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106 बच्चों में बंटेगा 1.5 लाख करोड़ का साम्राज्य! Telegram के फाउंडर पावेल डुरोव की चौंकाने वाली वसीयत, जानें कौन हैं ये शख्स!

यह सब तब शुरू हुआ, जब 15 साल पहले उनके एक दोस्त ने उनसे गुहार लगाई कि उनकी पत्नी के साथ प्रजनन समस्याओं की वजह से वे बच्चा पैदा नहीं कर पा रहे. दोस्त ने डुरोव से स्पर्म डोनेशन की अपील की. पहले तो डुरोव को यह मजाक लगा, लेकिन बाद में उन्होंने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया. क्लिनिक ने उन्हें बताया कि उनकी “हाई-क्वालिटी डोनर मटेरियल” की मांग बहुत है.

Telegram founder Pavel Durov Telegram founder Pavel Durov

क्या आपने कभी सुना है कि कोई अरबपति अपनी 1.5 लाख करोड़ रुपये की दौलत को 100 से ज्यादा बच्चों में बांट दे? जी हां, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम के संस्थापक पावेल डुरोव की असल जिंदगी का सनसनीखेज खुलासा है! इस 40 साल के रूसी अरबपति ने अपनी वसीयत में ऐसा ऐलान किया है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. 

पावेल डुरोव, जिन्हें अक्सर “रूस का मार्क जकरबर्ग” या “रूस का एलन मस्क” कहा जाता है, एक 40 साल के तकनीकी जीनियस और अरबपति उद्यमी हैं. उनकी दौलत करीब 20 बिलियन डॉलर (लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये) आंकी जाती है. रूस में जन्मे डुरोव ने 22 साल की उम्र में रूस का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्क VKontakte बनाया, लेकिन उनकी असली पहचान टेलीग्राम ने दी, जो आज 1 बिलियन से ज्यादा यूजर्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है.

डुरोव की जिंदगी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं. रूस में गोपनीयता और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए क्रेमलिन से टकराने के बाद उन्हें 2014 में देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद उन्होंने बर्लिन, लंदन और सैन फ्रांसिस्को में बसने की कोशिश की, लेकिन ब्यूरोक्रेसी की वजह से आखिरकार दुबई को अपना ठिकाना बनाया. आज उनके पास रूस, फ्रांस, यूएई और सेंट किट्स एंड नेविस की नागरिकता है. टेलीग्राम की गोपनीयता नीतियों की वजह से वह कई देशों की सरकारों के निशाने पर रहे हैं, और पिछले साल फ्रांस में उन पर बच्चों के यौन शोषण और ड्रग तस्करी जैसे गंभीर आरोप लगे, जिन्हें उन्होंने सिरे से खारिज किया.

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कैसे शुरू हुआ यह अनोखा सफर?
पावेल डुरोव ने हाल ही में फ्रांस की मैगजीन Le Point को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने अपनी करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति को अपने 106 बच्चों में बांटने का फैसला किया है. इनमें से 6 बच्चे तीन अलग-अलग पार्टनर्स के साथ उनके आधिकारिक बच्चे हैं, जबकि 100 से ज्यादा बच्चे पिछले 15 सालों में 12 देशों में स्पर्म डोनेशन के जरिए पैदा हुए.

यह सब तब शुरू हुआ, जब 15 साल पहले उनके एक दोस्त ने उनसे गुहार लगाई कि उनकी पत्नी के साथ प्रजनन समस्याओं की वजह से वे बच्चा पैदा नहीं कर पा रहे. दोस्त ने डुरोव से स्पर्म डोनेशन की अपील की. पहले तो डुरोव को यह मजाक लगा, लेकिन बाद में उन्होंने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया. क्लिनिक ने उन्हें बताया कि उनकी “हाई-क्वालिटी डोनर मटेरियल” की मांग बहुत है, और यह उनका “नागरिक कर्तव्य” है कि वे और डोनेशन करें. इसके बाद डुरोव ने कई देशों में गुमनाम रूप से स्पर्म डोनेशन शुरू कर दिया, जिसके नतीजे में 100 से ज्यादा बच्चे पैदा हुए.

वसीयत में छिपा है बड़ा ट्विस्ट!
डुरोव की वसीयत में एक बड़ा ट्विस्ट है- उनके बच्चे अगले 30 साल तक, यानी 2055 तक, इस विशाल दौलत को हाथ नहीं लगा सकेंगे! डुरोव चाहते हैं कि उनके बच्चे “सामान्य जिंदगी” जिएं, खुद का रास्ता बनाएं, और बैंक खाते पर निर्भर न रहें. उन्होंने साफ कहा, “मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे बच्चे स्वाभाविक रूप से पैदा हुए या स्पर्म डोनेशन से. वे सभी मेरे बच्चे हैं और सबके अधिकार बराबर होंगे.” वह यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके जाने के बाद उनके बच्चे आपस में न लड़ें.

क्यों लिखी इतनी जल्दी वसीयत?
40 साल की उम्र में वसीयत लिखना सुनकर आप हैरान होंगे, लेकिन डुरोव का कहना है कि उनकी जिंदगी जोखिमों से भरी है. “आजादी की रक्षा करने से कई दुश्मन बनते हैं, खासकर शक्तिशाली देशों में,” उन्होंने कहा. वह न सिर्फ अपने बच्चों की सुरक्षा चाहते हैं, बल्कि टेलीग्राम को भी अपनी मूल्यों- गोपनीयता और अभिव्यक्ति की आजादी के साथ जिंदा रखना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन बनाने की योजना बनाई है, जो उनके जाने के बाद टेलीग्राम को संभालेगा.

पावेल डुरोव की यह कहानी सिर्फ दौलत और बच्चों की नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स की है, जो अपनी शर्तों पर जिंदगी जीता है. वह दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि प्यार, परिवार और आजादी की कीमत पैसे से नहीं तौली जा सकती.