अमरावती जिले के मानसून की फुहारों में हरियाली और सफेद धुंध से घिरे चिखलदरा हिल स्टेशन पर बीते वीकेंड (12-13 जुलाई) जबरदस्त भीड़ उमड़ी. शुक्रवार से रविवार के बीच करीब एक लाख पर्यटक पहुंचे, जिससे पूरा क्षेत्र ‘पर्यटन जाम’ में तब्दील हो गया. रविवार को स्थिति और भयावह हो गई, जब परतवाडा से चिखलदरा तक करीब 10 किलोमीटर लंबी वाहन कतारें लग गईं. हालात यह रहे कि सैकड़ों पर्यटक अपनी गाड़ियों से उतरे बिना ही वापस लौट गए.
प्रशासन का ट्रैफिक प्लान हुआ ध्वस्त
धामणगाव गढ़ी से चिखलदरा जाने और लौटने के लिए घटांग मार्ग बनाया गया था, लेकिन लाखों की भीड़ के सामने यह पूरा प्लान फेल हो गया. शनिवार रात से लेकर रविवार शाम तक परतवाड़ा, मोथा, नगर परिषद नाका और धामणगाव गढ़ी मार्ग पर गाड़ियों की लंबी कतारें रेंगती दिखीं.
पुलिस-वनकर्मी पूरी तरह पस्त
पर्यटन स्थल पर भीड़ नियंत्रण और व्यवस्था बनाने में पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी बुरी तरह पस्त हो गए. धामणगाव गढी के चेक नाके पर सुबह से ही लंबी कतारें लग गई थीं. सफाई शुल्क की पावती देते-देते कर्मचारी भी परेशान दिखे. पर्यटन भीड़ का असर आम नागरिकों पर भी पड़ा. रविवार को धामणगाव गढी क्षेत्र में एक शव यात्रा ट्रैफिक जाम में अटक गई. मजबूर होकर परिजनों को अंतिम संस्कार स्थल तक करीब दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.
लौट गए सैकड़ों पर्यटक, गाड़ी से उतरे तक नहीं
पर्यटन स्थल पर इतनी भीड़ थी कि कई पर्यटक गाड़ियों से उतरे तक नहीं. 4 से 5 घंटे तक कतार में खड़े रहने के बाद भी जब आगे का रास्ता नहीं मिला, तो लोगों को वापस लौटना पड़ा.
खाने-पीने में लूट, समोसा 50, पोळी 250 रुपये की
स्थानीय दुकानदारों ने पर्यटकों की मजबूरी का लाभ उठाया. एक बेसन पोळी 250 रुपये में और एक समोसा 50 रुपये में बेचा गया. शुद्ध पानी और शौचालय जैसी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं थीं, जिससे पर्यटकों में गुस्सा देखा गया. परतवाडा, अकोला, धामणगाव गढी और बैतूल रोड तक के सभी होटल, लॉज और ढाबों में ‘हाउसफुल’ का बोर्ड टंगा रहा. हजारों पर्यटकों की भीड़ से भोजनालयों में ऑर्डर देने से लेकर खाना मिलने तक घंटों इंतजार करना पड़ा.
-धनंजय साबले की रिपोर्ट