सत्यनारायण व्रत और कथा सदियों से धरतीवासियों का कल्याण करती आ रही है. माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन की सभी परेशानियाँ समाप्त होती हैं. ज्योतिष के अनुसार सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके इंसान अपने तमाम दुखों से मुक्ति पा सकता है.
पूजा की विधि-
सत्यनारायण व्रत की पूजा विधि में सबसे पहले भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इसके बाद एक विद्वान को बुलाकर पूजा का आयोजन किया जाता है. परिवार के सभी सदस्य, रिश्तेदार और मेहमान मिलकर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हैं. कथा के बाद हवन और प्रसाद वितरण होता है.
पूजा का समय-
सत्यनारायण व्रत की पूजा किसी भी माह की पूर्णिमा, बृहस्पतिवार या किसी बड़े संकट के समय की जा सकती है. विशेष उद्देश्यों के लिए यह पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है.
जीवन में चमत्कारी बदलाव-
सत्यनारायण व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. यह व्रत दांपत्य जीवन को मधुर बनाता है और संतान संबंधी समस्याओं का समाधान करता है. भगवान विष्णु के सत्यरूप की उपासना से जीवन में सत्य का आगमन होता है और सभी प्रकार की कमी दूर होती है.
विशेष महत्व-
सत्यनारायण व्रत का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. भगवान विष्णु ने नारद मुनि को इस व्रत का महत्व बताया था. यह व्रत कलयुग में सबसे सरल, प्रचलित और प्रभावशाली पूजा मानी गई है. ज्योतिष के अनुसार सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग व्रत पूजन और सत्यनारायण की कथा होते हैं.
सत्यनारायण व्रत का आयोजन-
आमतौर पर लोग कोई मन्नत पूरी होने पर सत्यनारायण की कथा और व्रत का आयोजन करते हैं. यदि आपके मन में कोई ऐसी कामना है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है, तो सत्यनारायण की उपासना ही आपकी मनोकामना की सिद्धि करेगी.
सत्यनारायण व्रत का महत्व गृह शांति, सुख समृद्धि, शीघ्र विवाह, सुखद वैवाहिक जीवन, संतान के जन्म और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. भगवान विष्णु के सत्यरूप की उपासना से जीवन में चमत्कारी बदलाव आते हैं.
ये भी पढ़ें: