AI Based Software: कुछ सेकंड में होगी संदिग्धों की पहचान, दिल्ली पुलिस का नया AI आधारित सॉफ्टवेयर

दिल्ली पुलिस जल्द ही एक नया एआई आधारित सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने जा रही है, जिसकी मदद से संदिग्धों की पहचान आसान हो जाएगी. इस सॉफ्टवेयर को इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने तैयार किया है.

Facial Recognition AI Software
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

दिल्ली पुलिस को जल्द ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर मिलने वाला है, जो आसानी से संदिग्धों के स्केच को पुलिस के आपराधिक रिकॉर्ड में मौजूद फोटो से मिलान कर पाएगा. यह एक एआई आधारित सॉफ्टवेयर है. इसकी मदद से जल्द ही अपराधिक की पहचान की जा सकेगी. इससे आरोपी की पहचान करना आसान हो जाएगा. इस सॉफ्टवेयर को इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने तैयार किया है.

इस AI सॉफ्टवेयर का फायदा-
इस सॉफ्टेवयर का फायदा ये होगा कि आरोपी की तस्वीर की पहचान करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. आसानी से आरोपी के चेहरे की स्केच को पुलिस रिकॉर्ड में मौजूद डिजिटल फोटो में से मिलान किया जा सकता है. यह एक इमेज रिकंस्ट्रक्शन सॉफ्टवेयर है. पहले ये काम मैन्युअली किया जाता था और सटीकता भी कम होती थी. लेकिन इस सॉफ्वेयर के आने से पुलिस का काम आसान हो जाएगा. आरोपी की पहचान का काम ऑटोमेटिक होने लगेगा.

कैसे काम करता है सॉफ्टवेयर-
यह इमेज रिकंस्ट्रक्शन सॉफ्टवेयर सिस्टम मशीन लर्निंग की मदद से स्केच को प्रोसेस करता है. यह विजुअल डेटा को फिल्टर करता है और सेंट्रल डाटाबेस से मिलते-जुलते तस्वीरों को शॉर्टलिस्ट करता है. इस सॉफ्टवेयर में जैसे ही आरोपी का स्केच डाला जाएगा, तुरंत इससे मिलते-जुलते चेहरे की जानकारी मिल जाएगी.

अपराधी की पहचान में मिलेगी मदद-
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर हत्या, लूट और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में आरोपी की पहचान के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा. इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल उन मामलों में भी किया जा सकता है, जहां संदिग्ध की कोई सीधी तस्वीर नहीं है या कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि यह टूल उन मामलों में गेम चेंजर साबित हो सकता है, जहां सुराग नहीं मिलते है. ये एडवांस टूल्स क्राइम को सुलझाने में पहले से ही मददगार साबित हो रहे हैं.

हालांकि दिल्ली पुलिस पहले से ही कई आधुनिक टेक्निक का इस्तेमाल कर रही है. इसमें फॉरेंसिक और डेटा रिकवरी तकनीक के साथ एफआरएस तकनीक भी शामिल है.

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