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Hemkund Sahib Yatra 2025: हेमकुंड साहिब यात्रा शुरू, जाने का बना रहे प्लान, ये रही इस पवित्र तीर्थ की पूरी गाइडलाइन

ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2025,
  • Updated 8:22 PM IST
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हेमकुंड साहिब यात्रा शुरू हो गई है. 25 मई 2025 को हेमकुंड साहिब के कपाट खुल गए. इसी दिन पहले जत्था हेमकुंड साहिब पहुंचा और मत्था टेका. हेमकुंड साहिब दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है. ये गुरुद्वारा साल में कुछ ही महीनों के लिए खुलता है.

हेमकुंड साहिब यात्रा सालाना धार्मिक यात्रा है. इस यात्रा का पहला जत्था 25 मई को चमोली से घांघरिया पहुंचा. घांघरिया से पंज प्यारे और गुरुद्वारा ग्रन्थियों के नेतृत्व में जत्था हेमकुंड साहिब के रवाना हुआ. गढ़वाल स्काउट्स और पंजाब बैंड के साथ जुलुस सुबह 10 बजे हेमकुंड साहिब पहुंचे. गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारे में ले जाकर कीर्तन और प्रार्थना की गई.

हेमकुंड साहिब भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में एक मानी जाती है. केदारनाथ की तरह यहां तक पहुंचने के लिए लंबा ट्रेक करना पड़ता है. हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आते हैं. हेमकुंड साहिब की यात्रा में कितना समय लगता है? टाइमिंग से खर्चे तक, हेमकुंड साहिब यात्रा के बारे में सब कुछ जानिए.

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हेमकुंड साहिब का महत्व
सिखों का सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है. ये पवित्र तीर्थ सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि गुरु गोविंद सिंह ने इसी जगह पर तपस्या की थी. इस वजह से ये जगह सिखों के लिए काफी पवित्र मानी जाती है.

बर्फ के पहाड़ों के बीच में स्थित ये गुरुद्वारा एक झील किनारे स्थित है. ये सरोवर ग्लेशियर से बनता है. ये गुरुद्वारा पहाड़ की सात चोटियों से घिरा हुआ है. सभी चोटियों पर निशान झंडे लगे हुए हैं. इस जगह की शांति और सुकून इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है. हेमकुंड साहिब यात्रा मई में शुरू होती है. ये यात्रा मई से अक्तूबर के बीच में चलती है.

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कैसे करें यात्रा?
हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. ये पवित्र यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है. ऋषिकेश से गोविंदघाट लगभग 275 किमी. की दूरी पर है. गोविंदघाट पहुंचने के लिए सबसे पहले दिल्ली से देहरादून या हरिद्वार पहुंचे. बद्रीनाथ जाने वाली किसी भी बस में बैठ जाएं. बद्रीनाथ से लगभग 40 किमी. पहले जोशीमठ पड़ता है. 

देहरादून और हरिद्वार से जोशीमठ पहुंचने में 6-7 घंटे का समय लगता है. जोशीमठ से गोविंद घाट लगभग 18 किमी. दूर है. जोशीमठ से गोविंदघाट के लिए शेयर टैक्सी चलती हैं. गोविंद घाट या जोशीमठ में रात रुक सकते हैं. दोनों जगहों पर ठहरने के लिए होटल मिल जाएंगे. गोविंदघाट से कुछ किमी. दूर पुलना पड़ता है. इसी जगह से हेमकुंड साहिब का ट्रेक शुरू होता है.

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पहले दिन घांघरिया
हेमकुंड साहिब का ट्रेक पुलना से शुरू होता है. हेमकुंड साहिब ट्रेक कुल 13 किमी. लंबा है. पुलना से पहले दिन का पड़ाव घांघरिया में पड़ता है. घांघरिया हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी का बेस कैंप है. पुलना से घांघरिया 7 किमी. दूर है. शुरुआत में ट्रेक आसान होता है लेकिन धीरे-धीरे चढ़ाई कठिन होने लगती है. जंगलों से होकर गुजरने वाला ये ट्रेक वाकई में बेहद सुंदर है. रास्ते में नदियां और कच्चे पुल भी मिलते हैं. पुलना से घांघरिया तक पहुंचने 5-6 घंटे लगते हैं. कुछ लोगों को इससे भी ज्यादा समय लग सकता है. 

