वेबसाइट खोलते ही 'कुकीज एक्सेप्ट' वाले पॉप-अप से हो गए हैं परेशान? यूरोप ला रहा समाधान, इंटरनेट ब्राउजिंग होगी आसान

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह बदलाव लागू हुआ तो इंटरनेट इस्तेमाल करना आसान होगा. यूजर्स को बार-बार क्लिक नहीं करना पड़ेगा और वेबसाइटें भी बिना किसी झंझट के काम कर पाएंगी.

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  • नई दिल्ली ,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST
  • कुकीज क्या हैं और क्यों आते हैं पॉप-अप्स?
  • यूरोप लेकर आया सबसे बड़ी समस्या का समाधान

अगर आप भी इंटरनेट पर रोजाना खबर पढ़ते हैं, वीडियो देखते हैं या ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो आप एक्सेप्ट कुकीज वाले पॉप अप से परेशान जरूर हुए होते होंगे. कई बार तो कंटेंट देखने से पहले आपको कम से कम दो-तीन क्लिक करने पड़ते हैं. लेकिन यूरोप इंटरनेट के इस परेशान करने वाले सिस्टम को खत्म करने की तैयारी में है.

कुकीज क्या हैं और क्यों आते हैं पॉप-अप्स?
इंटरनेट पर कुकीज वे छोटी-छोटी फाइलें होती हैं जो आपकी जानकारी को वेबसाइट पर स्टोर करती हैं. यह पासवर्ड याद रखने, शॉपिंग कार्ट में चीजें बनाए रखने या यूजर की पसंद के हिसाब से विज्ञापन दिखाने में मदद करती हैं.

यूरोप में 2009 में नियम बने थे कि वेबसाइट को आपकी अनुमति के बिना कुकीज इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. इसका मकसद था आपकी प्राइवेसी बनाए रखना लेकिन समय के साथ यह नियम लोगों के लिए परेशानी बन गया. अब हर वेबसाइट पर जाते ही आपको कुकीज एक्सेप्ट करने या सेटिंग बदलने के लिए क्लिक करना पड़ता है, जिससे इंटरनेट का फ्लो टूट जाता है.

यूरोप लेकर आया सबसे बड़ी समस्या का समाधान
अब यूरोपीय आयोग इस झंझट को कम करने के लिए नए नियमों पर विचार कर रहा है. वेबसाइट और आईटी इंडस्ट्री के साथ मिलकर बात की जा रही है ताकि ऐसा तरीका निकाला जा सके जिससे कुकीज मैनेज करना आसान हो जाए.

इसमें कुछ छूट देने का सुझाव शामिल हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर कुकीज सिर्फ तकनीकी कामों के लिए हैं या केवल यूजर स्टैटिस्टिक्स (जैसे विजिट की संख्या) के लिए हैं, तो उन्हें हर बार मंजूरी लेने की जरूरत न हो.

ब्राउजर में सेटिंग का ऑप्शन
एक और विकल्प यह हो सकता है कि यूजर अपनी पसंद एक बार तय करें और हर बार वही लागू हो जाए. यानी ब्राउजर में एक सेटिंग जो बताए कि आप सभी वेबसाइट्स पर कुकीज स्वीकार करते हैं. इससे हर साइट पर अलग-अलग पॉप-अप्स नहीं दिखेंगे और यूजर का अनुभव बेहतर होगा.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह बदलाव लागू हुआ तो इंटरनेट इस्तेमाल करना आसान होगा. यूजर्स को बार-बार क्लिक नहीं करना पड़ेगा और वेबसाइटें भी बिना किसी झंझट के काम कर पाएंगी.

 

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