टी20 क्रिकेट को अगर किसी चीज़ ने बीते कुछ सालों में सबसे ज़्यादा बदला है तो वह है पावर-हिटिंग. नए युग के बल्लेबाज़ अपनी तेज़ बैट स्विंग और भारी बल्लों के साथ गेंद को आकाशगंगा में भेजने का माद्दा रखते हैं. सिर्फ टी20 क्रिकेट ही नहीं बल्कि वनडे क्रिकेट में भी तेज़रफ्तार बल्लेबाज़ी और चौके-छक्कों की बदौलत बड़े-बड़े स्कोर बनने लगे हैं.
इस पावर-हिटिंग की बदौलत ही बल्लेबाज़ी के नित नए रिकॉर्ड बनते-टूटते हैं. ऐसे में अगर कोई टीम नए युग के अनुरूप खुद को न ढाल पाए तो वह कितनी पीछे रह जाएगी? बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने पावर-हिटिंग की अहमियत को समझते हुए अपनी टीम के लिए एक नया कोच नियुक्त किया है. और इस कोच ने ट्रेनिंग की एक ऐसी तकनीक अपनाई है जो बांग्लादेश क्रिकेट टीम के दिन संवार सकती है.
खास बैट से ट्रेनिंग दे रहे जूलियन वुड
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) ने कुछ दिन पहले ही जूलियन वुड को पावर-हिटिंग कोच के तौर पर नियुक्त किया था. वह पुरुष और महिला टीम दोनों के साथ काम करने के लिए बुलाए गए हैं. उनके आगमन के बाद बीसीबी की ओर से शेयर की गई वीडियो में देखा जा सकता है कि वुड टीम के साथ ट्रेनिंग सेशन में एक रॉड जैसी दिखने वाली चीज़ का इस्तेमाल कर रहे हैं.
यह रॉड है प्रोवेलोसिटी बैट (Provelocity Bat). इस बैट को बेसबॉल खिलाड़ियों के लिए ईजाद किया गया था लेकिन जल्द ही क्रिकेटर भी इसे इस्तेमाल करने लगे. प्रो-वेलोसिटी बैट के बीचोंबीच एक बैरेल होता है और इसमें आठ 'रेज़िज़्टेंस बैंड' होते हैं. ये बैंड इस बैरेल को ऊपर-नीचे होने से रोकते हैं.
जब बल्लेबाज़ इस बैट को तेज़ी से स्विंग करता है तो बैरेल नीचे की ओर जाता है. आप जितने बैंड इस्तेमाल करेंगे, बैरेल को नीचे भेजने के लिए बल्लेबाज़ को उतनी ही तेज़ी से बैट स्विंग करना होगा. यह माना जाता है कि प्रो-वेलोसिटी बैट से न सिर्फ एक खिलाड़ी की बैट स्पीड बढ़ती है, बल्कि हैंड-आई को-ऑर्डिनेशन भी बेहतर होता है जिससे गलती की गुंजाइश कम होती है.
नई तकनीक पर क्या है खिलाड़ियों की राय?
क्रिकबज़ की एक रिपोर्ट ने एक बांग्लादेशी खिलाड़ी के हवाले से कहा कि प्रो-वेलोसिटी बैट का इस्तेमाल उनके लिए नया है और वह वुड के साथ इसका आनंद ले रहे हैं. बल्लेबाज़ों की तकनीक सही है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए प्रो-वेलोसिटी बैट में क्लिक की आवाज़ आती है. दो बार आवाज़ आने का मतलब है कि उनकी तकनीक एकदम सही है.
अगर बल्लेबाज अपनी बैट स्विंग तेज़ करना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें क्लिक्स के बीच वक्त बढ़ाना होगा. बांग्लादेश महिला टीम के बल्लेबाज़ी कोच नसीरुद्दीन फारुक़ कहते हैं, "अगर बल्लेबाज़ों की बैट स्पीड कम है या उनकी तकनीक में कुछ खराबी है तो वह बैरेल को बल्ले के नीचे तक नहीं पहुंचा सकेंगे. और सिर्फ एक बार ही क्लिक की आवाज़ आएगी."
बांग्लादेश के लिए काम करेगी यह तकनीक?
फारुक़ इस तकनीक को लेकर पॉज़िटिव हैं, लेकिन उनके मन में संशय भी है कि यह तकनीक भारत में काम करेगी या नहीं. वह कहते हैं, "यह अच्छी तकनीक है. मुझे नहीं पता कि दूसरे क्या सोचते हैं, लेकिन यह अच्छा आइडिया है. मुझे लगता है कि धीरे-धीरे इसे अपनाकर स्विंग बेहतर होगी."
रिपोर्ट फारुक़ के हवाले से कहती है, "मैंने वुड से इस बारे में बात की. हम एशिया में गोल्फ-हिटिंग सिखाने पर जो़र देते हैं क्योंकि मीरपुर जैसी पिचों पर कलाइयों का उपयोग बहुत अहम है. मैंने उन्हें भारतीय गेंदबाज़ों का उदाहरण दिया. वह गेंद को कलाई की रेंज में ही उछाल देते हैं. हां अगर आप ज़्यादा बाउंस वाली पिचों पर खेलेंगे तो शायद यह बेसबॉल वाली तकनीक काम आएगी. जब मैंने यह सवाल किया तो वुड ने भी मेरी बात पर हामी भरी."