New DRDO Chairman: कौन हैं समीर वी कामत, जिन्हें बनाया गया है डीआरडीओ का अध्यक्ष

वैज्ञानिक समीर वी. कामत को रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग का सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. समीर कामत ने 1985 में आईआईटी खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीटेक इंजीनियरिंग (ऑनर्स) की डिग्री ली है.

Samir V Kamat
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST
  • समीर वी कामत को DRDO का अध्यक्ष बनाया गया है.
  • समीर कामत 1 जुलाई 2017 से डीआरडीओ में महानिदेशक (नौसेना प्रणाली और सामग्री) के रूप में सेवा दे रहे हैं.

वैज्ञानिक समीर वी कामत को DRDO का अध्यक्ष बनाया गया है. वे जी. सतीश रेड्डी की जगह लेंगे. रेड्डी को अगस्त 2018 में दो साल के लिए DRDO प्रमुख नियुक्त किया गया था. उन्हें अगस्त 2020 में पद पर दो साल का विस्तार दिया गया था. कामत 60 साल की आयु पूर्ण करने या अगले आदेश तक पद पर रहेंगे. DRDO रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान और विकास शाखा है. 

आईआईटी खड़गपुर से की पढ़ाई

समीर वी कामत का पूरा नाम डॉ समीर वेंकटपति कामत है. उन्होंने 1985 में आईआईटी-खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है. इसके बाद 1988 में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी की.  वह 1989 में डीआरडीओ में शामिल हुए थे. 2015 में उन्होंने लैब डायरेक्टर के रूप में पद संभाला. 2017 में वे NS&M के डायरेक्टर बनाए गए. समीर कामत 1 जुलाई 2017 से डीआरडीओ में महानिदेशक (नौसेना प्रणाली और सामग्री) के रूप में सेवा दे रहे हैं.

25 सालों में अलग-अलग क्षेत्रों में दिया योगदान

पिछले 25 वर्षों के दौरान, डॉ. कामत ने उन्नत सामग्रियों जैसे कि पार्टिकुलेट प्रबलित धातु मैट्रिक्स कम्पोजिट्स, सिरेमिक मैट्रिक्स कम्पोजिट्स, एल्युमिनियम-लिथियम मिश्र धातुओं, उच्च शक्ति वाली एल्युमिनियम मिश्र धातुओं और टाइटेनियम मिश्र धातुओं में सूक्ष्म संरचना-यांत्रिक गुणधर्म सहसंबंधों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. समीर कामत ने अत्याधुनिक प्रयोगात्मक सुविधाओं की स्थापना और छोटी मात्रा में सामग्रियों के यांत्रिक व्यवहार के निरूपण के लिए, विशेष रूप से एमईएमएस में प्रयुक्त सामग्रियों के लिए विशेषज्ञता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

हाल ही के दिनों में कामत ने डीएमआरएल में दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुम्बक (आरईपीएम) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं.कामत इंडियन नेशनल अकैडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग (आईएनएई) और इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया (आईईआई) के फेलो हैं.

 

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