
हर दिन नई-नई तकनीक का विकास हो रहा है. न्यू टेक्नोलॉजी से जहां काफी फायदा मिल रहा है, वहीं इसके गलत हाथों में जाने पर खतरा भी है. अब पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक बनाई है, जिससे मोबाइल फोन पर धीरे-धीरे की जा रही बातचीत को भी दूर से सुना जा सकता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI) की मदद से 10 फीट की दूरी पर भी फोन में हो रही बातचीत को सुन जा सकता है. AI मोबाइल के कंपन से बातचीत का पता लगा लेगा. इस तरह से अब किसी की बातचीत को सुनने के लिए स्पाईवेयर की जरूरत नहीं पड़ेगी. हालांकि इस टेक्नोलॉजी ने प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों में इस नई तकनीक से निजता के जोखिमों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
बातचीत सुनने के लिए मिलीमीटर वेव रडार और AI का इस्तेमाल
इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग की रिपोर्ट के अनुसार पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के रिसर्चर्स ने नई तकनीक को इजाद किया है, जिससे फोन की बातचीत को दूर से सुना जा सकता है. शोधकर्ताओं ने इसके लिए मिलीमीटर वेव रडार और AI का इस्तेमाल किया है. शोधकर्ताओं ने मिलीमीटर वेव रडार और AI का प्रयोग करके मोबाइल फोन के ईयरपीस से निकलने वाली हल्की कंपन को समझा और उससे बातचीत का पता लगा लिया. यह नई तकनीक 10 फीट की दूरी से 60 प्रतिशत सटीकता के साथ बातचीत को सुनने में मदद कर सकती है.
...तो ऐसे लिख देता है क्या हो रही बातचीत
शोधकर्ताओं ने मोबाइल पर हो रही बातचीत को सुनने के लिए मिलीमीटर-वेव रडार का प्रयोग किया है, जो सेल्फ-ड्राइविंग कारों, मोशन डिटेक्टर और 5G नेटवर्क में इस्तेमाल होती है. शोधकर्ता सूर्योदय बसाक ने बताया कि हम जब फोन पर बात करते हैं, तो ईयरपीस से निकलने वाली आवाज के कारण फोन में हल्की कंपन होती है. मिलीमीटर-वेव रडार उस कंपन को पकड़कर AI की मदद से इस कंपन को समझकर बातचीत को लिख देता है. सूर्योदय बसाक ने बताया कि इस कंपन को रडार से पकड़कर और मशीन लर्निंग की मदद से बातचीत को समझा जा सकता है.
60 प्रतिशत बातचीत निकली सही
शोधकर्ताओं ने बताया कि जब उन्होंने फोन पर हो रही बातचीत को सुनने को लेकर मिलीमीटर-वेव रडार और AI के मदद से ट्रायल किया, तब रडार को फोन से करीब 10 फीट की दूरी पर रखा. इस दूरी से रडार ने फोन की छोटी-छोटी कंपन को पकड़ा और AI ने उस डेटा को 10 हजार शब्दों में लिख दिया. AI द्वारा लिखे शब्दों में 60 प्रतिशत बातचीत सही निकली. उन्होंने बताया कि फिलहाल इसकी सटीकता 100 प्रतिशत नहीं है लेकिन वे इसे 100% करने के लिए लगे हुए हैं.
...तो बरतें सावधानी
शोधकर्ता सूर्योदय बसाक ने बताया कि जैसे लिप रीडिंग करने वाले लोग बातों का अंदाज लगा लेते हैं, यह तकनीक भी ठीक उसी तरह काम करती है लेकिन तब परेशानी हो सकती है, जब कोई गलत इरादे वाला आदमी इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करे. हालांकि यह तकनीक अभी पूरी तरह सटीक नहीं है, लेकिन किसी सेंसिटिव जानकारी को लीक करने के लिए काफी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका उद्देश्य लोगों को इस खतरे के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे संवेदनशील बातचीत के दौरान सावधानी बरतें.