Shardiya Navratri 2025 Kanya Pujan: क्यों नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से होता है, जानें किस उम्र की बच्ची को भोजन कराने से क्या मिलता है फल?

Navratri 2025 Kanya Pujan: नवरात्रि में जितना महत्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मां के नौ रूपों की पूजा करने का है, उतना ही कन्या पूजन का भी है. नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से किया जाता है. आइए इसके पीछे का धार्मिक महत्व और किस उम्र की बच्ची को भोजन कराने से क्या मिलता है फल, इसके बारे में जानते हैं?

Navratri Kanya Pujan
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:16 AM IST
  • 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को देवी के रूप में की जाती है पूजा
  • कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी का दिन को सबसे महत्वपूर्ण और माना गया है शुभ 

शारदीय नवरात्रि पर पूरे देश में आस्था की बयार बह रही है. हर तरफ मां दुर्गा के भजन सुनाई पड़ रहे हैं. नवरात्रि में जितना महत्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मां के नौ रूपों की पूजा करने का है, उतना ही कन्या पूजन का भी है. कुछ लोग अष्टमी वाले दिन कन्या पूजन करते हैं तो कुछ नवमी को. कुछ लोग सप्तमी और दशमी को भी कन्या पूजन करत हैं. हालांकि शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है. नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से होता है.

क्या है कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कन्या ही देवी का जीवंत स्वरूप हैं. माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराना शुभ माना जाता है. कन्या पूजन को सिद्धिदात्री देवी की पूजा से जोड़ा जाता है, जो नवरात्रि के अंतिम दिन आराधित होती हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब देवताओं ने मां दुर्गा से असुरों के नाश का आग्रह किया तो देवी ने कहा कि कन्याओं के रूप में मेरी पूजा करने से ही शक्ति की प्राप्ति होती है. महिषासुर वध के उपरांत देवताओं ने कन्याओं की पूजा कर मां दुर्गा को धन्यवाद दिया था. तभी से नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन से करने की परंपरा चली आ रही है.

दो बालकों को भी पूजा जाता है
कन्या पूजन में 2 से 10 साल के बीच की बच्चियों को घर बुलाकर उनके पैर धोकर मां की पसंद का खाना खिलाया जाता है. कन्या पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. कन्या पूजन में नौ बालिकाओं के साथ दो बालकों को भी पूजा जाता है. इसके पीछे की कहानी ये है कि जहां बालिकाओं को माता रानी का स्वरूप माना जाता है, वहीं बालकों को भगवान गणेश और भैरव बाबा का रूप माना जाता है.

कन्या पूजन की विधि
1. कन्या पूजन के एक दिन पहले सभी कन्याओं को घर आने के लिए आमंत्रित करें.
2. कन्या पूजन के दिन नौ से अधिक कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ होता है.
3. कन्या पूजन के लिए हलवा और पूड़ी का प्रसाद तैयार करें.
4. कन्याएं और बटुक (छोटे लड़के) घर आ जाएं, तो उनका जल से पैरे धोएं और उनके चरण स्पर्श करें.
5. उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं.
6. फिर उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं. इसके बाद कन्याओं और लड़कों की कलाइयों पर मौली बांधें.
7. इसके बाद फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
8. अंत में उन्हें गिफ्ट्स दें. उनके पैर छुएं और उन्हें उनके घर भेजने जाएं.

कन्या पूजन से मिलते हैं ये लाभ
1. घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है.
2. सभी प्रकार के संकट और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
3. परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
4. नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.

किस उम्र की कन्या की पूजा से क्या मिलता है फल
1. शास्त्रों में अलग-अलग उम्र की कन्या पूजन को लेकर विशेष महत्व बताया गया है.
2. दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. मान्यता है कि इनके पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं.
3. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती हैं. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से घर में धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
4. चार साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है. नवरात्रि में इनका पूजन करने और भोजन कराने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
5. पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
6. छह वर्ष की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है. इनका पूजन करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है.
7. सात वर्ष की कन्या को चंडिका का रूप माना जाता है. इनकी पूजा करने से घर में धन-दौलत की कमी नहीं होती है.
8. आठ वर्ष की कन्या को शांभवी कहा जाता है. नवरात्रि इन्हें भोजन कराने से लोकप्रियता की प्राप्ति होती है.
9. नौ वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. इस उम्र की कन्या का पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं.
10. दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती हैं.

 

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