Edward Jenner: इस शख्स को बचपन में हो गया था चेचक, बड़ा हुआ तो बना डाला वैक्सीन, वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर की कहानी जानिए

एडवर्ड जेनर ने दुनिया में पहली बार किसी बीमारी का टीका बनाया था. साल 1798 में उन्होंने चेचक का वैक्सीन बनाया. जेनर बचपन में चेचक से संक्रमित हुए थे. साल 1821 में जेनर को किंग जॉर्ज IV का विशेष डॉक्टर बनाया गया था.

वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने चेचक का वैक्सीन बनाया था (Photo/Wikipedia)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2023,
  • अपडेटेड 9:32 AM IST

दुनिया में पहली बार किसी बीमारी के लिए वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर थे. उन्होंने साल 1798 में स्मॉल पॉक्स या चेचक का टीका बनाया था. जिसके लिए दुनिया ने उनको सराहा. लेकिन जब जेनर रिसर्च कर रहे थे, तो उनको इसके लिए काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. इस प्रयोग के लिए उनके साथी वैज्ञानिक और धर्मगुरू खुशी नहीं थे. जेनर का मजाक बनाया गया. लेकिन इसके बावजूद जेनर ने दुनिया को वो वैक्सीन दिया, जो चेचक की बीमारी का इलाज है.

जेनर को बचपन में हुआ था चेचक-
17 मई 1749 को एडवर्ड जेनर का जन्म इंग्लैंड के ग्लूसेस्टरशायर के बर्केले में हुआ था. एक बार बचपन में उनको चेचक हो गया था. जिसका असर उनके सेहत पर आजीवन रहा. हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और सिर्फ 21 साल की उम्र में लंदन में सर्जन बन गए. इसके बाद उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की और जल्द हो वो मशहूर हो गए.

चेचक को लेकर शुरू किया रिसर्च-
एडवर्ड जेनर चेचक की बीमारी को लेकर गंभीर थे. उन्होंने इसको लेकर रिसर्च शुरू किया. काफी रिसर्च के बाद उन्होंने पाया कि दूध का व्यवसाय करने वाले ग्वालों और उनके परिवार पर नहीं हो रहा है. इसके बाद जेनर उन ग्वालों पर अपना रिसर्च फोकस किया. उन्होंने पाया कि ग्वालों में होने वाली बीमारी काउपॉक्स और चेचक में संबंध है और वो चेचक रोधक है.
काउपॉक्स बीमारी से ग्वालों का कुछ खास नुकसान नहीं होता था और वो जल्द इस बीमारी से ठीक हो जाते थे. लेकिन इस रिसर्च में एक बात सामने आई कि जिनको काउपॉक्स बीमारी होती थी, उन ग्वालों को स्मॉल पॉक्स नहीं होता था. यानी वो चेचक की बीमारी से बच जाते थे.

गाय के जरिए जेनर ने बनाया वैक्सीन-
एडवर्ड जेनर ने साल 1796 में काउपॉक्स को लेकर प्रयोग शुरू किया. उन्होंने एक नाबालिग बच्चे जेम्स फ्लिक के बांह में चीरा लगाया. उसमें गाय में होने वाले चेचक के फफोले का मवाद डाल दिया. इसका मतलब कि वो लड़का काउपॉक्स से संक्रमित हो गया. इसके बाद उस लड़के को हल्का बुखार हुआ. लेकिन जल्द ही वो ठीक हो गाय. इसके बाद जेनर ने उस लड़के को चेचक से संक्रमित करने की कोशिश की. लेकिन वो उसे चेचक नहीं हुआ. जेनर ने इस प्रयोग को कुछ साल बाद एक बार फिर किया. लेकिन जेम्स प्लिक को चेचक की बीमारी नहीं हुई. इसका मलतब था कि जेम्स के शरीर में एंटी बॉडी डेवल्प हो गया था. इसके बाद जेनर ने दुनिया का पहला टीका बनाया, जो चेचक के लिए था.

पहले विरोध, फिर मिली मान्यता-
शुरुआत में द रॉयल सोसायटी ने इन प्रयोगों को मान्यता देने से इनकार कर दिया. इसके बाद जेनर ने अपने 11 साल के बेटे पर इसका इस्तेमाल किया. कई प्रयासों के बाद जेनर की इस वैक्सीन को मान्यता दी गई. साल 1798 में उनका शोधपत्र प्रकाशित किया गया और उनके टीके को मान्यता दी गई. इसके बाद उनकी पहचान पूरी दुनिया में हो गई. यूरोप से लेकर अमेरिका, चीन तक ने इस वैक्सीन को अपने देश में मंगवाया.

जेनर को मिला सम्मान-
जेनर को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित भी किया गया. उनको इंग्लैंड की संसद से सम्मानित किया गया. उनको एक बार 20 हजार डॉलर और एक बार 20 हजार डॉलर की मदद भी दी गई. साल 1803 में जेनर ने चेचक उन्मूलन टीकाकरण की शुरुआत की. इसको पूरे ब्रिटेन में लागू किया गया. साल 1821 में जेनर किंग जॉर्ज IV के विशेष डॉक्टर बना दिए गए. उनको बर्केले का मेयर भी बनाया गया. नेपोलियन ने भी अपने सैनिकों को चेचक का टीका लगवाया और जेनर को मेडल से सम्मानित किया. 26 जनवरी 1832 को एडवर्ड जेनर ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

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