जब भी हमें कुछ सर्च करना होता है, तो सबसे पहले दिमाग में एक ही नाम आता है, गूगल. इसके सर्च बॉक्स में हम अपना सवाल डालते हैं और गूगल उसके हिसाब से रिलेटिड टर्म्स को खोजते हुए रिजल्ट देता है. लेकिन कुछ समय से गूगल के सर्च के तरीके में भी बदलाव आया है. सवाल पूछते ही, सबसे पहले गूगल का एआई, जेमिनी, उसका जवाब देता है. उसके दाईं तरफ कुछ वेबसाइट दी जाती हैं, जो सवाल से ज्यादा जुड़ी होती हैं. इसके बाद गूगल अन्य लिंक्स हमे देता है. यानी टॉप पर, टॉप के रिजल्ट.
यूट्यूब वीडियो का बादशाह
यूट्यूब में लोग रेसिपी, किसी चीज़ को ठीक करने का तरीका, किसी चीज़ को कैसे करें, कई जानकारी आदि को सर्च बॉक्स में सर्च में लिखते हैं और उससे रिलेटिड वीडियो सामने आ जाते हैं. अब यहां लोग अलग-अलग वीडियो को अपने अनुसार देखते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं.
यूट्यूब का एल्गोरिथम
यूट्यूब पर व्यू्ज पाने के लिए लोग क्लिकबेट का इस्तेमाल करते है. क्लिकबेट यानी कि यूजर को क्लिक करवाने के लिए चारा डालना. यह चारा थंबनेल और वीडियो के टाइटल के रूप में दिया जाता है. अब इन दोनों चीज़ो को देखने के बाद ही यूजर चयन करता ही कि वह किस वीडियो को खोले. कई बार होता है कि थंब और टाइटल सर्च से मैच करते हैं, पर वीडियो में कंटेंट कुछ और ही होता है. ऐसे में यूजर का समय बर्बाद होता है. लेकिन यूट्यूब ने इसका तोड़ निकाला है.
क्या है तोड़, कैसे बचेगा समय
दरअसल यूट्यूब ने एआई को अपने प्लेटफॉर्म में इंटीग्रेट कर लिया है. अब आप प्लेटफॉर्म पर कुछ भी सर्च करेंगे तो कई वीडियो आपके सामने आएंगे. लेकिन एआई उन वीडियो का थोड़ा सारांश भी आपको बताएगा, बिना वीडियो खोले. ऐसे में यूजर केवल उन्हीं वीडियो पर क्लिक करेगा, जिनका सारांश सर्च रिजल्ट के साथ मैच करेगा. अब ऐसे में यूजर के लिए वीडियो का चयन करना काफी आसान हो जाएगा. लेकिन एआई वाला फीचर केवल उन्हीं लोगों के लिए है जिन्होंने यूट्यूब का प्रीमियम सब्सक्रिप्शन लिया हुआ है.
कैसे पड़ेगा कंटेंट क्रिएटर्स पर असर
एआई के इस्तेमाल के कई कंटेंट क्रिएटर्स पर असर पड़ेगा. खासतौर पर क्लिकबेट का इस्तेमाल कर व्यू प्राप्त करने वाले कंटेंट क्रिएटर्स पर इसका असर होगा. एआई उस वीडियो को अलग हटा देगा जिनका कंटेंट सर्च रिजल्ट के साथ मैच नहीं करेगा.