Heatwave in Europe: भारत जैसी गर्मी झेल रहा यूरोप! स्पेन से लेकर यूनान तक हीटवेव... जानिए क्या है इस झुलसा देने वाले मौसम का कारण

यह भीषण गर्मी सिर्फ़ स्पेन तक ही सीमित नहीं है. पुर्तगाल, इटली, ग्रीस, दक्षिणी फ्रांस जैसे पड़ोसी देश और स्लोवेनिया, बोस्निया, क्रोएशिया और सर्बिया जैसे कई बाल्कन देश भी ऐसी ही भीषण परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST
  • स्पेन में टूटा गर्मी का छह दशक पुराना रिकॉर्ड
  • पूरे यूरोप में बढ़ रहे हीटवेव के मामले

यूरोप में अभूतपूर्व गर्मी की लहर चल रही है. कई देशों में तापमान रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुंच गया है. शनिवार को स्पेन के एल ग्रैनाडो में 46.0 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. इसकी आधिकारिक पुष्टि स्पेन की राज्य मौसम विज्ञान एजेंसी ने की है. इसने 1965 के बाद से जून में गर्मी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. उस वक्त सेविले में तापमान 45.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. 

सिर्फ स्पेन ही नहीं, बल्कि पूरा यूरोप ही इस वक्त गर्मी में झुलस रहा है. अपेक्षाकृत ठंडे रहने वाले इस क्षेत्र में गर्मी के क्या हालात हैं और ऐसा क्यों हो रहा है, आइए समझते हैं.

क्या है यूरोप की ग्राउंड रिपोर्ट 
यह भीषण गर्मी सिर्फ़ स्पेन तक ही सीमित नहीं है. पुर्तगाल, इटली, ग्रीस, दक्षिणी फ्रांस जैसे पड़ोसी देश और स्लोवेनिया, बोस्निया, क्रोएशिया और सर्बिया जैसे कई बाल्कन देश भी ऐसी ही भीषण परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. स्थानीय मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान के अनुसार, पुर्तगाल में शनिवार को तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि लिस्बन में रविवार को तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है. 

इटली के दक्षिणी शहरों में भी भीषण गर्मी पड़ रही है. नेपल्स और पलेर्मो में वीकेंड में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि फ्लोरेंस में सप्ताह की शुरुआत में 39 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. ये उच्च तापमान क्षेत्र के दक्षिणी क्षेत्रों में निरंतर उच्च तापमान के व्यापक पैटर्न को दर्शाते हैं. 

इस बीच, यूनान गर्मी और उसके खतरनाक परिणामों दोनों से पीड़ित है. यूनान की राजधानी एथेंस में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. इससे जंगल में आग लगने का खतरा भी बढ़ा है. हाल ही में एथेंस में आग लगने की एक घटना रिपोर्ट की गई थी. पूर्वानुमानों में चेतावनी दी गई है कि गर्मी जारी रहने के कारण यूनान के कुछ हिस्सों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है.

अगर बात फ्रांस की करें तो दक्षिणी फ्रांस भी गर्मी की मार झेल रहा है. मार्सिले में 41.3 डिग्री का तापमान दर्ज किया गया. यह देश में सबसे ज़्यादा दर्ज किया गया तापमान है. स्थानीय अधिकारियों ने बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए निवासियों की मदद के लिए स्विमिंग पूल निःशुल्क खोल दिए हैं. 

बाल्कन में स्लोवेनिया ने शुक्रवार को 38.4 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ जून के तापमान का नया रिकॉर्ड बनाया. बोस्निया, स्लोवाकिया और क्रोएशिया सहित क्षेत्र के अन्य देश भी इसी तरह तीव्र गर्मी के तनाव से जूझ रहे हैं. 

क्या है यूरोप में हीटवेव का कारण?
हीट डोम की समस्या :
हीट डोम वहां बनता है जहां हवा में प्रेशर बहुत ज़्यादा होता है. इससे हवा ऊपर नहीं उठती और बारिश के लिए बादल नहीं बन पाते. हीट डोम से मुराद एक अदृश्य गोलाकार छत से है जो दक्षिणी यूरोप के ऊपर गर्म हवा को कैद कर रही है. हीट डोम एक ढक्कन की तरह काम करता है जिससे स्पेन और ग्रीस के कुछ हिस्सों में लंबे समय तक अत्यधिक तापमान बना रहता है. 

इसकी वजह से ठंडी हवा तो रुक ही रही है, बादल निर्माण भी रुक रहा है और धूप से ज़मीन गर्म हो रही है. इस गर्मी के कारण स्पेन, पुर्तगाल और उसके बाहर तापमान बढ़ रहा है.

उत्तरी अफ्रीका से आती गर्म हवा : उत्तरी अफ्रीका के सहारा क्षेत्र से दक्षिणी यूरोप में अत्यधिक गर्म, शुष्क हवाएं आ रही हैं. इस घटना को अक्सर "गर्म हवा का झोंका" कहा जाता है. यह लिस्बन में 42 डिग्री सेल्सियस और फ्रांस के वौक्लूस में 40.7 डिग्री सेल्सियस जैसे रिकॉर्ड तोड़ने वाले तापमान के लिए जिम्मेदार है. दक्षिणी यूरोप की उत्तरी अफ्रीका से निकटता इसे गर्मियों के दौरान इन गर्म हवा के प्रवाह के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है. 

क्लाइमेट चेंज बना कोढ़ में खाज : अध्ययनों के अनुसार, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से प्रेरित क्लाइमेट चेंज (Climate Change) हीटवेव को 2.5-3.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म बना रहा है. औद्योगिकरण के समय की तुलना में वैश्विक तापमान 1.1-1.5 बढ़ने के कारण अब ज्यादा गर्मी की घटनाएं 10 गुना बढ़ने की संभावना है. 

रात का तापमान बढ़ना : जलवायु परिवर्तन के कारण रात का तापमान बढ़ गया है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण रात का तापमान 20 से 30 डिग्री तक पहुंच रहा है. इससे रात भर राहत कम हो रही है और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं.

कमजोर जेट स्ट्रीम : क्लाइमेट चेंज ने जेट स्ट्रीम को भी बाधित किया है. यह एक ज्यादा ऊंचाई वाली हवा का पैटर्न है जो मौसम को प्रभावित करता है. कमजोर, लहरदार जेट स्ट्रीम यूरोप से गर्म हवाएं नहीं हटा सकीं. इससे दक्षिणी यूरोप पर गर्मी का गुंबद कई दिनों तक बना रहा. इससे लगातार गर्मी बनी रही है और आगे भी ऐसा ही रहने की संभावना है. 

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