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हेमकुंड साहिब के दर्शन
घांघरिया में कई सारे होटल और होमस्टे हैं. सर्दियों में ये जगह भी बर्फ से ढंक जाती है. सर्दियों में लोग यहां से निकलकर नीचे गोविंदघाट और जोशीमठ चले जाते हैं. गर्मियों में वापस घांघरिया आते हैं. पहले दिन घांघरिया में ही रुकें. घांघरिया में एक गुरुद्वारा है. लोग इसमें भी ठहर सकते हैं.

अगले दिन घांघरिया से हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करें. हेमकुंड साहिब घांघरिया से करीब 6 किमी. दूर है. ट्रेक बेहद कठिन है. लोगों को धीरे-धीरे आराम से चलने की सलाह दी जाती है. काफी ऊंचाई पर होने की वजह से सांस लेने में भी दिक्कत आती है. गर्मियों में इस जगह पर सर्दी का एहसास होता है. रास्ते में कई सारे ग्लेशियर भी देखने को मिलेंगे. हेमकुंड साहिब पहुंचने में 5-6 घंटे का समय आराम से लग जाएगा.

हेमकुंड साहिब ट्रेक करके तो पहुंच ही सकते हैं. इसके अलावा गोविंदघाट और घांघरिया से हेलीकॉप्टर सर्विस भी उपलब्ध है. हेलीकॉप्टर से कुछ ही मिनट में हेमकुंड साहिब पहुंच सकते हैं. हेमकुंड साहिब में कोई भी श्रद्धालु रात में रुक नहीं सकता है. दोपहर दो बजे के बाद लोगों को नीचे उतरने की सलाह दी जाती है.

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और क्या देखें?
हेमकुंड साहिब के दर्शन के बाद शाम को वापस घांघरिया लौट आइए. उसके बाद भी अगर आपमें हिम्मत बची है तो फूलों की घाटी भी जा सकते हैं. वैली ऑफ फ्लॉवर भी साल में कुछ महीनों के लिए खुलती है. घांघरिया से फूलों की घाटी सिर्फ 3 किमी. दूर है. जुलाई और अगस्त में ये जगह पूरी तरह से फूलों से घिर जाती है. यहां पर आपको सैकड़ों दुर्लभ फूल देखने को मिलेंगे.

हेमकुंड साहिब की यात्रा में फूलों की घाटी को भी शामिल कर सकते हैं. इससे सुंदर जगह शायद ही आपने कभी देखी होगी. यहां के नजारे देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा. यहां आकर आपकी थकान पूरी तरह से मिट जाएगी. एक बार आपको हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की यात्रा जरूर करनी चाहिए.

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इन बातों का रखें ध्यान:

 हेमकुंड साहिब एक कठिन धार्मिक यात्रा है. इस यात्रा को करते समय कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए.

  • इस यात्रा को करने से पहले अपना मेडिकल चेकअप जरूर कराएं. सांस संबंधी शिकायत को तो इस यात्रा को न करें.
  • हेमकुंड साहिब यात्रा पर जाएं तो अपने साथ अच्छे-खासे गर्म कपड़े रखें. कुछ एक्सट्रा मोजे भी अपने साथ में रखें.
  • इस यात्रा को करते समय अपने साथ टॉर्च, पानी की बोतल, स्टिक और मेडिकल किट भी साथ में रखें.
  • ट्रेक करते समय एक जगह पर बहुत ज्यादा देर न रुकें. इससे आपको मंजिल तक पहुंचने में समय लग सकता है.
  • हेमकुंड साहिब का ट्रेक जंगल से होकर गुजरता है इसलिए रात में इस ट्रेक को करने से बचें.
  • मानसून का मौसम है तो बारिश से बचने के लिए रेनकोट जरूर रखें. इस यात्रा में ये चीजें बड़ी काम आएंगी.