Tech Company CEO Security: जुकरबर्ग की सिक्योरिटी पर खर्च हुए 221 करोड़, तो वहीं मस्क साथ लेकर चलते हैं 20 बॉडीगार्ड.. आखिर क्यों डरे हुए हैं टेक दिग्गज

साल 2024 में दुनिया की 10 बड़ी टेक कंपनियों ने अपने सीईओ की सुरक्षा पर खर्च 369 करोड़. मेटा से लेकर मस्क तक शामिल.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

इस समय बड़ी टेक कंपनियों के मालिकों को खतरा सता रहा है. इसमें मस्क, जुकरबर्ग, जेनस हुआंग, जेफ बेजोस जैसे कई दिग्गज शामिल हैं. दरअसल यह खतरे की पीछे कई कारण है. ऐसे में कंपनियों ने अपने सीईओ की सुरक्षा काफी बढ़ा दी है. इन लोगों की सुरक्षा 1-2 करोड़ बल्कि कई सौ करोड़ रुपए का खर्च आ चुका है. लेकिन आखिर वजह क्या है इस खतरे की?

समाज से सीधी टक्कर
दरअसल सबसे पहला खतरा तो इतने अपने कॉम्पिटीशन के होता है. हर कारोबारी अपने कॉम्पिटीशन से आगे निकलना चाहता है. दूसरा कारण है कि कर्मचारियों का गुस्सा. हाल ही के दिनों में कर्मचारियों की इतने बड़े पैमाने पर छंटनी की गई है कि उनका गुस्सा उम्मीद से परे है. तो वहीं जिनकी छंटनी नहीं हुई है तो वह असंतुष्ट है.

अब जब कारोबार इतना बड़ा फैला हुआ हो और पैसा हर तरफ से बरस रहा हो, तो हर किसी की नज़र डगमगा जाती है. यहां तक की अब इन कारोबारियों के पास इतनी ताकत आ गई है कि इनके फैसलों से राजनीति में दखल तक पैदा हो जाती है. ऐसे में यह आम जनता के गुस्से के शिकार बन सकते हैं.

कितना खर्च हुआ सुरक्षा पर
2024 में 10 बड़ी टेक कंपनी के सीईओ की सुरक्षा पर करीब 369 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. इसमें सबसे हिस्सा तो जुकरबर्ग का है. जिन्होंने अपने और परिवार की सुरक्षा के उपर 221 करोड़ रुपए खर्च किए. तो वहीं काफी बोल्ड रहने वाले एलन मस्क भी पीछे नहीं हैं. अब वह अपने साथ 20 निजी सुरक्षा गार्ड लेकर चलते हैं. दुनिया की टॉप मार्केट कैपिटल वाली कंपनी एनवीडिया के मालिक जेनस हुआंग की भी बढ़ती दौलत और एआई की राजनीति में सक्रियता से वह भी असुरक्षा के दायरे में आ खड़े हुए हैं.

किस पर हुआ कितना खर्च
कंपनी सीईओ पैसा
मेटा मार्क जुकरबर्ग 221 करोड़
टेस्ला और स्पेसएक्स एलन मस्क 21 करोड़
अमेजन जेफ बेजोस 13 करोड़
एनवीडिया जेनस हुआंग 29 करोड़
जेपी मॉर्गन जेमी डाइमेन 7.2 करोड़

खतरे के बदले आयाम
अब खतरा हथियारों का नहीं बल्कि साइबर खतरा है. डेटा लीक और ब्रीच का खतरा है. इस सब से बचने के लिए साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल मॉनिटरिंग और सोशल मीडिया इंटेलिजेंस के उपर काफी पैसा खर्च किया जा रहा है. यहां तक डीपफेक की मदद से फर्जी आवाज़ पैदा की जाती है और बड़े-बड़े ट्रांजैक्शन करवा लिए जाते हैं.

 

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