ChatGPT को टक्कर देने के लिए तैयार भारत? देश में लॉन्च हुआ पहला Large Language Model AI Bharat Gen, जानिए इसकी खासियत

भारत एक बहुभाषी देश है. यहां 22 आधिकारिक भाषाएं और सैकड़ों क्षेत्रीय बोलियां बोली जाती हैं. ऐसे में कोई भी टेक्नोलॉजी तभी सफल मानी जा सकती है जब वह भारत की भाषाई विविधता को आत्मसात करे. भारत जेन को इसी सोच के साथ बनाया गया है.

भारत का अपना लार्ज लैंग्वेज मॉडल लॉन्च हो गया है.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:06 AM IST

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की इंडस्ट्री में भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. देश ने भारत जेन को लॉन्च किया है. यह एक ऐसा गवर्नमेंट फंडेड, देसी जनरेटिव एआई प्लेटफॉर्म है जो भारत की बहुभाषीयता, सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. इसे देश के सबसे बड़े जनरेटिव एआई समिट भारत जेन समिट में लॉन्च किया गया. 

यह देश का पहला ऐसा मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल (Large Language Model) है जो टेक्स्ट के साथ-साथ स्पीच और इमेज को भी समझने और प्रोसेस करने की क्षमता रखता है. इस मॉडल को एक वाक्य में समझें तो यह एक ऐसा एआई है जो हिन्दी में बोलता है, तमिल में सपने देखता है, बांग्ला में सोचता है और भारतीय लगता है. आइए जानते हैं क्या हैं इस इंडियन एआई की खूबियां.

22 भाषाओं में सक्षम है यह एआई
भारत एक बहुभाषी देश है. यहां 22 आधिकारिक भाषाएं और सैकड़ों क्षेत्रीय बोलियां बोली जाती हैं. ऐसे में कोई भी टेक्नोलॉजी तभी सफल मानी जा सकती है जब वह भारत की भाषाई विविधता को आत्मसात करे. भारत जेन को इसी सोच के साथ बनाया गया है.

यह मॉडल हिंदी, तमिल, मराठी, बंगाली, कन्नड़, पंजाबी, उर्दू और दूसरी भारतीय भाषाओं में इंटरैक्ट कर सकता है. यानी चलाने वाला कोई किसान हो, स्टूडेंट हो कोई साइंसदान, वह अपनी मातृभाषा में एआई की मदद ले सकता है. यही इसे आम भारतीयों के लिए बेहद खास बनाता है.

किसने बनाया, कितनी लागत आई?
भारत जेन को आईआईटी बॉम्बे के टीआईएट फाउंडेशन (Technology Innovation Hub Foundation for Internet of Things and Internet of Everything) के ज़रिए विकसित किया गया है. यह National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems (NM-ICPS) के अंतर्गत आता है.

इस पहल को विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग (DST) से सपोर्ट मिला है. प्रोजेक्ट में करीब 200 करोड़ रुपये या उससे अधिक की लागत आई है. इसमें देश के टॉप साइंटिस्ट, रिसर्चर्स, और Academic Institutions एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

क्या होता है लार्ज लैंग्वेज मॉडल, क्यों है ज़रूरी?
लार्ज लैंग्वेज मॉडल एक तरह का एआईन मॉडल होता है जो लाखों-करोड़ों शब्दों, वाक्यों और पैटर्न्स से सीखकर इंसानों जैसी बातचीत कर पाता है, जैसे कि ओपनएआई का चैटजीपीटी या गूगल का जेमिनी. लेकिन ये ज्यादातर अंग्रेज़ी जैसी ग्लोबल भाषाओं में ट्रेंड होते हैं.

भारत को अपना एलएलएम इसलिए चाहिए ताकि हमारे देश की भाषाओं, मुद्दों, और सामाजिक संरचना को गहराई से समझा जा सके. एक देसी एलएलएम हमें एआई को भारत के लिए और भारत के तरीके से इस्तेमाल करने की आज़ादी देता है. 

अमेरिका और चीन से तुलना में भारत कहां खड़ा है?
आज की तारीख में अमेरिका और चीन दोनों एआई के क्षेत्र में सुपरपावर हैं. अमेरिका के पास ओपनएआई, गूगल और मेटा जैसे दिग्गज हैं जिन्होंने अपने-अपने एलएलएम मॉडल लॉन्च किए हैं. चीन भी बाइदू, अलीबाबा और टेनसेंट के जरिए तेजी से अपने एआई मॉडल्स बना रहा है जो मैंडरिन जैसी भाषाओं पर केंद्रित हैं. भारत ने अब भारत जेन के जरिए इस ग्लोबल रेस में अपनी जगह बनाई है. 

खास बात यह है कि भारत ने सिर्फ कैच-अप नहीं किया है, बल्कि एआई को लोकतांत्रिक और बहुभाषीय बनाने की दिशा में एक अनोखा मॉडल पेश किया है. विदेशी एआई मॉडल्स भारतीय यूजर्स की जरूरतों, संदर्भों और भाषाओं को पूरी तरह से नहीं समझ पाते. वहीं, भारत का अपना लैंग्वेज मॉडल देश की डेटा सिक्योरिटी, भाषा की गहराई, सामाजिक समावेश और लोकल जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ सकता है. 

इसका इस्तेमाल सरकारी सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और प्रशासन में किया जा सकता है. खासकर ग्रामीण इलाकों में. यहां लोग स्थानीय भाषा में ही सहज महसूस करते हैं. यह एक बड़ा बदलाव ला सकता है. 

मिसाल के तौर पर, इस मॉडल की लॉन्चिंग केंद्रीद मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने की. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कैसे जम्मू-कश्मीर के एक इलाके में एआई की मदद से टेलीमेडिसिन ने मरीजों की मदद की. इसके लिए एक एआई डॉक्टर ने मरीज की भाषा में उससे बात की. इससे मरीज को तुरंत भरोसा हुआ. यही भरोसा एआई और इंसान को करीब लाता है. 

भारत जेन सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भरता के सपने का हिस्सा है. यह एआई मॉडल गांव-गांव, भाषा-भाषा तक पहुंचेगा और देश के हर नागरिक को तकनीकी सशक्तिकरण देगा. ये भारत की एकता में विविधता को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की एक शानदार मिसाल है. 
 

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