प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल हुए. इसके बाद पीएम मोदी नामीबिया पहुंच गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. इसमें अगले 5 सालों में आपसी कारोबार को करीब दोगुना कर 20 अरब डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट तय किया गया.
लूला डी सिल्वा ब्राजील के राष्ट्रपति हैं. वो तीसरी बार ब्राजील के राष्ट्रपति बने हैं. वो साल 2003 से 2010 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं. लूला डी सिल्वा का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. गरीब परिवार से राष्ट्रपति का उनका सफर बेहद संघर्षपूर्ण है. चलिए उनके बारे में बताते हैं.
जूता चमकाया, मूंगफली बेचा-
लूला डी सिल्वा का जन्म 27 अक्टूबर 1945 को ब्राजील के उत्तरपूर्वी राज्य पर्नामबुको में एक गरीब फैमिली में हुआ था. लूला 8 भाई-बहन हैं. उनकी फैमिली इतनी गरीब थी कि 14 साल की उम्र में लूला को जूता बनाने वाले के यहां जूता चमकाने का काम करना पड़ा. इसके अलावा उन्होंने कुछ समय तक मूंगफली बेचने का भी काम किया. लूला की फैमिली की आर्थिक हालत बहुत ही खराब थी. किसी तरह से उनकी फैमिली का खर्च चलता था. गरीबी की वजह से लूला की पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाई.
सैन्य शासन के खिलाफ आंदोलन-
ब्राजील में सेना का शासन था. सेना के शासन के खिलाफ लूला डी सिल्वा ने बिगुल फूंक दिया. साल 1964 से लेकर 1985 तक सिल्वा ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किए. इसके दौरान उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया. साल 1980 में लूला ने सियासी करियर की शुरुआत हुई. लूला ने वामपंथी वर्कर्स पार्टी की शुरुआत की और सियासत में एंट्री ली.
फिदेल कास्त्रो की डांट से सियासी सफलता तक-
साल 1982 में लूला डी सिल्वा साओ पॉलो राज्य के चुनाव में हिस्सा लिया. लेकिन उनको चुनाव में हार मिली. इस हार के बाद लूला ने सियासत से किनारा करने का मन बना लिया. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. लूला सबकुछ छोड़कर क्यूबा की राजधानी हवाना चले गए. क्यूबा के दिग्गज वामपंथी लीडर फिदेल कास्त्रो ने लूला को फटकार लगाई और कहा कि आपको मजदूर वर्ग के साथ ऐसा करने का हक नहीं है. फिदेल की फटकार के लूला फिर से सियासत में वापस लौटे.
फिर मिली हार, लेकिन जीत से नहीं रुके-
फिदेल की सलाह मानकर लूला डी सिल्वा साल 1989 में राष्ट्रपति चुनाव में उतरे. लेकिन इसमें उनको हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 1994 में उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव में मैदान में उतरे. लेकिन फिर से उनको हार का सामना करना पड़ा. लगातार हार के बाद भी लूला का हौसला पस्त नहीं हुआ. साल 1998 में राष्ट्रपति चुनाव में लूला ने एक बार फिर किस्मत आजमाया. लेकिन फिर से उनको हार का सामना करना पड़ा.
3 हार के बाद राष्ट्रपति चुनाव में मिली जीत-
लूला को लगातार 3 बार राष्ट्रपति चुनाव में हार मिली. लेकिन इसके बावजूद भी उनका हौसला नहीं डिगा. वो एक बार फिर साल 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतरे. लेकिन इस बार किस्मत ने भी लूला का साथ दिया और वो राष्ट्रपति चुनाव जीत गए. इसके बाद वो साल 2010 तक लगातार राष्ट्रपति रहे. इसके बाद साल 2023 में एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए.
करप्शन के मामले में गए जेल-
सियासत में चमके लूला डी सिल्वा के दामन पर दाग भी लगे. साल 2018 में 77 साल की उम्र में लूला को करप्शन के मामले में जेल भेज दिया गया था. इसकी वजह से वो राष्ट्रपति चुनाव भी नहीं लड़ पाए थे. लेकिन साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया. इसके बाद साल 2023 चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की और राष्ट्रपति बने.
लूला ने की 3 शादियां-
लूला डी सिल्वा ने 3 शादिया की हैं. उनकी पहली पत्नी का मारिया डी लूर्डेंस से हुई थी. लेकिन ये शादी ज्यादा दिन नहीं चल पाई. दो साल बाद ही मारिया की मौत हो गई. इसके बाद दूसरी शादी मारिसा लेटिसिया से की. लेकिन साल 2017 में उनकी भी मौत हो गई. दूसरी पत्नी से सिल्वा के 4 बच्चे हुए. इसके बाद साल 2022 में लूला डी सिल्वा ने तीसरी शादी की. उन्होंने 76 साल की उम्र में 55 साल की समाजशास्त्री रोसंगेला सिल्वा से शादी की.
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