भूकंप में मलबे में फंसे पीड़ितों को रेस्क्यू करने में मदद करेंगे चूहे...पीड़ितों की करवाएंगे टीम से बात

छोटी कद काठी होने की वजह से चूहे छोटी से छोटी जगह में आसानी से घुस सकते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्कॉटलैंड की डॉ डीन चूहों पर एक प्रशिक्षण कर रही हैं ताकि इन्हें भूकंप के दौरान मलबे में फंसे लोगों की मदद करने के लिए भेजा जा सके.

Rats to be sent to earthquake debris (Apopo Science)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2022,
  • अपडेटेड 9:43 AM IST
  • छोटी जगह में पहुंचने में होते हैं सक्षम
  • पीड़ितों से करवा पाएंगे बात

भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान जब आते हैं तो कई हजार लोगों की जान ले लेते हैं. घटनाक्रम के बाद मलबा इतना ज्यादा हो जाता है कि जगह पर पहुंचना तक मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में कुछ छोटे-मोटे जीव-जन्तु हमारे लिए इसमें मददगार हो सकते हैं. दरअसल वैज्ञानिक कुछ इस तरह की ही रिसर्च कर रहे हैं ताकि मुसीबत के समय ऐसी जगहों पर चूहों को भेजा जा सके. 

Newsweek के अनुसार, स्कॉटलैंड के ग्लासगो की शोध वैज्ञानिक डॉ डोना कीन इस परियोजना पर काम कर रहे हैं. चूहों को भूकंप के मलबे में भेजने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वो माइक्रोफोन से बने छोटे बैकपैक्स पहनकर मलबे के भीतर तक जा सकें ताकि बचाव दल जीवित बचे लोगों से बात कर सकें. 

पीड़ितों से करवा पाएंगे बात
अब तक, लगभग सात चूहों को बीप की आवाज का जवाब देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. फिलहाल एक माइक्रोफोन युक्त होममेड प्रोटोटाइप बैकपैक का उपयोग किया जा रहा है और वैज्ञानिक रोडेंट्स को नकली मलबे में भेज रहे हैं. बचाव दल को वास्तविक भूकंप के दौरान जीवित बचे लोगों के साथ बात करने की अनुमति देने के लिए माइक्रोफोन और वीडियो गियर के साथ-साथ लोकेशन ट्रैकर वाले स्पेशलिस्ट बैकपैक भी बनाए जाएंगे. न्यूज़वीक ने बताया कि डॉ कीन मोरोगोरो, तंजानिया में एक वर्ष से "हीरो रैट्स" नाम की इस परियोजना पर APOPO नाम के एक गैर-लाभकारी संगठन के साथ काम कर रहे हैं.

जल्दी सीख रहें हैं चूहे
33 वर्षीय डॉ कीन ने स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय से इकोलॉजी की पढ़ाई की है और स्टर्लिंग विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त कर चुकी हैं. डॉ कीन इस बात से काफी ज्यादा प्रभावित हुईं कि चूहे कितनी जल्दी सीख सकते हैं और उन्हें आराम से ट्रेन किया जा सकता है. उन्होंने कि यह एक गलत धारणा है कि चूहे गंदगी फैलाते हैं. डॉ कीन ने रोडेंट्स को "मिलनसार" जीव बताया और कहा कि उनका मानना ​​है कि जो काम किया जा रहा है उससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.

छोटी जगह में पहुंचने में होते हैं सक्षम
डॉ कीन ने न्यूज़वीक के हवाले से कहा, "चूहे मलबे में दबे पीड़ितों तक पहुंचने के लिए छोटी जगहों में घुसने में सक्षम होंगे. हम अभी तक वास्तविक स्थिति में नहीं हैं, हमारे पास एक नकली मलबे की साइट है. जब हमें नए बैकपैक मिलेंगे तो हम जान पाएंगे कि हम कहां हैं, और मलबे के अंदर चूहे कहां तक जा सकते हैं. हम चूहों के माध्यम से मलबे में फंसे पीड़ितों से बात कर पाने में सक्षम होंगे.”

उन्होंने बताया कि इस काम के लिए एक साथ 170 चूहों को इसके लिए ट्रेन किया जा रहा है और इन्हें सर्च और रेस्क्यू टीम के साथ काम करने के लिए तुर्की भेजा जाएगा जहां अक्सर भूंकंप आया करता है.


 

 

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