कवच 4.0 लागू! मथुरा से नागदा के बीच 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें, कोटा बना देश का पहला रेल मंडल

कवच 4.0 लागू होने के बाद कोटा मंडल मानवीय भूल के कारण होने वाली ट्रेन दुर्घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. अब लोको पायलट को इंजन के कैब डिस्प्ले यूनिट (CDU) पर ही अगले सिग्नल की स्थिति की जानकारी मिल जाएगी.

कवच 4.0 लागू
gnttv.com
  • कोटा,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST
  • कैसे काम करता है कवच 4.0 सिस्टम
  • कोटा बना देश का पहला रेल मंडल

देश की सबसे बिजी और हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर अब ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार हैं. भारतीय रेल ने कोटा रेल मंडल के अंतर्गत मथुरा से नागदा के बीच 549 किलोमीटर खंड पर ‘कवच 4.0’ सिस्टम लागू कर दिया है. यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित सुरक्षा प्रणाली है, और इसी के साथ कोटा देश का पहला रेल मंडल बन गया है जहां यह अत्याधुनिक प्रणाली पूरी तरह लागू हो चुकी है.

मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षा
कवच 4.0 लागू होने के बाद कोटा मंडल मानवीय भूल के कारण होने वाली ट्रेन दुर्घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. अब लोको पायलट को इंजन के कैब डिस्प्ले यूनिट (CDU) पर ही अगले सिग्नल की स्थिति की जानकारी मिल जाएगी. इससे कोहरे, धुंध या कम दृश्यता की स्थिति में भी ट्रेनें सुरक्षित रूप से चल सकेंगी.

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, कवच 4.0 सिस्टम ट्रेन की गति, दिशा और ट्रैक की स्थिति को लगातार मॉनिटर करता है. अगर ट्रेन लाल सिग्नल पार करने की कोशिश करती है या गलत दिशा में सरकने लगती है, तो यह सिस्टम स्वतः ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक देता है.

कैसे काम करता है कवच 4.0 सिस्टम

  • रेलवे ट्रैक के किनारे टावर और रेडियो सिस्टम लगाए गए हैं, जो ट्रेन के इंजन से जुड़े होते हैं.

  • इंजन के भीतर लगे कैब-डिस्प्ले पर पायलट को रियल टाइम सिग्नल की स्थिति दिखाई देती है.

  • सिस्टम ट्रेन को केवल उतनी ही दूरी तय करने की अनुमति देता है, जितनी “मूवमेंट अथॉरिटी (M-A)” दी जाती है.

  • यदि ट्रेन पीछे की ओर खिसकती है, तो कवच ऑटो ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक देता है.

  • लेवल क्रॉसिंग से 600 मीटर पहले ट्रेन का हॉर्न अपने आप बजता है, जिससे सड़क पार करने वाले वाहन चालक सतर्क हो जाते हैं.

  • किसी इमरजेंसी में लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के बीच इंस्टेंट कम्युनिकेशन लिंक सक्रिय हो जाता है.


कब और कहां पूरा हुआ प्रोजेक्ट
रेलवे ने कवच 4.0 को दो चरणों में लागू किया है.

  • पहला चरण: मथुरा-कोटा खंड (324 किमी)-30 जुलाई को कमीशन किया गया.

  • दूसरा चरण: कोटा-नागदा खंड (225 किमी)-27 अक्टूबर को काम पूरा हुआ.


इस तरह पूरा 549 किलोमीटर सेक्शन कवच सिस्टम से कवर हो चुका है. अब यह रूट हाई-स्पीड ट्रेन संचालन के लिए पूरी तरह तैयार है.

कवच से मिलेंगे ये बड़े फायदे

  • लाल सिग्नल पार करने की घटनाएं पूरी तरह रुकेंगी.

  • आमने-सामने से होने वाली दुर्घटनाएं अब असंभव होंगी.

  • कोहरे या खराब मौसम में भी सुरक्षित संचालन संभव होगा.

  • रेलवे की परिचालन क्षमता और ट्रेन की गति में बड़ा सुधार होगा.

  • यात्रियों के लिए सुरक्षा और समय की विश्वसनीयता बढ़ेगी.

‘मेक इन इंडिया’ का बेहतरीन उदाहरण
कवच 4.0 सिस्टम को पूरी तरह भारतीय इंजीनियरों ने देश में ही विकसित किया है. यह ‘मेक इन इंडिया’ मिशन का हिस्सा है, और अब इसे राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप सभी महत्वपूर्ण रेल मार्गों पर लागू करने की योजना है. रेल मंत्रालय के अनुसार, आने वाले समय में कवच तकनीक को पूरे दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर लागू किया जाएगा.

रेलवे अधिकारियों ने क्या कहा
रेलवे सूत्रों ने बताया कि कोटा मंडल में कवच 4.0 के सफल कार्यान्वयन से देश के अन्य रेल मंडलों को भी इस तकनीक को अपनाने का रास्ता खुल गया है. यह प्रणाली ट्रेन संचालन में “जीरो एरर” और “जीरो कोलिजन” का लक्ष्य पूरा करने में मदद करेगी.

क्या है ‘कवच 4.0’?
‘कवच’ भारतीय रेलवे की स्वदेशी ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) है. यह एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो लोको पायलट की किसी भी गलती को तुरंत पहचानकर ट्रेन को रोक देता है. इसका उद्देश्य रेलवे ट्रैफिक को सुरक्षित, स्मार्ट और ह्यूमन-एरर-फ्री बनाना है.

अब दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर पर सुपरफास्ट ट्रेनों का युग
कवच 4.0 के साथ रेलवे अब 160 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेनों का संचालन शुरू करने की तैयारी में है. यह कदम देश को हाई-स्पीड, हाई-सेफ्टी रेलवे नेटवर्क की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित करेगा.

-चेतन गुर्जर की रिपोर्ट

 

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