
Russia की Putin सरकार ने एक नया फरमान जारी किया है. उन्होंने फोन कंपनियों के उपर एक नियम को लागू कर दिया है. यह नियम 1 सितंबर 2025 से लागू हो जाएगा. इसके बाद हर फोन कंपनी को अपने फोन से पहले से ही Max नाम के एक Messaging Application को प्री-इंस्टॉल करके देना होगा. सरकार इस ऐप को नेशनल मैंसेजर के तौर पर लोगों के बीच पेश करने जा रही है. लेकिन इसका खामियाज़ा WhatsApp और Telegram जैसे पॉपुलर मैंसेजर्स को भुगतना पड़ सकता है.
रूस का कई पश्चिमी देश के साथ तनाव चल रहा है. ऐसे में रूस चाहता है कि उसके पास अपना खुद का मैंसेजर हो, इससे उसकी दूसरे देशों के उपर निर्भरता कम होगी. साथ ही वह इस तरीके के अपना कर चीन के मॉडल पर चल रहा है, जहां चीन दूसरे देशों पर किसी तरह से निर्भर नहीं रहता है.
वॉट्सऐप-टेलिग्राम से भिड़ंत
Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस में करीब 9.73 करोड़ यूजर वॉट्सऐप पर एक्टिव हैं, जबकि 9.08 करोड़ यूजर टेलिग्राम पर. ऐसे में मैक्स के लिए मार्केट को शुरुआती चरण में कैप्चर कर पाना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है.
बताते चलें कि रूस में वॉट्सऐप और टेलिग्राम पहले से ही काफी पॉपुलर हैं. जहां वॉट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा, अमेरिका बेस्ड कंपनी है, तो वहीं टेलिग्राम का हैडक्वार्टर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में स्थित है. रूस की तरफ से दोनों कंपनी पर आरोप मढ़ा जा चुका है कि दोनों ऐप किसी आतंकी हमले में उसकी जांच एजंसियों का सहयोग नहीं करते हैं. कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं रूस दोनों ऐप को बैन भी कर सकता है. देखा जाए तो रूस का दोनों ऐप को लेकर रवैया काफी सख्त है.
Max ऐप में क्या है खास
मैक्स ऐप को रूसी सरकारी पहले ही राष्ट्रीय मैंसेजर घोषित करने की तैयारी कर चुकी है. साथ ही अगर वॉट्सऐप और टेलिग्राम पर बैन लग जाता है, तो लोगों को मजबूरन ही सही लेकिन मैक्स का रुख करना पड़ेगा. बात रही मैक्स की जिसे प्री-इंस्टॉल करके देने की बात कही जा रही है, तो इस ऐप को वीके नाम की एक कंपनी ने तैयार किया है. कहा यह भी जा रहा है कि इस कंपनी के उपर सरकार का नियंत्रण रहता है. मार्च में लॉन्च हुआ यह ऐप अबतक 18 करोड़ के मार्केट में से 2 करोड़ कैप्चर कर चुका है. रूस में लोगों को इस बात की भी चिंता है कि सरकार इस ऐप के जरिए उनपर नज़र रख सकती है. लेकिन सरकार का तर्क है कि यह ऐप अन्य ऐप के मुकाबले यूजर से काफी कम पर्मिशन मांगता है.