प्लास्टिक वेस्ट से बन जाएगी पैरासिटामोल, स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने ढूंढा इससे पेन किलर दवा बनाने का गजब तरीका

आमतौर पर पैरासिटामॉल बनाने वाली फैक्ट्रियां कोयले या तेल जैसे जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) पर चलती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन इस नई खोज में बैक्टीरिया बिना किसी कार्बन उत्सर्जन के यह काम कर रहे हैं. यानी, यह तरीका न सिर्फ प्लास्टिक रीसाइक्लिंग का सुपरहिट समाधान है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाता है!

Plastic to paracetamol
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

क्या आप यकीन करेंगे कि प्लास्टिक की बोतलें, जो हर जगह कचरा बन रही हैं, अब आपकी सिरदर्द की गोली में बदल सकती हैं? जी हां, स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अनोखा तरीका ढूंढा है, जिसमें बैक्टीरिया की मदद से प्लास्टिक को दर्द निवारक दवा पैरासिटामॉल (जिसे आप टायलनॉल या पैनाडॉल के नाम से जानते हैं) के कच्चे माल में बदला जा सकता है! 

प्लास्टिक से दवा बनाने का जादू  
स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने ई. कोलाई नाम के बैक्टीरिया को जेनेटिक इंजीनियरिंग से ऐसा बनाया है कि यह प्लास्टिक को खाकर पैरासिटामॉल (दर्द निवारक दवा) का मुख्य तत्व बना सकता है. इस तत्व का नाम है पैरामिनोबेंजोइक एसिड (PABA), जो न सिर्फ पैरासिटामॉल बल्कि विटामिन B9 (फोलिक एसिड) बनाने में भी काम आता है.

आमतौर पर पैरासिटामॉल बनाने वाली फैक्ट्रियां कोयले या तेल जैसे जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) पर चलती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन इस नई खोज में बैक्टीरिया बिना किसी कार्बन उत्सर्जन के यह काम कर रहे हैं. यानी, यह तरीका न सिर्फ प्लास्टिक रीसाइक्लिंग का सुपरहिट समाधान है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाता है!

कैसे काम करता है यह बैक्टीरिया?  
वैज्ञानिकों ने ई. कोलाई बैक्टीरिया को जेनेटिकली बदलकर उसकी खुद PABA बनाने की क्षमता को हटा दिया. फिर उन्होंने इसे लॉसेन रीअरेंजमेंट नाम की प्रक्रिया करने के लिए तैयार किया. इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया पर्यावरण से नाइट्रोजन युक्त अणुओं (nitrogen containing molecules) को लेता है और उन्हें PABA में बदल देता है.

इसके लिए वैज्ञानिकों ने पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थालेट (PET) प्लास्टिक चुना, जो पानी की बोतलों, पैकेजिंग और रोजमर्रा की चीजों में इस्तेमाल होने वाला सबसे आम प्लास्टिक है. हर साल 350 मिलियन टन PET प्लास्टिक कचरे के रूप में फेंका जाता है, जो पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है. लेकिन इस खोज में बैक्टीरिया ने 48 घंटों में 92% PET प्लास्टिक को PABA में बदल दिया- वो भी नॉर्मल तापमान पर!

यह खोज इतनी खास क्यों है?  
प्रोफेसर स्टीफन वॉलस, जो इस रिसर्च के लीडर हैं, कहते हैं, "यह खोज दिखाती है कि प्लास्टिक सिर्फ कचरा नहीं है. इसे बैक्टीरिया की मदद से ऐसी चीजों में बदला जा सकता है, जो बीमारियों के इलाज में काम आएं."

यह खोज अभी शुरुआती दौर में है और इसे बड़े स्तर पर लागू करने में समय लगेगा. लेकिन यह एक ऐसी शुरुआत है, जो प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और दवा बनाने के तरीके को हमेशा के लिए बदल सकती है. स्टीफन का मानना है कि ज्यादातर बैक्टीरिया इस तरह की प्रक्रिया कर सकते हैं. यानी, भविष्य में बैक्टीरिया को छोटी-छोटी केमिकल फैक्ट्रियों की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

पर्यावरण और सेहत के लिए डबल फायदा  
आजकल पैरासिटामॉल जैसी दवाइयां बनाने वाली फैक्ट्रियां जीवाश्म ईंधन पर चलती हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड छोड़कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. दूसरी तरफ, PET प्लास्टिक समुद्र, नदियों और जमीन को प्रदूषित करता है. लेकिन इस नई खोज में बैक्टीरिया बिना किसी कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) के प्लास्टिक को दवा में बदल रहे हैं.

यानी, यह तरीका न सिर्फ कचरे को कम करता है, बल्कि दवाइयों को बनाने का एक हरा-भरा रास्ता भी देता है. साथ ही, यह खोज विटामिन B9 जैसे दूसरे जरूरी पोषक तत्व बनाने में भी मदद कर सकती है.

चुनौतियां क्या है और इसका भविष्य?
हालांकि यह खोज बहुत रोमांचक है, लेकिन इसे बड़े स्तर पर लागू करना अभी आसान नहीं है. बैक्टीरिया से इतनी बड़ी मात्रा में PABA बनाना और उसे दवाइयों में बदलना एक मुश्किल और महंगा प्रोसेस है. वैज्ञानिकों को अभी और रिसर्च करनी होगी ताकि यह तकनीक सस्ती और तेज हो सके. लेकिन अगर यह कामयाब हुआ, तो यह प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और दवा इंडस्ट्री में क्रांति ला सकता है.

 

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