World's Largest Digital Camera: 4000 करोड़ कीमत, 20 साल का लगा वक्त, चांद पर रखी गोल्फ की गेंद देखने की क्षमता... दुनिया के सबसे बड़े कैमरा के बारे में जानिए

अंतरिक्ष को समझने के लिए यह कैमरा अमेरिका के ऊर्जा विभाग की स्टैनफर्ड लीनियर एक्सलरेटर सेंटर नेशनल लैब (SLAC National Laboratory) ने तैयार किया है. इस कैमरे को बनाने की लागत करीब 4000 करोड़ रुपए आई है और इसे तैयार करने में कुल दो दशक का समय लगा.

LSST कैमरे से खींची गई तस्वीरें हाल ही में रिलीज़ हुई हैं.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:45 PM IST

दुनिया के सबसे बड़े कैमरे से खींची गई अंतरिक्ष की तस्वीरें सामने आ गई हैं. चिली के सेरो पाचों पहाड़ पर मौजूद वेरा सी रूबिन ऑब्ज़रवेटरी से ली गई इन तस्वीरों में रंग-बिरंगी गैस के बादल, सितारे और आकाशगंगाएं दिख रही थीं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस कैमरे की बदौलत वे अंतरिक्ष के कई राज़ जान सकेंगे और इस अंतहीन सागर को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे.

यह सब संभव हो पाएगा एक ऐसे कैमरे से जिसे बनाने में 4000 करोड़ का खर्च आया है और 20 साल का वक्त लगा है. आइए जानते हैं उस कैमरे के बारे में जो चांद पर रखी हुई गोल्फ की गेंद को भी देख सकता है. 

अमेरिका में पिछले साल हुआ तैयार
अंतरिक्ष को समझने के लिए यह कैमरा अमेरिका के ऊर्जा विभाग की स्टैनफर्ड लीनियर एक्सलरेटर सेंटर नेशनल लैब (SLAC National Laboratory) ने तैयार किया है. इस कैमरे को बनाने की लागत करीब 4000 करोड़ रुपए आई है और इसे तैयार करने में कुल दो दशक का समय लगा. अप्रैल 2024 में बनकर तैयार हुए इस कैमरे में 1.5 मीटर का एक लेंस लगा है. यह इस काम के लिए बनाया गया सबसे बड़ा लेंस है. 

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क्या है दुनिया के सबसे बड़े कैमरे की खासियत
जिस कैमरे की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है 'लिगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम' कैमरा (Legacy Survey of Space and Time Camera). गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुसार, यह कैमरा न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा है, बल्कि इसकी रेज़ॉल्यूशन भी सबसे ज्यादा है. यानी कि यह दुनिया के किसी भी दूसरे कैमरे से ज्यादा साफ फोटो खींच सकता है. 
 

यह कैमरा पिछले साल अमेरिका में तैयार हुआ था.

आमतौर पर एक फ्लैगशिप फोन में जहां 50 मेगापिक्सल का कैमरा होता है, वहीं इस कैमरा की रेजॉल्यूशन 3200 मेगापिक्सल है. यह और बात है कि आप इस कैमरा को अपनी जेब में रखकर नहीं घूम सकते है. यह कैमरा एक कार के आकार का है और इसका वज़न 2800 किलोग्राम है. इस्तेमाल के लिए इस कैमरा को वेरा सी रूबिन ऑब्ज़रवेटरी में एक टेलिस्कोप से जोड़कर रखा जाता है. 

पहाड़ पर क्यों रखा गया कैमरा?
इस कैमरा को चिली के सेरो पाचों पहाड़ पर रखा गया है. इसकी वजह यह है कि पहाड़ की चोटी से आसमान स्याह दिखता है और हवा रूखी होती है. यह अंतरिक्ष की पड़ताल करने के लिए उचित हालात हैं. इस कैमरे से जो तस्वीरें खींची जाएंगी उन्हें फुल-साइज़ में देखने के लिए 400 अल्ट्रा-एचडी टीवी की ज़रूरत होती. यह कैमरा आने वाले 10 सालों में हर रात 1,000 तस्वीरें खींचेगा. 

वेरा सी रूबिन ऑब्ज़रवेटरी के इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 20 अरब आकाशगंगाओं (Galaxies) की तस्वीरें खींचना है, ताकि ब्रह्मांड का एक अल्ट्रा-वाइड और अल्ट्रा-एचडी टाइम लैप्स बनाया जा सके. जानकारों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष की हमारी समझ को बदल देगा. 

क्या बताती हैं नई तस्वीरें?
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस कैमरे से खींची गई नई तस्वीरों ने दूर-दराज़ की आकाशगंगाओं और अंतरिक्ष की गैसों का एक दिल छू लेने वाला मंज़र क़ैद किया है. इनमें से एक तस्वीर सात घंटे के दौरान लिए गए 678 एक्सपोजर से बनी है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तस्वीर में पृथ्वी से हज़ारों किलोमीटर दूर मौजूद ट्राइफिड नेब्युला और लगून नेब्युला को साफ देखा जा सकता है.
 

LSST की खींची हुई एक तस्वीर

पुरानी तकनीक से जहां ये नेब्युला धुंधले दिखते थे, वहीं अब काले आकाश में इनके ज़ाफरानी रंग को साफ देखा जा सकता है. एक अन्य तस्वीर में आकाशगंगाओं के समूह को देखा जा सकता है जो मिल्की वे (हमारी गैलेक्सी) से 100 गुणा बड़ा है. वैज्ञानिक आने वाले 10 सालों में हर तीन दिन पर रात के आसमान की तस्वीर खींचेंगे ताकि यह देखा जा सके कि सितारे और गैलेक्सी समय के साथ कैसे बदलते हैं. 

ये तस्वीरें वैज्ञानिकों को डार्क मैटर, मिल्की वे गैलेक्सी और हमारे सौर मंडल से जुड़े कुछ सवालों के जवाब से पर्दा उठाने में मदद करेंगी. उन्हें यह भी लगता है कि अगर हमारे सौर मंडल में कोई नौंवा ग्रह है तो यह कैमरा उसे पहले ही साल में ढूंढ लेगा. 

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