Sawan 2025: 11 जुलाई से शुरू होगा सावन का महीना... महादेव के इस प्रिय माह में क्यों नहीं खाने चाहिए दूध-दही...कढ़ी... प्याज-बैंगन और हरी पत्तेदार सब्जियां... यहां जानिए कारण

Sawan Rules for Eating: सावन केवल पूजा-पाठ का महीना ही नहीं, बल्कि यह शरीर और मन की शुद्धि का भी माह माना जाता है. शास्‍त्रों में सावन में खानपान को लेकर कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. आइए उन चीजों के बारे में जानते हैं, जिन्हें सावन में नहीं खाने चाहिए.

Mahadev
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST
  • शास्‍त्रों में सावन में खानपान को लेकर बताए गए हैं विशेष नियम 
  • दही और इससे बनी चीजों को खाने से हो सकती है पेट में गैस और अपच जैसी समस्याएं

Sawan me Khane Ke Niyam: हर साल की तरह इस बार भी सावन का महीना शिव भक्तों के लिए श्रद्धा, तपस्या और आस्था का विशेष समय लेकर आ रहा है. जब धरती हरियाली ओढ़ लेती है और आकाश से बूंदें शिवाभिषेक करती हैं, तब आता है सावन. यह महीना भगवान शिव की भक्ति का पावन महीना है.

इस साल 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक सावन का यह पवित्र माह चलेगा. यह पावन समय न सिर्फ मनोकामनाओं की सिद्धि देता है, बल्कि हमें समय, शुद्धता और स्वास्थ्य की ओर लौटने का भी अवसर देता है. सावन हमें याद दिलाता है, जब प्रकृति बदलाव होता है तो जीवन शैली को भी  बदलना जरूरी है. शास्‍त्रों में सावन में खानपान को लेकर विशेष नियम बताए गए हैं. आइए उन चीजों के बारे में जानते हैं, जिन्हें सावन में नहीं खाने चाहिए. 

1. सावन में कढ़ी, रायता और दूध-दही क्यों नहीं खाने चाहिए?
सावन का महीना सिर्फ भक्ति और हरियाली का ही नहीं बल्कि एक ऐसा मौसम भी होता है, जब हवा में नमी बढ़ जाती है और मौसम ठंडा हो जाता है. इसी बदलाव  का असर सबसे पहले हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है. इस मौसम में पाचन-तंत्र कमजोर हो जाती है. ऐसे में दही से बनी चीजें जैसे कढ़ी और रायता पेट में गैस, एसिडिटी और अपच  जैसी समस्याएं बढ़ा सकती हैं. इसके साथ ही सावन में हर जगह घास तेजी से उगती है, जिन्हें गाय-भैंस चरती हैं लेकिन इस घास में कीड़े-मकोड़े और बैक्टीरिया होते हैं, जो दूध की  शुद्धता को बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में दूध या उनसे बनी चीजें खाने से इन्फेक्शन या पेट संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए सावन में दूध, दही और कढ़ी न खाएं. इसका आधार सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि पूरी तरह स्वास्थ्य और वैज्ञानिक समझ से जुड़ा हुआ है.

2. सावन में साग क्यों नहीं खाना चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव जी को प्रकृति से बेहद प्रेम है, इसलिए सावन के महीने में हरी पत्तेदार सब्जियां खाना अशुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव जी नाराज हो जाते हैं. उधर, दूसरी ओर वैज्ञानिकों का मानना है कि सावन के महीने में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से पित्त और पाचन जैसी समस्याएं होने लगती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक हो सकता है.

3. सावन में बैंगन क्यों नहीं खाना चाहिए?
सावन का महीना में सात्विक आहार का विशेष महत्व होता है. बैंगन को तामसिक श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है, ऐसा भजन जो शरीर में सुस्ती, मानसिक अशांति और आलस पैदा करता है. धार्मिक रूप से यह माना जाता है कि सावन माह में भगवान शिव को सात्विक और शुद्ध चीजें अर्पित करनी चाहिए. ऐसे में बैंगन जैसे तामसिक पदार्थ का प्रयोग न तो भोग में होता है और न ही व्रत में. वही वैज्ञानिक नजरिया से देखा जाए तो सावन में लगातार बारिश के कारण खेतों में नमी बनी रहती है. इससे बैंगन सहित  कई सब्जियों में कीड़े, बैक्टीरिया और फफूंद का विकास तेजी से होता है. बैंगन ऐसी सब्जी है जिसमें कीड़े अंदर छिपे होते हैं और बहार से साफ दिखता है. बैंगन के उत्पादक में  कीट नाशकों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए सावन में बैंगन नहीं खाना चाहिए.  

4. सावन में प्याज क्यों नहीं खाएं?
सावन का महीना सिर्फ व्रत और भक्ति कहीं नहीं, बल्कि  तन, मन और भोजन  के शुद्धिकरण का भी माह माना जाता है. वर्षा ऋतु में जैसे धरती नम और भारी हो जाती है, वैसे ही मानव शरीर का पाचन तंत्र भी धीमा और संवेदनशील हो जाता है. इस मौसम में आयुर्वेद के अनुसार पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिससे  भोजन को पचाना कठिन हो जाता है. लहसुन और प्याज की गिनती उन खाद्य पदार्थों में होती है, जिनकी तासीर गर्म होती है. यह शरीर में गर्मी को बढ़ता है. जिस कारण पेट फूलना, गैस बनना, भारीपन और अपच जैसी समस्याएं हो जाती हैं. ऐसे में सावन के महीने में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. 

5. बरसात में तला-भुना खाने के नुकसान?
बरसात के  मौसम में गरमा-गरम समोसे, पकौड़े और मसालेदार खाने की खुशबू भले ही लुभाती हो, लेकिन यही स्वाद धीरे-धीरे आपके शरीर पर भारी पड़ सकता है. इस मौसम में वातावरण में नमी बढ़ने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिससे पेट खाना पचा नहीं पाता है. ऐसे में यदि आप अधिक तला-भुना, तीखा और नमकीन भोजन करते हैं तो तो गैस, पेट फूलना, एसिडिटी और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इसके साथ ही  फोड़े-फुंसी और एलर्जी जैसे लक्षण भी पैदा कर सकता है. मॉनसून में सबसे ज्यादा सेहत को प्राथमिकता देनी जरूरी है. 

(ये स्टोरी पूजा कदम ने लिखी है. पूजा जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं.) 


 

Read more!

RECOMMENDED