Taale wale Mahadev: संगम नगरी का अनोखा शिव मंदिर! ताले में बंद है मन्नतों की चाबी! लाखों ताले लगाने की क्या है मान्यता?

सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मंदिर में रुद्राभिषेक, मामयज्ञ, और बर्फ से शिवलिंग बनाए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. भक्त ताले के साथ अपनी मन्नतें मांगते हैं और चाबी अपने साथ रखते हैं.

संगम नगरी का अनोखा शिव मंदिर
gnttv.com
  • प्रयागराज,
  • 17 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

 

संगम नगरी प्रयागराज में एक ऐसा शिव मंदिर है, जो अपनी अनोखी मान्यता के लिए देशभर में मशहूर है. यहां भक्त न तो फूल-माला लेकर आते हैं, न प्रसाद चढ़ाते हैं- बल्कि अपने साथ लाते हैं एक ताला! जी हां, इस मंदिर में भक्त अपनी मन्नत मांगने के लिए ताला लगाते हैं, और मन्नत पूरी होने पर उसे खोलकर ले जाते हैं. नाथेश्वर महादेव मंदिर, जिसे ताले वाले महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, चारों ओर लाखों तालों से सजा हुआ है. यह मंदिर मुट्ठीगंज इलाके में स्थित है और सैकड़ों साल पुराना है. 

ताले में बंद मन्नतों का रहस्य
प्रयागराज के मुट्ठीगंज में बसा नाथेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. यहां मंदिर की दीवारें, खिड़कियां, और दरवाजे तालों से अटे पड़े हैं. मंदिर के अंदर एकमात्र शिवलिंग है, जहां भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. पूजा के बाद, वे अपने नाम का एक ताला लगाकर मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि ताला लगाने से भगवान शिव उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. मन्नत पूरी होने पर भक्त वापस आकर अपने ताले को खोलकर ले जाते हैं. मंदिर के महंत शिवम मिश्रा के अनुसार, यहां अब तक 3000 से ज्यादा ताले लगाए जा चुके हैं, और यह संख्या लगातार घटती-बढ़ती रहती है.

मंदिर की यह परंपरा इतनी अनोखी है कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां ताला लेकर आते हैं. कई भक्त अपने ताले पर निशान लगाते हैं, ताकि मन्नत पूरी होने पर उसे आसानी से पहचान सकें. मंदिर का वातावरण भक्ति और आस्था से भरा है, और हर तरफ तालों की झनकार सुनाई देती है.

500 साल पुराना है यह चमत्कारी मंदिर
नाथेश्वर महादेव मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है. माना जाता है कि इसकी स्थापना मुगल काल में हुई थी, और मंदिर की दीवारों पर अरबी या फारसी में लिखे शिलालेख इसका प्रमाण हैं. मंदिर जमीन से करीब 5 फीट गहराई में बना है, जो इसे और रहस्यमयी बनाता है. महंत शिवम मिश्रा बताते हैं कि यह मंदिर नाथ संप्रदाय द्वारा स्थापित नौ शिवलिंगों में से एक है, जो इसे और खास बनाता है.

यहां की एक और मान्यता है कि अगर भक्त अगरबत्ती जलाकर 15 मिनट तक भगवान शिव का ध्यान करें, तो उन्हें मंदिर में मौजूत शक्ति का एहसास होता है. स्थानीय भक्त शांभवी त्रिपाठी और तनुज जायसवाल जैसे श्रद्धालु हर सोमवार यहां दर्शन के लिए आते हैं और इस मान्यता की पुष्टि करते हैं.

सावन में लगता है भक्तों का मेला
सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मंदिर में रुद्राभिषेक, मामयज्ञ, और बर्फ से शिवलिंग बनाए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. भक्त ताले के साथ अपनी मन्नतें मांगते हैं और चाबी अपने साथ रखते हैं. मन्नत पूरी होने पर ताला खोलने की प्रक्रिया को भी उत्सव की तरह मनाया जाता है.

क्यों खास है ताले वाली परंपरा?
इस मंदिर की ताले वाली परंपरा का रहस्य कोई नहीं जानता, लेकिन भक्तों का विश्वास इसे जीवंत रखे हुए है. यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि प्रयागराज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा भी है. तालों की यह परंपरा भक्तों के लिए अपनी मन्नतों को भगवान तक पहुंचाने का एक अनोखा जरिया है. यह मंदिर उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है, जो अपनी जिंदगी में विश्वास और भक्ति की शक्ति को समझते हैं.

कैसे पहुंचें नाथेश्वर महादेव मंदिर?
नाथेश्वर महादेव मंदिर प्रयागराज के मुट्ठीगंज इलाके की गलियों में स्थित है. यह शहर के व्यस्ततम बाजार में बसा है, फिर भी इसका शांत और भक्तिमय वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है. प्रयागराज रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 5-6 किमी है, और आप ऑटो या रिक्शा लेकर आसानी से यहां पहुंच सकते हैं.

(इनपुट: पंकज श्रीवास्तव)
 

 

Read more!

RECOMMENDED