बधिर ओलंपिक में भारत के हिस्से आए 16 मेडल, पढ़िए खिलाड़ियों की हिम्मत, जज्बातों और जीत की कहानियां

इसबार भारत के हिस्से कुल 16 मेडल आए हैं. जिसमें से 8 गोल्ड मेडल हैं, एक सिल्वर है और 7 ब्रोंज मेडल हैं. जबकि पिछली बार 2017 में हुए इन खेलों में भारत ने 1 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे.

जीतने वाले खिलाड़ी
तेजश्री पुरंदरे
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:09 PM IST
  • दीक्षा के हिस्से आया गोल्ड 
  • रविंद्र, सुमित और वीरेंद्र सिंह ने लहराया परचम

भारत ने बधिर ओलंपिक (Deaf Olympics) में एक बार फिर से परचम लहराया है. 15 मई को ओलंपिक, 2021 का समापन हो गया है. बता दिए, बधिर ओलंपिक  1 मई को शुरू हुए थे. इसमें कुल 72 देशों से करीब 2100 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 65 एथलीट भारत के थे. गर्व की बात यह है कि भारत के हिस्से कुल 16 मेडल आए हैं. जिसमें से 8 गोल्ड मेडल हैं, एक सिल्वर है और 7 ब्रोंज मेडल हैं.

दीक्षा के हिस्से आया गोल्ड 

हरियाणा के रहने वाली दीक्षा महज 21 साल की है. दीक्षा डागर ने बधिर ओलंपिक में गोल्फ में गोल्ड मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित किया है. दीक्षा ने बताया कि उनके पिता आर्मी में हैं, इसीलिए उन्हें देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा अपने पिता से ही मिलती है. दीक्षा ने कक्षा पांचवी में ही यह ठान लिया था कि वह देश के लिए कुछ कर दिखाएंगी. 

दीक्षा आगे बताती हैं कि साल 2017 में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था, लेकिन उन्हें गोल्ड ही चाहिए था. स्वर्ण पदक पाने के लिए दीक्षा ने कड़ी मेहनत की. उन्होंने कहा कि साल 2017 में वे अपने प्रदर्शन से बेहद नाराज थीं. लेकिन इस बार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को हराकर भारत का नाम ऊंचा किया है. उन्होंने बताया कि वह पल उनके लिए सबसे गौरवान्वित करने वाला था जब पूरी स्टेडियम में राष्ट्रगान बजाया गया. दीक्षा बताती हैं कि अब वे साल 2024 और एशियाई ओलंपिक में भी मेडल जीतना चाहती हैं.
 
रविंद्र, सुमित और वीरेंद्र सिंह ने लहराया परचम

इसी तरह कुश्ती में रविंद्र सिंह ने ब्रोंज और 97 किलोग्राम भार वर्ग में भारत के सुमित दाहिया ने गोल्ड मेडल जीता है. आपको बता दें कि 74 किलो वर्ग में 'गूंगा पहलवान' के नाम से मशहूर देश के वीरेंद्र सिंह ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहे. 

सुमित दहिया ने बताया कि उनके लिए यह सफर आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि उन्होंने गोल्ड मेडल पाने के लिए दिन रात मेहनत की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं हैं. यह दिन उनकी जिंदगी का सबसे यादगार दिन रहेगा.
 
कोच ने दिया पूरा साथ

इसी तरह कुश्ती में ब्रॉन्ज जीतने वाले रविंद्र सिंह ने बताया कि मूक बधिर होने के कारण उन्हें सबसे बड़ी समस्या कम्युनिकेट करने में आती थी. लेकिन उनके कोच ने उनका पूरा साथ दिया जिसके कारण आज वे इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. यह बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए चीजों को समझना बहुत आसान होता है लेकिन मूक-बधिर व्यक्ति के लिए चीजों को समझकर उसे असल जिंदगी में लागू करना बेहद मुश्किल होता है. लेकिन फिर भी उनकी हिम्मत, और जज्बातों ने यह मुमकिन कर दिखाया.

पिछली बार भारत के हिस्से आए थे 5 मेडल

आपको बता दें, पिछली बार 2017 में हुए इन खेलों में भारत ने 1 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे. जबकि ब्राजील से पहले भारत ने साल 1993 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बुल्गारिया के सोफिया मे आयोजित डेफलिंपिक में किया था जहां भारतीय दल को कुल 7 पदक मिले थे जिनमें 5 गोल्ड और 2 ब्रॉन्ज थे.

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