अकसर देखा जाता है कि जनता की शिकायतों को सुनने के लिए नेताओं के पास टाइम ही नहीं होता. जनता अपनी परेशानियों से जूझती रहती है, लेकिन नेताओं के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. इसे नेताओं के पास समय की कमी कहें या फिर जनता को कम आकना. लेकिन यूके के एक नेता ने जनता की समस्याओं को सुनने का अनोखा हल निकाला है.
क्या है अनोखी पहल?
यूके की लेबर पार्टी के मार्क सीवर्ड्स ने एक स्टार्टअप एआई फर्म के साथ मिलकर अपना वर्चुअल रिप्रेज़ेंटेटिव तैयार किया है. यह मॉडल उन्हीं की आवाज़ का इस्तेमाल करता है. साथ ही लोगों की लोकल परेशानियों का हल निकालता है और उनकी दिक्कतों को जानने का प्रयास करता है.
मॉडल पर उठ रहे सवाल
जहां एक तरफ कहा जा रहा है कि इसकी मदद से नेता और जिनके लिए वह काम करते हैं, उनके बीच संबंध मधुर होंगे. वहीं दूसरी तरफ लोग कह रहे हैं कि यह कदम नेता और जनता के बीच रोड़ा बनेगा. डॉ सूज़न ओमान, डेटा, एआई और सोाइटी में सीनियर लेक्चरर कहती हैं कि जब बात आम लोगों और नेता के बारे में आती है तो नेताओं के प्रति लोगों की राय खराब होती जाती है.
साथ ही वह कहती हैं कि जब आप इस तरह से लोगों की समस्याओं को सुनते हैं. तो आपकी मंशा तो होती है कि ज्यादा से ज्यादा परेशानी हल तो सके, लेकिन फौरन किसी भी परेशानी का हल हो पाना संभव नहीं होता. जिसके कारण आम जन में इसके प्रति विश्वास कम हो जाता है.
क्या है खतरा?
इस चैटबॉट के तरीके में सबसे बड़ा खतरा होता है डेटा ब्रीच का. बेशक यह चैटबॉट कई प्रकार के फायदे लेकर आता है पर कई बार यह इंसानों की समस्याओं को हल करने में असफल साबित होता है. जिसके चलते लोगों में अविश्वास पैदा हो जाता है और लोग चैटबॉट की तरफ से मुंह मोड़ लेते हैं.
बुजुर्गों के लिए खड़ी होगी परेशानी
बुजुर्ग भी हमारे समाज का हिस्सा हैं. उनकी भी लोकल मुद्दों को लेकर परेशानी होती है. वह भी चाहते हैं कि उनकी परेशानियों को कोई सुने औऱ उनका निवारण करे. लेकिन वह तकनीक से इतना वाकिफ नहीं होते. जिसके चलते वह अपने परेशानी चैटबॉट को नहीं बता पाते.
हालांकि यह चैटबॉट साल के 365 दिन चौबीसों घंटे लोगों के लिए मौजूद हैं. ब्रिटिश पॉलिटिक्स की प्रोफेसर विक्टोरिया कहती हैं कि नेता का चैटबॉट इतना सक्षम है कि वह लोगों की परेशानियों का सीधा जवाब दे सकता है, जिससे सीवर्ड्स का काफी समय बचता है, जिसे वह अन्य कामों में इस्तेमाल कर सकते हैं.
घटेगी नेता की क्रेडिबिलिटी
चैटबॉट को इंसानों द्वारा ही बनाया जाता है. जिस प्रकार इंसान गलती करते हैं, उसी प्रकार चैटबॉट भी गलती कर सकता है. ऐसे में अगर किसी नेता का चैटबॉट किसी सवाल का जवाब गलत देता हैं. तो उस नेता के प्रति लोगो का विश्वास कम होगा. और शायद बात यहां तक पहुंच जाए कि चुनाव में उसे कड़ी टक्कर देखने को मिले.
फिलहाल यह चैटबॉट नेता का प्रोटोटाइप मॉडल है, समय के साथ इसमें और सुधार किए जाएंगे और यह लोगों के सामने खुद को खरा साबित कर पाएगा. ऐसे में लोगों की परेशानियों का हल भी जल्द हो सकेगा और आम जनता फौरन अपनी परेशानी चैटबॉट के साथ साझा कर सकेगी.