Synthetic Crystal: चीन ने बनाया दुनिया का सबसे ताकतवर सिंथेटिक क्रिस्टल, सैटेलाइट को जमीन से मार सकेगा 

BGSe क्रिस्टल का इस्तेमाल सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है. इस तकनीक का उपयोग मेडिकल डायग्नोस्टिक्स, मिसाइल ट्रैकिंग, हवाई जहाजों की पहचान, और हाइपरसेंसिटिव इंफ्रारेड सिस्टम्स में भी किया जा सकता है. यानी ये क्रिस्टल सुरक्षा के साथ-साथ चिकित्सा और स्पेस विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकते हैं.

China laser weapon
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:56 AM IST

क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण दिखने वाला क्रिस्टल, अंतरिक्ष में उड़ते सैटेलाइट्स को जमीन से नष्ट कर सकता है? चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ही सिंथेटिक क्रिस्टल बनाया है जो भविष्य की हाई-पावर लेज़र तकनीक की नींव बन सकता है. इस क्रिस्टल का नाम है बेरियम गैलियम सेलेनाइड (Barium Gallium Selenide- BGSe) और यह क्रिस्टल अब तक का सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर माना जा रहा है.

क्या है BGSe क्रिस्टल और क्यों है यह खास?
चीनी विज्ञान अकादमी (Chinese Academy of Sciences) के शोधकर्ताओं ने इस क्रिस्टल को 60 मिलीमीटर व्यास में तैयार किया है. यह अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा BGSe क्रिस्टल है. इसका आकार लगभग 2.3 इंच है, जो पारंपरिक लेजर क्रिस्टलों के मुकाबले कई गुना बड़ा है.

इस क्रिस्टल की खास बात यह है कि यह बेहद उच्च शक्ति वाली शॉर्ट वेव इंफ्रारेड लेज़र को मिड-टू-फार इंफ्रारेड बीम में बदल देता है. इसका मतलब यह है कि यह बीम आसानी से वातावरण में दूरी तय कर सकती है, जिससे लंबी दूरी तक निशाना साधा जा सकता है.

कितना ताकतवर है यह क्रिस्टल?
BGSe क्रिस्टल 550 मेगावॉट प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक की लेज़र शक्ति सहन कर सकता है, जो मौजूदा मिलिट्री-ग्रेड क्रिस्टलों की तुलना में 10 गुना ज्यादा ताकतवर है. इसका इस्तेमाल हाई-पावर लेज़र हथियारों में किया जा सकता है, जो भविष्य में अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स को जमीन से ही टारगेट करने में सक्षम होंगे.

तकनीक जो बना सकती है ‘स्पेस वार’ का नया चेहरा
BGSe की खोज साल 2010 में चीन के वैज्ञानिकों ने की थी. यह क्रिस्टल उस समय से ही पश्चिमी रक्षा ठेकेदारों के लिए चिंता का विषय रहा है. अमेरिका जैसे देश भी इसे बनाने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन स्केलेबिलिटी यानी बड़े पैमाने पर इसका निर्माण करना अब तक एक बड़ी चुनौती बना हुआ था.
अब चीन ने यह बाधा भी पार कर ली है.

यह क्रिस्टल कैसे बनाया गया?
BGSe क्रिस्टल बनाना आसान नहीं है. इसमें बेहद जटिल और सटीक वैज्ञानिक प्रक्रियाएं शामिल हैं:

  • अल्ट्रा-शुद्ध बेरियम, गैलियम और सेलेनियम को क्वार्ट्ज ट्यूब में वैक्यूम सील कर एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है जिसे Zone Refining कहा जाता है.
  • ट्यूब्स को दो ज़ोन वाली भट्ठी में 1020°C तापमान तक गर्म किया जाता है.
  • फिर धीरे-धीरे एक महीने में क्रिस्टल ठंडे क्षेत्र में जाकर जमता है.
  • उसके बाद इसे 500°C तापमान पर कई दिनों तक रखा जाता है और हर घंटे 5 डिग्री की दर से ठंडा किया जाता है ताकि अंदर कोई दरार या दोष न रह जाए.
  • हीट ट्रीटमेंट (Annealing) और हीरे की आरी से काटने, फिर सेरियम ऑक्साइड से पॉलिश करने जैसी प्रक्रिया इसे उच्च गुणवत्ता देता है.

क्या यह सिर्फ युद्ध के लिए है?
नहीं. BGSe क्रिस्टल का इस्तेमाल सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है. इस तकनीक का उपयोग मेडिकल डायग्नोस्टिक्स, मिसाइल ट्रैकिंग, हवाई जहाजों की पहचान, और हाइपरसेंसिटिव इंफ्रारेड सिस्टम्स में भी किया जा सकता है. यानी ये क्रिस्टल सुरक्षा के साथ-साथ चिकित्सा और स्पेस विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकते हैं.


 

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