रूस की राजधानी मॉस्को में मेट्रो ने अपने 90 साल पूरे कर लिए हैं. यह मेट्रो स्टेशन न केवल एक ट्रांसपोर्ट हब है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का जीवंत संग्रहालय भी है. मॉस्को मेट्रो की दीवारें, छतें और फर्श सोवियत संघ के प्रतीक चिन्हों और कलात्मकता से सजी हुई हैं. यह मेट्रो स्टेशन 1931 में बनना शुरू हुआ और 15 मई 1935 को आम जनता के लिए खोला गया.
कितना भव्य है मॉस्को मेट्रो-
मॉस्को मेट्रो स्टेशन की दीवारों पर रूसी इतिहास की कहानियाँ और क्लासिकल आर्ट की झलक देखने को मिलती है. यह स्टेशन किसी अंडरग्राउंड पैलेस जैसा प्रतीत होता है. यहाँ की छतों पर सजे झूमर, दीवारों पर सोवियत संघ के प्रतीक चिन्ह और फर्श पर बिछा संगमरमर इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं.
दूसरे विश्व युद्ध में बंकर था मेट्रो स्टेशन-
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस मेट्रो स्टेशन को बंकर के तौर पर इस्तेमाल किया गया था. इसे भव्य बनाने के लिए 22,000 स्क्वायर मीटर पत्थर का प्रयोग किया गया, जबकि 20 अलग-अलग तरह के पत्थरों का इस्तेमाल भी हुआ. यह मेट्रो स्टेशन न केवल सफर को आसान बनाता है, बल्कि कला, गौरव और गरिमा को भी रोज़ महसूस कराता है.
सत्ता की शक्ति और जनता की सौगात-
साल 1952 में जब इस स्टेशन की शुरुआत हुई, तब इसका मकसद सिर्फ सफर आसान बनाना नहीं था, बल्कि यह सत्ता की शक्ति जनता के लिए बनाई गई एक भव्य सौगात थी. मॉस्को मेट्रो का हर कोना अतीत से बातें करता है और यहाँ ट्रेन का इंतजार करना भी एक अनुभव है.
मेट्रो स्टेशन में मिलती है इतिहास की झलक-
मॉस्को मेट्रो स्टेशन को एक जीवंत संग्रहालय के रूप में देखा जा सकता है. जहां बाकी देशों की मेट्रो लोगों को मंजिल तक पहुंचाती है, वहीं मॉस्को का यह मेट्रो स्टेशन आपको इतिहास की गहराई में ले जाता है और संस्कृति का स्वाद भी देता है. 90 साल पहले जब पहली बार मॉस्को मेट्रो की सीढ़ियों पर लोगों के कदम पड़े, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट स्टेशन नहीं, बल्कि कला और विरासत का जीवंत संग्रहालय बन जाएगा.
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