धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक दीपक का दान करना या फिर दीप को जलाकर देव स्थान पर रखना ही दीपदान कहलाता है. पंतपुराण से लेकर अग्निपुराण में दीपदान का महत्व बताया गया है. अग्निपुराण में कहा गया है कि जो मनुष्य देव मंदिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है. पदमपुराण के अनुसार, मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं.
भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है. कहा जाता है कि दीपदान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. मृतकों की सद्धति के लिए दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है. देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी दीपदान किया जाता है. इसके अलावा यम, शनि, राहू और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी दीपदान किया जाता है. सभी स्नान पर और व्रत के समय दीपदान किया जाता है. कार्तिक मास में किया गया दीपदान मां लक्ष्मी की कृपा दिलाता है. दीपावली, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन दीपदान करने का अधिक महत्व बताया गया है.
दीपदान की विधि
दीपदान के लिए मिट्टी, तांबा, चांदी, पीतल या फिर सोने का दीपक लें. दीपक को अच्छी तरह से साफ कर लें. मिट्टी के दीपक को पहले पानी में भिगोकर सुखा लें. प्रदोषकाल या फिर सूर्यास्त के बाद दीपक में तेल, गाय का घी, बत्ती, चावल अथवा गेहूं लेकर मंदिर जाएं. घी के दीपक में रुई की बत्ती का प्रयोग करें. तेल के दीपक में लाल धागे या फिर कलावा का प्रयोग करें. दीपक को हमेशा चावल, गेहूं, सप्त धन्य का आसन दें. उसके बाद तेल का दीपक शिवलिंग के समक्ष रखें. घी का दीपक श्री हरि नारायण के समक्ष रखें. उसके बाद दीपक मंत्र पढ़ते हुए दोनों दीप प्रज्ज्वलित करें. दीपक को प्रणाम करें.
मंत्रों का उच्चारण
हिंदू धर्म में हर मांगलिक कार्य के लिए मंत्र हैं. कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान इन मंत्रों का उच्चारण बेहद अनिवार्य है. उसी प्रकार शाम के समय घर पर दीपक जलाते समय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में कल्याण होगा और लाभ मिलेगा. दीप जलाते समय निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें.
1. दीपों ज्योति परंब्रह्मा दीपों ज्योतिर्जनार्धन, दीपो हरित मा पाप संध्यादीप नमोस्तुते.
2. शुभ करोत कल्याणम, आरोग्यम धन सम्पदा, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपकाय नमो सुथे.
3. तो सार्जम चवर्ती संयुत्तम महनिना ज्योतिषमय दीपम ग्रहण देवेशः त्रय लोक्यतिमरापम भक्त्या दीपम रक्षमी देवाय परमात्मने.
4. इन मंत्रों से दीप जलाने से पुण्य कर्मों में बढ़ोतरी होती है और हमारे सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं.
5. शास्त्रीय विधान से दीपदान करने से जीवन की बाधाओं का अंत होता है.
दीपक जलाने का महत्व
हिंदू धर्म में दीपक जलाने का महत्व बताया गया है. सदियों से पूजा के दौरान दीपक जलाए जाते हैं. मान्यता है कि मन्नत का बस एक दीपक जलाने से न केवल भगवान खुश होते हैं बल्कि आपकी हर मनोकामना भी पूरी होती है. दीपक जलाने का शास्त्रीय विधान धर्मशास्त्रों में लिखा गया है. वेदों में अग्नि को पूजनीय माना जाता है, जो यज्ञ हवन में प्रज्जवलित होती है. अग्नि नकारात्मकता मिटाती है और देवताओं से साक्षात्कार करवाती है. पूजा के दीपक से शुभता बरसती है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे जलाएं दीपक
मान्यता है कि घर में दीपक जलाने से वास्तु दोष दूर होते हैं.वास्तुशास्त्र के मुताबिक घर की हर दिशा में दीपक जलाने के अलग-अलग मायने होते हैं. पूर्व दिशा में जलाया गया दीपक आयु में वृद्धि करता है. पश्चिम दिशा में जलाया गया दीपक दुख बढ़ाता है. उत्तर दिशा में जलाया गया दीपक धन लाभ कराता है. दक्षिण दिशा में जलाया गया दीपक धन और जन हानि कराता है.
पूजा के समय कैसा हो दीपक
पूजा के समय दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बातियां हो, ये जानना भी बहुत जरूरी है. शनिदेव, राहू, क्षेत्रपाल और भूत-प्रेत के लिए सरसों के तेल से दीपक जलाना चाहिए. वनस्पतियों के लिए तिल का दीपक जलाना चाहिए. देवता घी के दीपक से प्रसन्न होते हैं. नवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण तिथियों पर घी का दीपक बनाकर दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
अखंड सौभाग्य के लिए के तेल का दीप जलाएं.राहु-केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाएं. इष्ट या कुलदेव के सामने घी का दीपक जलाएं. अखंड दीप के लिए हमेशा घी या तिल के तेल का इस्तेमाल करें. हनुमत कृपा पाने के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाएं. शनि कृपा पाने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाएं. भैरव की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल का दीप जलाएं.
विशेष कामनाओं के लिए दीपक
शास्त्रों में बताया गया है कि अलग-अलग देवताओं की कृपा पाने के लिए अलग-अलग बत्ती से दीपक को जलाने का विधान है. देवी के पूजन में एक बाती का दीपक जलाएं. शिवरात्रि में भगवान शिव का पूजन करते समय एक बाती का दीपक जलाएं. चतुर्मुखी दीपक विशेष कामना की पूर्ति के लिए जलाएं. मां भगवती की आराधना में दो बत्ती का दीपक जलाएं.
मां सरस्वती की पूजा में दो बत्ती का दीपक जलाएं. प्रथम पूज्य गणपति की कृपा पाने के लिए तीन बत्ती का दीपक जलाएं. भैरव की प्रसन्नता के लिए चार मुखी दीपक जलाएं. मुकदमे में विजय और कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए पंचमुखी दिया जलाएं. मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सात मुखी दीया जलाएं. भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ मुखी दीपक जलाएं. दशावतार की प्रसन्नता के लिए 10 मुखी दीपक जलाएं और भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए 16 मुखी दीप जलाएं.