AI-बेस्ड ग्लोबल टैलेंट प्लेटफॉर्म TERN Group की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगर वीजा फ्री हो जाए तो 92 प्रतिशत भारतीय युवा जॉब करने के लिए विदेश जाना पसंद करेंगे. गाइडेंस की कमी, झोलाझाप एजेंट और फीस बन रही हैं सबसे बड़ी रुकावट बन रही है. इसका मतलब है कि देश की युवा पीढ़ी ग्लोबल अवसरों के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें सही दिशा और संसाधनों की जरूरत है.
57% को नहीं पता कैसे करें शुरुआत
- सर्वे में शामिल 2,500 युवाओं में से 57% ने कहा कि उन्हें ये तक नहीं पता कि विदेश में नौकरी के लिए आवेदन कैसे करें. यानी जानकारी की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इसके अलावा 34.60% युवाओं ने बताया कि उन्हें एजेंट्स और विदेशी भर्तीकर्ताओं पर भरोसा नहीं है, क्योंकि आजकल स्कैम बहुत बढ़ गए हैं.
महंगी फीस और झूठे वादे भी बड़ी वजह
- रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि 27% युवा ऐसे हैं जो हाई फीस और झूठे वादों की वजह से विदेश जाने से डरते हैं. कई बार एजेंट मोटी रकम ले लेते हैं लेकिन न तो सही नौकरी मिलती है और न ही रिफंड.
भाषा और सही जॉब मिलना सबसे बड़ी मदद
- ग्लोबल करियर की राह में 63.5% युवाओं को जल्दी और सही जॉब मैच होना सबसे जरूरी लगता है, वहीं 36.5% ने कहा कि अगर भाषा में सपोर्ट मिले तो विदेश में काम करना आसान हो जाएगा.
हेल्थकेयर सेक्टर के युवाओं में सबसे ज्यादा रुचि
- सर्वे में सबसे ज़्यादा यानी 79% प्रतिभागी हेल्थकेयर सेक्टर से थे, जिनमें पैरामेडिकल स्टाफ, डेंटल असिस्टेंट्स और नर्सें शामिल हैं. ये वे क्षेत्र हैं जिनकी दुनिया के कई देशों में भारी मांग है.
विदेशों में स्किल्ड वर्कर्स की भारी कमी
- रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी, यूके, खाड़ी देश (GCC) और जापान जैसे देशों में स्किल्ड वर्कफोर्स की भारी कमी है. ऐसे में भारत के युवाओं को वहां काम करने का बड़ा मौका मिल सकता है.
स्कैम्स और गाइडेंस की कमी सबसे बड़ा चैलेंज
- TERN ग्रुप के फाउंडर और CEO अविनव निगम ने कहा, भारत में दुनिया की सबसे युवा और महत्वाकांक्षी वर्कफोर्स है, लेकिन करोड़ों युवा आज भी ग्लोबल अवसरों से कटे हुए हैं. इसका कारण है सिस्टम की खामिया, जैसे अनएथिकल एजेंट्स और स्कैमर. उन्होंने ये भी कहा कि गुणवत्ता वाली अपस्किलिंग और गाइडेंस की कमी भी युवाओं को रोक रही है.