वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) करने से मांसपेशी और हड्डियां जहां मजबूत होती हैं, वहीं मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी यह बेहद फायदेमंद होता है. यदि आप जिम में वेटलिफ्टिंग करते हैं तो इसको करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
यदि आप वेटलिफ्टिंग सही से नहीं करेंगे तो यह फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है. एक 27 साल के युवक की गलत तरीके से डेडलिफ्टिंग करने से आंखों की रोशनी चली गई है. इस संबंध में इंस्टाग्राम पर "your_retina_doctor" के नाम से मशहूर Dr. Ashish Markan ने जानकारी शेयर की है. डॉ. मार्कन के अनुसार डेडलिफ्टिंग करने से इस युवक को Valsalva Retinopathy नामक एक दुर्लभ बीमारी हुई, जो आंखों की नाजुक रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण होती है. हालांकि युवक की दृष्टि 6 से 8 हफ्तों में ठीक हो गई और उसे सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी.
क्या होती है डेडलिफ्टिंग
डेडलिफ्टिंग एक शक्ति प्रशिक्षण व्यायाम है, जिसमें फर्श से एक भारी वजन को कूल्हों के स्तर तक उठाना शामिल है. यह एक कंपाउंड एक्सरसाइज है क्योंकि यह एक साथ कई मांसपेशी समूहों को काम कराती है, जिसमें पीठ, ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग और क्वाड्स शामिल हैं. यह समग्र शक्ति और मांसपेशियों के निर्माण के लिए बहुत प्रभावी है, लेकिन चोट से बचने के लिए सही फॉर्म महत्वपूर्ण है.
क्या है Valsalva Retinopathy
Valsalva Retinopathy एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर के अंदर दबाव में अचानक वृद्धि होने पर होती है. जब कोई व्यक्ति सांस रोककर या अत्यधिक बल लगाकर भारी वजन उठाता है, तो छाती के अंदर का दबाव आंखों की नसों तक पहुंच जाता है. इससे रेटिना की पतली रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं, जिससे रक्तस्राव हो सकता है. इससे अचानक बिना दर्द के धुंधली दृष्टि या दृष्टि हानि हो सकती है. डेडलिफ्टिंग, squats और Abdominal Exercises के दौरान शरीर के अंदर अत्यधिक दबाव बनता है. यदि कोई व्यक्ति सांस रोककर जोर लगाता है, तो यह दबाव आंखों की केशिकाओं पर असर डाल सकता है. कभी-कभी, इससे आंखों के अंदर रक्त जमा हो सकता है, जिससे अस्थायी रूप से दृष्टि हानि हो सकती है.
वेटलिफ्टिंग करते समय बरतें ये सावधानियां
1. वेटलिफ्टिंग करने से पहले वॉर्म-अप करना न भूलें. आपको मालूम हो कि सीधा भारी वजन उठाने से मसल्स और जोड़ों पर बहुत स्ट्रेस पड़ता है. इससे इंजरी हो सकती है. हल्की कार्डियो और स्ट्रेचिंग से शुरुआत करें ताकि मसल्स तैयार हो जाएं. वार्म-अप मांसपेशियों को गर्म करता है और चोट लगने की संभावना को कम करता है.
2. यदि आप पहली बार जिम जा रहे हैं तो जाते ही वेटलिफ्टिंग शुरू न कर दें बल्कि कुछ हफ्तों तक कार्डियो एक्सरसाइज जैसे दौड़ना, साइकिल चलाना आदि करें. इसके बाद धीरे-धीरे वेटलिफ्टिंग की शुरुआत करें.
3. वेटलिफ्टिंग करते समय सही तकनीक का इस्तेमाल करें. अधिकांश लोग ज्यादा वजन उठाने के चक्कर में सही फॉर्म भूल जाते हैं. गलत पॉश्चर या तकनीक से वेट उठाने से फायदा कम होता है और चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में पहले हल्के वजन से शुरू करें और सही फॉर्म पर फोकस करें. आप किसी ट्रेनर की मदद ले सकते हैं.
4. आप जिम जाते हैं बहुत ज्यादा वजन उठाने की कोशिश न करें. यदि बहुत ज्यादा वजन उठा रहे हैं और मूवमेंट सही नहीं हो रही तो मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है. आपको चोट लग सकती है. ऐसे में पहले हल्का वजन उठाएं और फिर धीरे-धीरे वजन बढ़ाते जाएं. सही बैलेंस बनाए रखें.
5. अधिकांश लोग लोग सोचते हैं कि ज्यादा वजन उठाने और रोज एक्सरसाइज करने से जल्दी मसल्स बन जाएंगे लेकिन ओवरट्रेनिंग करने से मसल्स रिकवरी नहीं कर पाते और थकान बढ़ जाती है. वेटलिफ्टिंग के बाद अपने शरीर को आराम देने का समय दें. ओवरट्रेनिंग से बचें.
6. वेटलिफ्टिंग के दौरान सही तरीके से सांस लेना बहुत जरूरी है. वजन उठाते समय सांस छोड़ें और वजन नीचे लाते समय सांस लें. यदि आप सांस रोककर एक्सरसाइज करते हैं तो ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और शरीर जल्दी थक सकता है.
7. वेटलिफ्टिंग के बाद एक बैलेंस डाइट लेना बहुत जरूरी है. प्रोटीन, कार्ब्स और हेल्दी फैट्स का सेवन करें ताकि मसल्स रिकवरी हो सके. जिम जाने से पहले और बाद में सही खाना खाएं.
8. वेटलिफ्टिंग या कोई भी एक्सरसाइज करते समय शरीर से पानी निकल जाता है. ऐसे में खूब पानी पिएं. हाइड्रेटेड रहना आपके प्रदर्शन को बेहतर बनाता है और चोट लगने की संभावना को कम करता है.
9. नियमित रूप से वेटलिफ्टिंग करें. एक हफ्ते में कम से कम 2-3 बार जरूर वेटलिफ्टिंग करें. इससे न सिर्फ मांसपेशियों का बेहतर ढंग से विकास होगा बल्कि शरीर को भी इसकी आदत लग जाएगी.
10. मसल्स ग्रोथ सिर्फ जिम में नहीं बल्कि आराम के दौरान भी होती है. 7-8 घंटे की नींद और 1-2 दिन का रेस्ट जरूरी है, ताकि मसल्स को ठीक से रिकवर होने का समय मिल सके.