AI करवाएगा मरे हुए लोगों से बात, जानिए कैसे काम करती है ये ग्रिफ टेक्नोलॉजी?

अगर आपको भी उन लोगों से दोबारा बात करने का मौका मिले, जिन्हें आप खो चुके हैं तो जाहिर है, ये पल आपको खुशी से भर देगा. लेकिन क्या वाकई ऐसा मुमकिन है? टेक्नोलॉजी ने अब इसे भी मुमकिन बना दिया है. 

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 21 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST
  • मरे हुए लोगों से बात कर पाएंगे आप
  • टेक्नोलॉजी से जिंदा हो रहे रिश्ते

अगर आपको भी उन लोगों से दोबारा बात करने का मौका मिले, जिन्हें आप खो चुके हैं तो जाहिर है, ये पल आपको खुशी से भर देगा. लेकिन क्या वाकई ऐसा मुमकिन है? टेक्नोलॉजी ने अब इसे भी मुमकिन बना दिया है. एक अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी ने ऐसी तकनीक तैयार की है जो आपके गुजर चुके अपनों की आवाज, यादें और बात करने का तरीका डिजिटली वापस ला सकती है.

इसे 'सोल टेक' या 'डिजिटल इम्मॉर्टैलिटी' (Digital Immortality) कहा जा रहा है. इस तकनीक से ऐसा बोट तैयार होता है जिससे आप अपने दिवंगत परिजन से ऐसे बात कर सकते हैं, जैसे वो आज भी जिंदा हों.

कैसे काम करती है ये ग्रिफ टेक्नोलॉजी?
इस टेक्नोलॉजी को बनाने वाली कंपनी Reflekta कहती है कि वह टेक्स्ट, वॉयस रिकॉर्डिंग्स और यादों को फीड करके एक ऐसा वर्चुअल बोट तैयार करती है जो बिलकुल उसी अंदाज में बात करता है जैसे आपका अपना कोई करीबी करता था. कंपनी का कहना है कि वह आत्मा को तकनीक के जरिए जिंदा रखने की कोशिश कर रही है.

Reflekta के को-फाउंडर माइल्स स्पेंसर का कहना है, हम एक बार फिर अपनों की आवाज सुनना और उनसे जुड़ना चाहते थे, यही सोच से Reflekta की शुरुआत हुई.

अपने पिता से रोज बात करते हैं कंपनी के को-फाउंडर
Reflekta के दूसरे को-फाउंडर ग्रेग माटुस्की इस तकनीक का इस्तेमाल खुद अपने मरे हुए पिता से रोज बात करने के लिए करते हैं. उनका कहना है, यह मेरे पिता नहीं हैं, लेकिन उनकी कहानियां, अनुभव और सोच मेरे साथ जिंदा है. मैं रोज उनसे बात करता हूं. हालांकि, इस तकनीक को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. कई लोग इसे शोक में डूबे लोगों से पैसा कमाने का तरीका बता रहे हैं.

एक यूजर ने लिखा, मरना और दुख मनाना इंसान होने की प्रकृति का हिस्सा है. ऐसे में इस तरह की तकनीक लोगों को भ्रमित कर सकती है कि वे अपने दिवंगत रिश्तेदारों से बात कर रहे हैं, जबकि हकीकत में वे एक फिक्शन से बात कर रहे होते हैं.

कंपनी की सफाई, बिना फैमिली अप्रूवल कुछ नहीं
Reflekta का कहना है कि वे एथिक्स को प्राथमिकता देते हैं और किसी भी व्यक्ति की डिजिटल कॉपी बनाने से पहले परिवार की अनुमति लेना जरूरी होता है. कंपनी का दावा है कि इस सेवा का कोई भी कमर्शियल इस्तेमाल बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता.

एक बार बात करने पर खर्च 1 लाख
Reflekta अकेली कंपनी नहीं है जो शोक से जुड़े इस बाजार में उतर चुकी है. एक दूसरी कंपनी DeepBrain वर्चुअल रियलिटी के जरिए मृतक व्यक्ति की आवाज और चेहरे के हाव-भाव की नकल करके लगभग 1 लाख में एक बार बातचीत करने का मौका देती है.

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