भारत में बैडमिंटन का जब भी नाम लिया जाता है तब पुलेला गोपीचंद को खेल के ध्वजवाहक के रूप में देखा जाता है. ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय और पूर्व ओलंपियन पुलेला गोपीचंद एक कोच भी हैं. ये वही शख्स हैं जिन्होंने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों को उनके ओलंपिक मेडल जीतने में मदद की. आज पुलेला गोपीचंद अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं.
16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश में जन्मे पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं, “बीते वक्त को देखें तो मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, उससे मैं खुश हूं. परिस्थितियों को देखते हुए मुझे नहीं लगता है कि मैंने कोई कमी छोड़ी है.”
पद्मश्री, पद्मभूषण, अर्जुन पुरस्कार जैसे कई पुरस्कार हैं नाम
बैडमिंटन के द्रोणाचार्य की उपलब्धियों की बात करें, तो कई सालों तक पुलेला भारतीय बैडमिंटन की उज्ज्वल उम्मीद बने रहे. 1996 से वह लगातार पांच साल तक भारतीय नेशनल बैडमिंटन चैंपियन रहे और 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी उन्होंने भारत के लिए सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीता. 1999 में उन्हें अपने शानदार प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साल 2001 में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. इसके बाद 2005 में पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण से भी नवाजा गया.
दो साल तक हुई तीन बड़ी सर्जरी
आपको बता दें, पुलेला गोपीचंद का जीवन इतना आसान नहीं रहा. इसमें उतार और चढ़ाव दोनों आये. 20 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर कदम रख चुके पुलेला के घुटने में कब चोट लगी तब सबको लगा की उनका करियर खत्म हो जायेगा, लेकिन दो साल तक तीन बड़ी सर्जरी से गुजरने और कड़ी मेहनत के बाद, गोपीचंद ने वापसी की और एक सफल करियर बनाया.
2000 में हुए ओलंपिक खेलों में करना पड़ा हार का सामना
पुलेला गोपीचंद ने सिडनी 2000 में हुए ओलंपिक खेलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. लेकिन तेज बुखार और घुटने में लगी चोट के कारण वह मैच नहीं जीत पाए और उन्हें 9-15, 4-15 से हार का सामना करना पड़ा. यह आखिरी बार था जब वह किसी ओलंपिक खेल में उतरे थे.
हालांकि, इसके ठीक छह महीने बाद उन्होंने बर्मिंघम में अपनी जीत का जश्न मनाया. उन्होंने ऑल इंग्लैंड ओपन के दूसरे दौर में चीन को हराया और मेडल जीत लिया.
गोपीचंद बैडमिंटन अकेडमी से निकल रहे हैं कई दिग्गज प्लेयर
बैडमिंटन से संन्यास लेने के बाद पुलेला को इंडियन नेशनल बैडमिंटन टीम के कोच के रूप में चुना गया, जिससे बाद उनके करियर की दूसरी पारी शुरू की. आपको बता दें, 2008 में उन्होंने अपना घर गिरवी रखकर बैडमिंटन अकादमी की शुरुआत की. पुलेला गोपीचंद आज कोच के रूप में भारतीय बैडमिंटन के भविष्य को बेहतर करने में लगे हुए हैं. वह भारतीय बैडमिंटन के मशाल वाहक के रूप में काम कर रहे हैं और अगली पीढ़ी को ढालने के लिए खुद को समर्पित कर चुके हैं.
गोपीचंद बैडमिंटन अकेडमी ने साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, श्रीकांत किदांबी, पारुपल्ली कश्यप, एच.एस. प्रणॉय, साई प्रणीत, समीर वर्मा और ज्वाला गुट्टा जैसे दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं. सभी आज इस खेल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
आपको बता दें, पुलेला गोपीचंद ने अभी-अभी अपनी एक किताब भी लिखी है जिसका नाम ‘Shuttler’s Flick - Making Every Match Count!’ है.