
साल 1993 में आई खलनायक में संजय दत्त का अभिनय इतना ज़बरदस्त था कि लोग आज भी उस एक 'विलेन' के किरदार को कई नायकों से ज्यादा पसंद करते हैं. फिल्मी दुनिया ने हमें ऐसे कई नेगेटिव किरदार दिए हैं जिन्हें कलाकारों के अभिनय ने युगों-युगों के लिए जिन्दा कर दिया है. लोगों को ये किरदार बेहद पसंद भी आते हैं. लेकिन खलनायकों को पसंद करने की आदत लोगों को कहां तक ले जा सकती है?
ब्रिटेन में बच्चों के नामों का रिकॉर्ड रखने वाली संस्था बेबी सेंटर यूके (BabyCentre UK) ने खुलासा किया है कि लोग मशहूर हत्यारों (Serial Killers) से प्रेरित होकर अपने बच्चों के नाम रख रहे हैं. ऐसे कई नामों ने ब्रिटेन के टॉप 100 बेबी नेम्स (Top 100 Baby Names) लिस्ट में जगह बनाई है.
क्या है इसके पीछे की वजह?
बेबीसेंटर के अनुसार लोग सीरियल किलर टेड बंडी और ठग ऐना डेल्वी जैसे अपराधियों के ऊपर अपने बच्चों के नाम रख रहे हैं. आपको शायद लगे कि ब्रिटेन में लोग क्रिमिनल्स को पसंद करने लगे हैं. लेकिन इसकी वजह यह नहीं है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें हॉलीवुड का बड़ा हाथ है. बेबीसेंटर में नाम रखने के विशेषज्ञ और लेखक एसजे स्ट्रम एक बयान में कहते हैं, "ये नाम क्राइम की वजह से नहीं रखे जा रहे."
वह कहते हैं, "माता-पिता कई बार पॉपुलर कल्चर को जाने-अनजाने में अपना रहे हैं. ये नाम टीवी, पॉडकास्ट और वायरल कंटेंट के जरिए हमारे दिमाग में घर कर जाते हैं. यह देखना दिलचस्प है कि कैसे हमारा कल्चर हमारी भाषा और इसी के ज़रिए बच्चों के नामों को आकार देता है."
ब्लंडर में हॉलीवुड का हाथ?
सवाल उठता है कि पॉप कल्चर इसमें क्या भूमिका निभा रहा है. दरअसल नेटफ्लिक्स जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने हाल के वर्षों में कई अपराधियों को केंद्र में रखकर डॉक्युमेंट्री और शो बनाए हैं. साल 2019 में ज़ैक एफ्रॉन ने 'एक्स्ट्रीमली विकेड' (Extremely Wicked, Shockingly Evil and Vile) फिल्म में सीरियल किलर बंडी का किरदार निभाया. इसी तरह नेटफ्लिक्स ने 2020 में हत्यारे जो एक्जॉटिक पर टाइगर किंग डॉक्युमेंट्री सीरीज रिलीज की थी. अमेरिका के रईसजादों को ठगने वाली ऐना डेलवी पर वेब सीरीज़ भी 2022 में नेटफ्लिक्स पर ही रिलीज़ हुई थी.
ये कुछ उदाहरण हैं जिन्होंने बीते कुछ सालों में अच्छे अभिनय और स्टोरीटेलिंग से लोगों को प्रभावित किया है. लेकिन इनके ज़रिए महिमामंडन हुआ है अपराधियों का. कई मामलों में अपराधियों के जीवन पर सिनेमाई कलाकारी ने दर्शकों को अपराध के पीछे मौजूद लोगों से जुड़ने का मौका दिया है. दर्शक उन्हें खलनायक के बजाए ऐसे लोगों के तौर पर लगे जिन्हें समाज समझ नहीं पाया.