Ramlalla Surya Tilak: रामलला के सूर्य तिलक के लिए इस्तेमाल की गई ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी, कुछ इस तरह वैज्ञानिकों ने किया इसे मुमकिन

रामलला के तिलक के लिए ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. वैज्ञानिक भाषा में इसको पोलराइजेशन ऑफ लाइट बोल सकते हैं. इसके लिए लेंस और मिरर का इस्तेमाल किया जाता है. सूर्य की किरण को एक जगह केंद्रित करने के लिए वैज्ञानिक इसका इस्तेमाल करते हैं.

Ram Mandir Ayodhya (Photo: PTI)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST
  • सूर्य की पोजीशन की जा रही थी मॉनिटर 
  • ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी की गई यूज

चैत्र रामनवमी के अवसर पर पूरी दुनिया को प्रभु श्री राम लला के सूर्य तिलक का विहंगम दृश्य देखने को मिला. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद यह रामलला की पहली रामनवमी है. इसमें ट्रस्ट के द्वारा वैदिक रीति रिवाज से विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया. साथ ही इस बार खास तरीके से सूर्य तिलक भी भगवान श्री राम के मस्तक पर किया गया. 

भगवान श्री राम के मस्तक पर सूर्य तिलक को करने के लिए वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम को डिजाइन किया था. साइंटिफिक तरीके से डिजाइन किए हुए इस सिस्टम के जरिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु ने भगवान श्री राम के ललाट पर सूर्य तिलक किया. इसके लिए सबसे पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने एक टीम का गठन किया. 

सूर्य की पोजीशन की जा रही थी मॉनिटर 

यह टीम लगातार सूर्य की पोजीशन को मॉनिटर कर रही थी, क्योंकि मंदिर अभी पूरा नहीं हुआ है. इसलिए टीम को वर्तमान संरचना के आधार पर ही काम करना था. सूर्य 12:00 के आसपास किस स्थिति में रहेगा इसको इसकी संरचना के आधार पर कई दिनों से मॉनिटर किया जा रहा था. वैज्ञानिकों ने भगवान श्री राम के मस्तक पर तिलक करने के लिए चार लेंस और चार शीशो का इस्तेमाल किया. इन 4 लेंस और चार शीशो के जरिए सूर्य की किरण को रामलला के मस्तक पर केंद्रित किया गया. इसमें पूरी तरीके से ऑप्टिकल मैकेनिकल तकनीक का इस्तेमाल किया गया. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने यह भी तय किया है कि जब राम मंदिर का स्ट्रक्चर पूरी तरीके से बन जाएगा, तो उसमें इसे पूरे तरीके से इंस्टॉल कर दिया जाएगा. इससे हर साल चैत्र रामनवमी के समय भगवान श्री राम के ललाट पर सूर्य का तिलक होता रहेगा. 

आखिर क्या है ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम?

सामान्य वैज्ञानिक भाषा में इसको पोलराइजेशन ऑफ लाइट बोला जाता है. इसके लिए लेंस और मिरर का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके आधार पर सूर्य की किरण को एक जगह केंद्रित करने के लिए वैज्ञानिक कदम उठाते हैं. जिसके बाद वैज्ञानिक जिस स्थान पर सूर्य की तीव्र किरणों को  केंद्रित करना चाहते हैं उसको लेंस और मिरर के जरिए केंद्रित कर लेते हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल सूर्य की तीव्र किरण को केंद्रित करने के लिए ही किया जाता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम का इस्तेमाल करके प्रभु श्री राम के ललाट पर सूर्य की किरणों को चार लेंस और चार मिरर से केंद्रित किया. इसके बाद यह तमाम प्रक्रिया संभव हो पाई.

हर साल चैत्र रामनवमी पर होगा सूर्य तिलक 

वैज्ञानिक और सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने X पर बताया कि प्रत्येक रामनवमी के मौके पर इसी तकनीक की मदद से रामलला का सूर्यतिलक होगा. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने अपनी संरचना को मंदिर की वर्तमान संरचना के आधार पर मिलाते हुए एक नया तरीका निकाला और इसी स्ट्रक्चर पर प्रभु श्री राम के मस्तक पर सूर्य तिलक किया गया. उन्होंने वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जैसे ही मंदिर पूरी तरीके से बन जाएगा वैज्ञानिक एक परमानेंट स्ट्रक्चर सूर्य तिलक करने के लिए स्थापित कर देंगे. इससे हर साल चैत्र रामनवमी के समय भगवान श्री राम के मस्तक पर सूर्य तिलक होता रहेगा. 


 

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