Gobar Rakhi for Rakshabandhan: जमशेदपुर की महिलाओं ने गाय के गोबर से बनाई राखी, प्रधानमंत्री मोदी को भेजीं 10 हजार राखियां, ऑपरेशन सिंदूर से मिली प्रेरणा

गाय के गोबर से बनी इन राखियों से न सिर्फ प्लास्टिक और केमिकल से बनी चाइनीज राखियों को टक्कर मिल रही है, बल्कि यह गोवंश की रक्षा का भी एक प्रयास है. जिन घरों से महिलाएं गोबर लेती हैं, उन्हें इसके बदले पैसे भी देती हैं ताकि वे गायों की सही देखभाल कर सकें.

Gobar Rakhi for Rakshabandhan

रक्षाबंधन के खास मौके पर झारखंड के जमशेदपुर से एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल सामने आई है. यहां की महिलाओं ने गाय के गोबर से राखी बनाकर देश में आत्मनिर्भरता, पर्यावरण सुरक्षा और महिला सम्मान का संदेश दिया है. इन महिलाओं का कहना है कि उन्होंने यह राखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित की है, जिन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया.

क्या है खास इस गोबर से बनी राखी में?
जमशेदपुर की सीमित संसाधनों वाली महिलाओं ने मिलकर गोबर की राखी तैयार करने की प्रक्रिया को न सिर्फ एक स्वरोजगार के रूप में अपनाया है, बल्कि इससे चाइनीज राखियों के बहिष्कार का भी संदेश दिया है. राखी बनाने की प्रक्रिया सुबह 4 बजे से शुरू होती है — सबसे पहले गाय के गोबर को सुखाकर उसका चूर्ण बनाया जाता है, फिर उसमें गोंद मिलाकर आटे जैसा मिश्रण तैयार होता है. इसके बाद सांचों में ढालकर सूखाया जाता है और रंगों से सजाकर धागे में बांधा जाता है. यह राखियां देखने में सुंदर होने के साथ-साथ सस्ती (10-20 रुपये) और एलर्जी-फ्री भी होती हैं.

क्या कहती हैं महिलाएं?
सीमा पांडेय कहती हैं, "हमने इस बार चाइनीज राखियों की जगह गाय के गोबर से बनी राखी बनाने का संकल्प लिया है. यह राखी केवल एक धागा नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. हमने अब तक 10 हजार से ज्यादा राखियां बनाकर देशभर में भेजी हैं और विशेष रूप से एक राखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी है, क्योंकि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत महिलाओं की सुरक्षा और इज्जत को प्राथमिकता दी."

वहीं, अनीशा पांडेय आगे बताती हैं, "हम युवा लोग आजकल गाय के गोबर को देखकर मुंह सिकोड़ते हैं, लेकिन इसमें कई वैज्ञानिक गुण हैं. यह एलर्जी को खत्म करता है, त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाता और पूरी तरह से नेचुरल होता है. हमने तय किया है कि इस रक्षाबंधन पर अपने भाइयों की कलाई पर सिर्फ गोबर से बनी राखी ही बांधेंगे."
डिज़ाइन को लेकर पूजा महानन्द कहती हैं, "हमने बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों के लिए अलग-अलग डिज़ाइनों में राखी बनाई है. कोई भी व्यक्ति अपनी उम्र और पसंद के हिसाब से राखी पसंद कर सकता है. यह एक नई शुरुआत है, और उम्मीद है कि अगले साल यह पूरे देश में लोकप्रिय होगी."

सिर्फ राखी नहीं, एक क्रांति है यह पहल
गाय के गोबर से बनी इन राखियों से न सिर्फ प्लास्टिक और केमिकल से बनी चाइनीज राखियों को टक्कर मिल रही है, बल्कि यह गोवंश की रक्षा का भी एक प्रयास है. जिन घरों से महिलाएं गोबर लेती हैं, उन्हें इसके बदले पैसे भी देती हैं ताकि वे गायों की सही देखभाल कर सकें.

इन महिलाओं का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी योजनाओं से महिलाओं के जीवन में नया आत्मविश्वास भर दिया है. इसलिए उन्होंने तय किया है कि इस बार वह उन्हें भी एक राखी भेजेंगी- एक बहन की ओर से अपने देश के "बड़े भाई" को.

(रिपोर्ट: अनुप सिन्हा)

 

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