शनि जयंती हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो इस साल मंगलवार, 27 मई को मनाई जाएगी. इस दिन को भगवान श्री शनि देव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. शनि देव को हिंदू धर्म में न्याय के देवता और नवग्रहों में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है.
शनि देव के जन्म की कथा श्री स्कंद पुराण के पंचम अवंती खंड के "क्षातासंगममहात्म्यं" नामक 67वें अध्याय के श्लोक क्रमांक 46 से 55 तक विस्तार से वर्णित है. बताया जाता है कि यह कथा उज्जैन में स्थित त्रिवेणी संगम से जुड़ी हुई है, जिसे शनि देव का जन्मस्थान माना गया है.
शनि देव का जन्मस्थान
शनि देव का जन्म उज्जैन के त्रिवेणी संगम पर हुआ था, जहां क्षाता, शिप्रा और एक अन्य नदी मिलती हैं. यह स्थान आज नवग्रह त्रिवेणी शनि मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो नवग्रहों की पूजा का प्रमुख केंद्र है. यहा शनि देव की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई है.
सूर्य देव और संध्या देवी की कथा
शनि देव की उत्पत्ति सूर्य देव और उनकी पत्नी संध्या देवी से जुड़ी हुई है. संध्या देवी, विश्वकर्मा जी की पुत्री थीं और सूर्य देव की पत्नी बनीं. लेकिन सूर्य देव का प्रचंड तेज सहन कर पाना संध्या के लिए असंभव हो गया. इस कठिनाई के चलते उन्होंने एक उपाय निकाला. उन्होंने अपनी एक छाया प्रतिकृति बनाई, जिसे "छाया" कहा गया, और उसे सूर्य देव की सेवा में भेजकर खुद अपने पिता के घर चली गईं.
छाया और सूर्य देव की संतानें
छाया ने सूर्य देव के तेज को सहा और उनसे शनि देव और तापी नामक पुत्री को जन्म दिया. शनि देव को न्याय का प्रतीक माना जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं. तापी आगे चलकर एक पवित्र नदी के रूप में जानी गईं.
संध्या और सूर्य की संतानें
वहीं, सूर्य देव और संध्या देवी से जन्मीं संतानें थीं:
अश्विनीकुमारों की उत्पत्ति की कथा
जब संध्या देवी सूर्य के तेज से परेशान होकर अपने पिता के घर पहुंचीं, तो विश्वकर्मा जी को यह व्यवहार स्वीकार नहीं हुआ. संध्या फिर महाकाल वन चली गईं और वहां घोड़ी का रूप लेकर सूर्य से मुक्ति पाने के लिए तपस्या करने लगीं. सूर्य देव ने जब यह जाना, तो वे स्वयं घोड़े का रूप लेकर वहां पहुंचे. इस अद्भुत संयोग से अश्विनीकुमार उत्पन्न हुए, जो आगे चलकर देवताओं के चिकित्सक बने.
शनि देव और नवग्रहों में उनका महत्व
नवग्रहों में शनि देव का विशेष स्थान है. इन्हें कर्मों के फलदाता और न्याय के देवता माना जाता है. उज्जैन के नवग्रह त्रिवेणी मंदिर में शनि देव के साथ श्री गणेश, बालाजी हनुमान और अन्य ग्रहों की भी पूजा होती है. शनि देव की पूजा से व्यक्ति को राज्य सुख, धन और समृद्धि प्राप्त होती है.