Do You Know: पूजा में शंख क्यों बजाया जाता है? जानिए इसका पौराणिक महत्व और धार्मिक मान्यता

पूजा अर्चना के दौरान शंख बजाया जाता है. शंख का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है. भगवान विष्णु इसे अपने हाथ में धारण करते हैं. शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन में हुई थी. शंख बजाने से हर धार्मिक अनुष्ठान पूरा माना जाता है. कहा जाता है कि इससे घर में सकारात्मकता आती है.

पूजा पाठ में शंख (Photo Credit: Getty)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:43 PM IST
  • समुद्र मंथन में हुई थी शंख की उत्पत्ति
  • शंख से पूरा होता है धार्मिक अनुष्ठान
  • शंख समृद्धि और शांति का प्रतीक

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का काफी ज्यादा महत्व है. हिन्दू धर्म में अच्छा हो या बुरा, पूजा-पाठ जरूर किया जाता है. माना जाता है कि पूजा-पाठ करने से भगवान खुश होते हैं. सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान  श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. पूजा-अर्चना के दौरान फल, फूल, धूप, दीपक और तिल समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा-पाठ के बाद मंदिर और घरों में लोग शंख बजाते है. हर मंदिर में आपको शंख जरूर देखने को मिल जाएगा. क्या आपको पता है कि पूजा में शंख क्यों बजाता है? आइए इस बारे में जानते हैं.

हिंदू धर्म में शंख का विशेष स्थान है. यह न सिर्फ पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का अहम हिस्सा है बल्कि इसे शुभता, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. चाहे मंदिर की आरती हो, घर की पूजा हो या किसी बड़े पर्व की शुरुआत, शंखनाद के बिना कोई भी अनुष्ठान अधूरा माना जाता है.
शंख बजाने की परंपरा हजारों साल पुरानी है. इसका उल्लेख वेदों, पुराणों और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है.

कैसे हुई शंख की उत्पत्ति?

  • शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है. इसे सागर मंथन के समय उत्पन्न 14 रत्नों में से एक माना गया है. हिंदू धर्म में शंख को विशेष पवित्रता दी गई है.
  • शंख को बजाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. यह आध्यात्मिक जागरण, धन-संपत्ति की बढ़ोतरी और शांति का प्रतीक है.
  • समुद्र मंथन के दौरान शंख भगवान विष्णु को प्राप्त हुआ था. तभी से इसे विष्णु का प्रिय शस्त्र और वाद्य माना जाता है. शंख भगवान विष्णु के हाथ में पंचजन्य शंख के रूप में हमेशा रहता है.
  • महाभारत युद्ध में हर योद्धा का शंख विशेष महत्व रखता था. भगवान कृष्ण का शंख पंचजन्य है. अर्जुन  शंख देवदत्त, भीष्म का शंख प्रतिप्रश्व और युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजय है.
  • पुराने जमाने में युद्ध की शुरुआत और विजय का संदेश शंखनाद से ही किया जाता था. शंख का इस्तेमाल घर में शुद्धि और सुरक्षा कवच के रूप में भी किया जाता है.

क्यों बजाते हैं शंख?

  • पूजा की शुरुआत में शंख बजाने से देवताओं को आमंत्रित किया जाता है. यह संकेत होता है कि पूजा का समय शुरू हो गया है.
  • शंखनाद को मंगल ध्वनि माना गया है. इसे बजाने से घर में सुख-समृद्धि और सफलता आती है. मान्यता है कि शंख की आवाज से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियां भाग जाती हैं.
  • हर धार्मिक अनुष्ठान में शंख बजाना अनिवार्य होता है. शंखनाद से मन और एनवॉयरमेंट दोनों पवित्र हो जाते हैं. इससे पूजा में ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है.
  • पूजा के समय विशेष रूप से सुबह और शाम शंख बजाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि भोजन के समय शंख नहीं बजाना चाहिए. ऐसा करने से घर में अशुभ प्रभाव पड़ता है.
  • शंख को हमेशा पवित्र स्थान में रखें और इसे साफ-सुथरा बनाए रखें. शंख कई तरह के होते हैं- दक्षिणावर्ती शंख, वामावर्ती शंख और गणेश शंख.
शंख बजाने के फायदे (Photo Credit: Getty)

क्या हैं शंख बजाने के फायदे?

  • शंख बजाना सिर्फ धार्मिक कारणों से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद लाभकारी है. जब शंख बजाया जाता है तो इससे अल्ट्रासोनिक तरंगें निकलती हैं.
  • ये अल्ट्रासोनिक तरंगें एनवॉयरमेंट की हवा को साफ करती हैं और बैक्टीरिया को नष्ट करती है. शंख बजाते समय गहरी सांस लेकर जोर से फूंकना पड़ता है.
  • शंख बजाने से फेफड़ों की एक्सरसाइज होती है. इससे सांस लेना आसान हो जाता है. अस्थमा और दिल से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है.
  • शंख बजाने से दिमा की तंत्रिकाओं को उत्तेजना मिलती है. इससे मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद दूर होती है.
  • शंख से पैदा हुई तरंग 2 हजार हर्ट्ज से ज्यादा फ्रीक्वेंसी की होती हैं. ये तरंगें नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं.

शंख बजाना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. शंख सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और सेहत को भी फायदा होता है. यही कारण है कि हजारों वर्षों से मंदिरों और घरों में पूजा-पाठ के दौरान शंख बजाने की परंपरा चली आ रही है. यदि इसे सही समय और विधि से बजाया जाए तो यह जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आता है.

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