाल वस्त्र तथा ताम्बे का एक सिक्का भी अर्पित करें 
  • "ॐ सर्वसौख्यप्रदाय नमः" का १०८ बार जाप करें 
  • लाल वस्त्र में , सिक्का बांधकर अपने पास रख लें 
  • आपकी मकान बनाने की इच्छा शीघ्र पूरी होगी 
  • ये उपाय गणेश महोत्सव में एक बार करें 

नौकरी पाने के लिए क्या उपाय करें-
अगर आप बेरोजगार हैं और नौकरी पाने के लिए जूझ रहे हैं तो गणपति के इस चौथे महावरदान से होगी आपकी मदद.

  • भगवान गणेश को उतने ही लड्डू चढ़ाएं जितनी आपकी उम्र है 
  • हर लड्डू के साथ कहें - "ॐ नमो भगवते लम्बोदराय"
  • एक लड्डू स्वयं खा लें और बाकी लोगों में बाँट दें 
  • ये प्रयोग गणेश महोत्सव में एक बार करें 

विद्या बुद्धि पाने के लिए क्या करें -
विद्वान मनुष्य की कीर्ति चारों ओर फैलती है...गणेश जी के पांचवे महावरदान से आपकी विद्वता का डंका पूरी दुनिया में बजेगा ..बस इन आसान उपायों को अपनाइये.

  • पीले वस्त्र धारण करके भगवान् गणेश की पूजा करें 
  • उन्हें पीली चीज़ें और पीला रेशम का धागा अर्पित करें 
  • ॐ गं गणपतये नमः का यथाशक्ति जप करें 
  • उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की प्रार्थना करें 
  • अर्पित किया हुआ धागा अपनी कलाई में माता पिता या गुरु से बंधवा लें 
  • यह प्रयोग गणेश महोत्सव में एक बार करें 

तो इन सरल उपायों से कीजिए गणपति को खुश क्योंकि बाप्पा आपके सारे कष्ट हरेंगे.

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