Utpanna Ekadashi है 15 नवंबर को... इस दिन से आप एकादशी व्रत का कर सकते हैं शुभारंभ... जानें उत्पन्ना एकादशी क्यों है सबसे उत्तम और क्या है पूजा विधि 

Ekadashi Vrat Shuru krne ke Niyam: इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर को है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. यदि कोई श्रद्धालु एकादशी व्रत का शुभारंभ करने वाला है तो उसके लिए उत्पन्ना एकादशी सबसे उत्तम है. आइए जानते हैं क्यों? 

Ekadashi Vrat
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:16 PM IST
  • उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की करें पूजा
  • मार्गशीर्ष एकादशी को ही देवी एकादशी की हुई थी उत्पत्ति

हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) का बहुत महत्व है. हर माह में दो बार एकादशी, एक बार कृष्ण पक्ष और दूसरी बार शुक्ल पक्ष को पड़ती है. इस तरह एक साल में 24 एकादशी तिथियां आती हैं. एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. एकादशी का व्रत शुरू करने के कुछ नियम है. इसे किसी भी दिन दिन से शुरू नहीं कर सकते हैं. एकादशी का व्रत शुरू करने के लिए उत्पन्ना एकादशी सबसे उत्तम है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है.

कब रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी का व्रत  
हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह यानी अगहन की कृष्ण पक्ष की पहली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. इस साल मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि 15 नवंबर को मध्यरात्रि 12:49 बजे से लेकर 16 नवंबर 2025 को 02:37 बजे तक है. ऐसे में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर 2025 को रखा जाएगा. यह दिन एकादशी की शुरुआत करने के लिए बेहद शुभ है.

आखिर क्यों शुरू करते हैं उत्पन्ना एकादशी से एकादशी का व्रत
पौराणिक कथा के मुताबिक मार्गशीर्ष एकादशी को ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. देवी एकादशी ने विश्राम कर रहे भगवान विष्णु की रक्षा दैत्य मुर से की थी. देवी एकादशी के हाथों मुर मारा गया था. इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उस देवी से कहा कि आपकी उत्पत्ति एकादशी को हुई है, इसलिए एकादशी के दिन आपकी भी पूजा की जाएगी. यह एकादशी उत्पन्ना एकादशी कहलाएगी. इस वजह से उत्पन्ना एकादशी के दिन से एकादशी व्रत का शुभारंभ करना उत्तम माना जाता है. 

एकादशी व्रत के नियम
1. एकादशी व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को दो दिन पहले से ही सात्विक भोजन शुरू कर देना चाहिए. 
2. प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए. 
3. इस दिन सुबह स्नान ध्यान करने के बाद भगवान विष्णु का नमन कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. 
4. इसके बाद विष्णु भगवान और एकादशी देवी की पूजा करनी होती है. 
5. भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले वस्त्र और पीले फल अर्पित करना शुभ माना गया है. 
6. एकादशी व्रत रखने वालो को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. 
7. एकादशी की रात भजन-कीर्तन कर सकते हैं.
8. एकादशी व्रत कथा जरूर सुनें.
9. एकादशी व्रत निर्जला नहीं है, इसमें पूरे दिन फलाहार करते हैं.
10. द्वादशी तारीख में एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए. 
11. एकादशी व्रत के पारण से पहले किसी ब्राह्मण को अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार दान करना चाहिए. 
12. आप पूरे 12 माह यानी 24 एकादशी तक व्रत कर सकते हैं. 
13. उसके बाद एकादशी व्रत का उद्यापन कर सकते हैं.


 

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