भारत को खेती प्रधान देश माना जाता है. ऐसे में भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके की फसल उगती है. वहीं भारत में खेती को अधिक महत्व दिया जाता है. ऐसे में पिछले कुछ साल में किसानों के हालात ठीक नहीं रहे हैं. फसल की बुनाई से लेकर फसल को उगाना और उसको काटना बेहद ही जटिल प्रक्रिया होती है. ऐसे में फसल उगाने के समय किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौति होती है मौसम की. जहां मौसम की वजह से उनको काफी नुक़सान भी होता है. ऐसे में इसी से बचाने के लिए पराग नारवेकर नाम का शख्स ने एक तकनीक निकाली है, जिससे इन परेशानियों से बचा जा सकता है.
नासा में काम कर चुके हैं पराग
बताते चलें कि ओलावृष्टि, भारी बारिश, बाढ़ और सूखे जैसी मौसमी आपदा की स्थिति भारतीय किसानों को भारी रूप से प्रभावित करती है. इससे उद्योग को लाखों रुपये का नुकसान भी होता है. इसी नुक़सान से किसानों को बचाने के लिए पराग नारवेकर ने एक अनोखी खोज की है. नासा में काम कर चुके पराग ने एक वेदर स्टेशन (Weather Station) बनाया है. ये एक सेंसर के माध्यम से सैटेलाइट का उपयोग करके एकत्र किए गए डेटा को डिकोड करता है. अपने प्राथमिक डेटा एकत्र करने से परे, यह स्थलाकृति, मिट्टी के प्रकार, वनस्पति, नमी और अन्य मापदंडों जैसी सहायक जानकारी भी बताता है.
2017 में बनाए थे मौसम स्टेशन के तीन मॉडल
दरअसल, साल 2017 में, डॉ पराग ने एक मौसम स्टेशन के तीन मॉडल बनाए थे. साथ ही अपनी कंपनी लॉन्च की थी. सेंसर्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की यह कंपनी किसानी के विभिन्न पहलुओं में किसानों की सहायता करने के लिए बनाई गई थी. इसके लिए उन्होंने जमीन पर किसानों के साथ काम करने वाली एक किसान उत्पादक कंपनी सह्याद्री फार्म्स का साथ लिया था.
कैसे करेगा ये किसानों की मदद?
पराग नारवेकर का कहना है कि इस स्टेशन उपकरण से किसान सेंसर की मदद से मिट्टी, छत्र, नमी और पत्तियों की नमी की निगरानी कर सकता है. साथ ही फसल में बीमारियों के शुरुआती चरणों का निदान भी कर सकता है. इतना ही नहीं इससे किसान को हस्तक्षेप करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए अलर्ट भी प्राप्त होता है. इस उपकरण से यह मौसम, जल प्रबंधन, शीत लहर, पोषक तत्व प्रबंधन, हवा की दिशा, प्रकाश संश्लेषण और पौधों के वाष्पोत्सर्जन जैसे पहलुओं पर जानकारी प्रदान करता है.