नवरात्रि के नवमी दिन का महत्व विशेष है. मां सिद्धिदात्री, जो सिद्धियों को प्रदान करती हैं की पूजा इस दिन की जाती है. इस दिन को संपूर्णता का प्रतीक माना जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.
इस दिन कमल के फूल पर बैठी देवी का ध्यान करना चाहिए और उन्हें सुगंधित फूल अर्पित करने चाहिए. मंत्र 'ओम सिद्धिदात्री दैव्य नमः' का जप करने से विशेष लाभ मिलता है. इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी 1 अक्टूबर 2025 को है. ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि यदि पूरी नवरात्रि पूजा न की हो, तो केवल नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी देवियों की पूजा का फल मिल सकता है. मां दुर्गा का महिषासुरमर्दिनी स्वरूप असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है.महिषासुरमर्दिनी का शाब्दिक अर्थ है महिषासुर का अन्त करने वाली.
पूजा विधि और भोग
मां सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए पूजा विधि में हवन, जाप और भोग का विशेष महत्व है. पूजा में हलवा, पूड़ी, चने, नारियल, मौसमी फल और खीर का भोग लगाया जाता है. मां को 27 पान के पत्ते और सफेद मिठाई चढ़ाना शुभ होता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ और निर्वाण मंत्र का जाप सिद्धियों को प्राप्त करने में सहायक है. ओम आयंग लीन क्लीन चामुण्डाय विच मंत्र का जाप करें. स्वास्थ्य समस्याओं के निदान के लिए नारियल को सिर से 21 बार उतारकर मंदिर में हवन की अग्नि में स्वाहा करें. धन की स्थिति मजबूत करने के लिए लाल रिबन से बंधा झाड़ू महालक्ष्मी मंदिर में चढ़ाएं.
नवमी तिथि पर हवन का विधान
नवरात्रि की पूर्णता के लिए नवमी तिथि पर हवन किया जाता है. महानवमी पर हवन का मुहूर्त 1 अक्टूबर 2025 की सुबह 06:14 से शाम 06:07 बजे तक रहेगा. हवन सामग्री में जौ, काला तिल और घी मिलाकर देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन करें. विशेष लाभ के लिए मखाने, खीर, काली सरसों, माखन-मिश्री और काले तिल का उपयोग करें. हवन के बाद कन्या पूजन और भोजन का दान करें.