Shardiya Navratri: संतान सुख पाने और मंगल दोष दूर करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, जानें इनकी महिमा और पूजन विधि

Maa Skandmata: नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की उपासना उन लोगों के लिए विशेष कल्याणकारी है, जो संतान सुख से वंचित हैं. आइए जानते हैं  स्कंदमाता की महिला और पूजन विधि. 

Maa Skandmata
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा का विशेष महत्व है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं. इस बार 27 सितंबर को मां स्कंदमाता की आराधना की जाएगी. धर्मग्रंथों और पुराणों के अनुसार मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख प्राप्ति संभव है. विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए यह पूजा फलदायी है. जो संतान सुख से वंचित हैं. ज्योतिषीय उपायों और विधिवत पूजा से संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर हो सकती हैं.

मां स्कंदमाता की महिमा
मां स्कंदमाता को वात्सल्य और प्रेम की देवी माना जाता है. उनकी पूजा से भक्तों को परम शांति और सुख का अनुभव होता है. मां स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कमल के पुष्प पर विराजमान होती हैं. उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय भी विराजमान हैं. उनकी पूजा से बृहस्पति ग्रह से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और संतान प्राप्ति की हर बाधा समाप्त हो जाती है.

संतान सुख प्राप्ति के ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिष के अनुसार कुंडली के पांचवें, नौवें और ग्यारहवें भाव संतान से संबंधित होते हैं. इन भावों की स्थिति खराब होने पर संतान प्राप्ति में बाधा आती है. इसके अलावा मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह की स्थिति भी संतान सुख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से मंगल दोष का निवारण होता है. मंगल दोष से पीड़ित जातक स्कंदमाता की पूजा से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. ज्योतिषीय उपायों में गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाना, लाल रंग की चुन्नी अर्पित करना और पीले वस्त्र धारण करना शामिल है.

विशेष पूजा विधि और मंत्र
मां स्कंदमाता की पूजा में नैवेद्य, धूप, दीप, फल, प्रसाद, वस्त्र और सुगंध का उपयोग किया जाता है. खीर का भोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. पूजा के दौरान 'ओम दुम दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें. संतान प्राप्ति के लिए नारियल अर्पित करें और उसे पीले कपड़े में लपेटकर शयन कक्ष में रखें. मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.

सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ
मां स्कंदमाता की पूजा से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में नाम, यश और प्रतिष्ठा भी बढ़ती है. विद्यार्थियों के लिए यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी है. मां बागेश्वरी के स्वरूप की आराधना से वाणी में तेज आता है और सत्य वाणी में विराजमान रहता है. नवरात्रि के इस पावन समय में मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को शक्ति, सुख और संतान सुख प्राप्त होता है. देवी की कृपा से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव है. मां की आराधना करें और उनकी कृपा से अपने जीवन को सुखमय बनाएं.


 


 

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