एक स्टार्टअप की शुरुआत करने के लिए माना जाता है कि आपको तकनीकी ज्ञान होना जरूरी है. लेकिन एक ऐसी महिला भी हैं जिन्होंने तकनीकी ज्ञान के बिना ही एक ऐसे स्टार्टअप की नींव रखी, और आज उनका स्टार्टअप शानदार तरीके से चल रहा है. इनके स्टार्टअप में सबसे खास है इसके को-फाउंडर लेकिन उनके बारे में थोड़ा बाद में बात करते हैं. पहले आपको स्टार्टअप के बारे में बता दें.
दरअसल इन्होंने एक ऐसा स्टार्टअप तैयार किया है जिसका नाम 'सोलेस' है. सोलेस दरअसल एक किस्म का जेनरेटिव आधारित एआई है. इनका यह स्टार्टअप उन लोगों की मदद करता है, जो किसी मृत इंसान के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही किसी मृत इंसान से जुड़े दस्तावेजों को भी यह सही-सलामत अपने पास रखता है.
... एआई ही है को-फाउंडर
असल में इस सोलेस में कोई इंसानी टीम है ही नहीं. केवल सारा ग्विलियम ही है जो इस स्टार्टअप की इक्लौती इंसानी को-फाउंडर हैं. यानि एक प्रकार से वह 'सोलोप्रेन्योर' हैं. उन्होंने को-फाउंडर के तौर पर एआई आधारित इनक्यूबेटर 'ऑडोस' की मदद से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की. यह इन्क्यूबेटर इस स्टार्टअप के कई कामों के लिए एआई एजेंट्स की मदद लेता है. जिससे ह्यूमन वर्क कम होता है. साथ ही किसी ह्यूमन टीम की जरूरत पड़ती ही नहीं.
कैसे काम करता है इन्क्यूबेटर
इन्कूयबेटर अपने बॉट्स की मदद से वेबसाइट डेवलप करवाता है. साथ ही सोशल मीडिया की हैंडलिंग भी होती है. अगर वेबसाइट अपडेट करनी होती है तो वह काम भी बॉट्स कर देते हैं. यानि टेक और सोशल मीडिया टीम एलिमीनेट हो जाती है. बेशक इन बॉट्स द्वारा किए जाने वाले कामों के लिए स्टार्टअप को कंपनी को रॉयलटी देनी पड़ती है. लेकिन काफी हद तक काम रफ्तार के साथ होते है. और सटीकता भी मिलती है. इस केस में ह्यूमन को-फाउंडर को टेक का ज्ञान नहीं है. फिर भी उसकी वेबसाइट तैयार है, सोशल मीडिया भी हैंडल हो रहा है.
एआई को को-फाउंडर बनाने के फायदे
किसी भी स्टार्टअप में एआई को को-फाउंडर बनाने के कई फायदे हैं. यदि आप एआई एजेंट्स के जरिए अपना स्टार्टअप चलाना चाहते है. तो यह बॉट्स जरूरत के अनुसार बॉट्स को उसी जगह इस्तेमाल करता है. एजेंट्स भी कई तरह के होते हैं. ऐसे में वीडियो, इमेज, टेक्सट, कोडिंग, वेबसाइट बेकएंड, फ्रंडएंड आदि जगह के लिए जो बॉट जरूरी होता है उसे वहां डिपलॉय किया जाता है. इससे किसी भी स्टार्टअप को चलाना आसान हो जाता है. इसमें ह्यूमन की जरूरत कम पड़ती है. जिससे कॉस्ट कटिंग भी काफी होती है और आप आसानी से स्टार्टअप चला पाएंगे.
... आइडिया हो सकता है कॉपी
जब किसी फाउंडर के पास किसी क्षेत्र की विशेषज्ञता न हो, और वह केवल बॉट्स के उपर निर्भर हो. तो ऐसी स्थिति में काफी ज्यादा संभव है कि उसके आइडिया को कोई कॉपी कर सकता है. या फिर कुछ तब्दीली करने के बाद उस आइडिया को कॉपी किए गए आइडिया से भी ज्यादा बेहतर बना सकता है. इसलिए बेहतर है कि किसी भी स्टार्टअप को शुरू करने के दौरान किसी को-फाउंडर के पास विशेषज्ञता होना जरूरी है, ताकि कुछ न कुछ खास स्टार्टअप में हो.