MIT AI Writing Research 2025: जब से चैटजीपीटी अस्तित्व में आया है, तब से एआई ने हमारे सीखने, रिसर्च करने और काम करने के तरीके को बदल दिया है. यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला एआई चैटबॉट है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि चैटजीपीटी आपके सोचने की काबिलियत पर ही असर डाल रहा है?
एमआईटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में इस बड़े सवाल का जवाब खोजने के लिए एक रिसर्च की. शोधकर्ताओं ने स्टडी में यह पता लगाने की कोशिश की कि एआई की मदद लेकर लेखन करने वाले लोगों का दिमाग इससे कैसे प्रभावित हो रहा है.
कैसे की गई रिसर्च?
एमआईटी मीडिया लैब, वेलेस्ली कॉलेज और मासआर्ट के शोधकर्ताओं ने छात्रों से निबंध लिखने को कहा. कुछ छात्रों से चैटजीपीटी का उपयोग करने के लिए कहा गया, कुछ से गूगल सर्च की मदद लेने के लिए और कुछ से सिर्फ अपने दिमाग का उपयोग करने के लिए कहा गया. शोधकर्ताओं ने लिखते समय उनके दिमाग की गतिविधि को ट्रैक किया.
इस रिसर्च का नेतृत्व नतालिया कोस्मिना और उनकी टीम ने किया था. इसका उद्देश्य यह समझना था कि एआई मॉडल वास्तव में हमारी क्रिटिकल थिंकिंग, मेमोरी और सीखने की क्षमताओं को कैसे प्रभावित कर सकते हैं. इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने बॉस्टन क्षेत्र के विश्वविद्यालयों से 54 प्रतिभागियों को भर्ती किया.
इन प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया था. LLM समूह जिसने निबंध लिखने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग किया. सर्च इंजन ग्रुप जिसने बिना किसी एआई के पारंपरिक वेब सर्च टूल का उपयोग किया. तीसरा ग्रुप वह था जिसने सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और किसी बाहरी सहायता के निबंध लिखे.
पहले प्रतिभागियों ने अपने निर्धारित ग्रुप और विधि का इस्तेमाल करके तीन निबंध-लेखन सत्र पूरे किए. चौथे सत्र में एआई की मदद लेने वाले ग्रुप से सिर्फ दिमाग का इस्तेमाल करके निबंध लिखने को कहा गया. 'ब्रेन-ओनली' ग्रुप ने पहली बार चैटजीपीटी का उपयोग किया. हर सत्र के दौरान शोधकर्ताओं ने ईईजी के जरिए प्रतिभागियों के दिमाग की निगरानी की. बाद में इन निबंधों का विश्लेषण भी किया गया. मानव शिक्षकों के साथ-साथ एआई जज ने इन निबंधों का मूल्यांकन किया.
रिसर्च में क्या मिला?
रिसर्च में पाया गया कि सिर्फ दिमाग का इस्तेमाल कर निबंध लिखने वाले ग्रुप के उम्मीदवारों के दिमाग ने सबसे ज्यादा मजबूती से काम किया. गूगल का उपयोग करने वालों ने मध्यवर्ती स्तर प्रदर्शित किया, जबकि चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वाले ग्रुप के दिमाग की भागीदारी सबसे कमज़ोर रही. चौथे सत्र में पाया गया कि जो समूह जो पहले चैटजीपीटी पर निर्भर था, वह जब सिर्फ अपने दिमाग से निबंध लिखने पर आया तो ठीक तरह प्रदर्शन नहीं कर सका.
इसी तरह, दिमाग से चैटजीपीटी पर आए उम्मीदवारों का अपने दिमाग से कनेक्शन बेहतर रहा. इस स्टडी से पता चला कि जो लोग चैटजीपीटी पर निर्भर थे, उन्होंने अपने दिमाग का कम उपयोग किया. उन्हें चीज़ें कम याद रहीं और अपने काम से भी उनका जुड़ाव कम रहा. स्टडी से पता चलता है कि हालांकि चैटजीपीटी जैसे एआई मॉडल दक्षता में सुधार कर सकते हैं, लेकिन यह हम में से कई लोगों को आलसी भी बना रहे हैं.